जनपद मे गली गली चल रहे शिक्षा के शोरुम

Posted on 22 April 2013 by admin

२२ अप्रैल । जनपद मे गली गली चल रहे शिक्षा के शोरुम शिक्षाधिकारी बने इन शिक्षा मंदिरो के लाईफ इश्योरेस एजेन्ट शिक्षा का अधिकार कानून बना फाईलो का कैदी ।
हैरत है सरकार के रसूख पर और उनके बनाये कानूनो शासना देशो मे अब इतनी ताकत नही दिखती कि शिक्षा विभाग को अधिकारी भयभीत हो कर्तव्यनिष्ठ हो उसे लागू करवा सके जिसका खामियाजा उत्त्तर प्रदेश की ४० प्रतिशत मध्यमवर्गी और गरीब तबके के बच्चो और अभिभावको इस भंयकर मंहगाई मे भोगना पड रहा है बेचारा अभिभावक क्या करे अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा और सरकारी नौकर बनाने के लिए अपने परिवार की खुराकी काटना पड रहा है मगर दुखद पहलू यह है कि जनता की उम्मीदो की रखवाली सरकार और इसके मंत्री इस मूलभूत समस्या पर ध्यान ही नही देना चाहते उन्हे लगता है कि कानून बन जाने भर से स्थितियां ठीक हो गई है ।
मगर हालात यह है कि उनके बनाये कानून की आड में शिक्षाधिकारियों ने प्राईवेट मान्यता प्राप्त स्कूलो से अपने नजराने की रकम मे बढोत्त्तरी कर दी और इन स्कूलो को बेतहाशा फीस वृद्धि की छूट देकर अभिभावको को खुलेआम लूटने की छूट दे दी है । न जांच न रोक न कानून का पालन करवाना बस एक सूत्री काम पैसा बढाओं हालत यह है कि कानूनन शिक्षण शुल्क सरकार ने माफ कर रखा है मगर उन्ही जूनियर और प्राईमरी के बच्चो से ही सबसे ज्यादा शिक्षण शुल्क वसूला जाता है ये प्राईवेट तथा कथित इंग्लिस मीडियट वाले प्रति वर्ष अपने ही स्कूल के बच्चो से प्रवेश शुल्क वसूल रहे है और ३० से ४० प्रतिशत तक फीस प्रतिवर्ष बढाते जा रहे है ।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम केवल सरकारी स्कूलो मे ही लागू है वर्ना कही नही दिखता प्राईवेट स्कूल न सरकार के हुक्म मानते है न कानून मान्यता भले शिक्षा विभाग दे मगर हकीकत है कि मान्यता प्राईवेट स्कूल शिक्षा विभाग से लिया नही जाता वरन खरीदा जाता है । यही कारण है कि ड्रेस, टाई, बेल्ट, डायरी, जूता मोजा, कापी किताब सब स्कूलो से खुलेआम बेची जा रही है वो भी बिना वैट चुकाये बिना वाणिज्य कर, श्रम रजिस्ट्रेशन के वो भी सी.वी.एस.ई.बोर्ड की आढ मे मनमाने प्रकाशन से किसकी चार पन्ने की रंगीन किताब का मूल्य सैकडो मे हो जिससे ४० से ६० प्रतिशत प्रति छात्र प्रति सेट अग्रिम वसूली करके यही हाल ड्रेस का भी है । इन शिक्षा के शोरुमो मे अगर कुछ नही मिल रहा है तो वह है शिक्षा उसके लिए ट््यूटर लगवाना जरुरी है । अब तो यह खेल प्रति वित्त्तीय वर्ष के हिसाब से चलने लगा है चूंकि बिन पढाये माह मई व जून की फीस जबरिया वसूली जा सके इस पर भी सरकार और जनप्रतिनिधि खामोशी धारण किये है ।
वही शिक्षा अधिकारी इन शिक्षा माफियाओं से मिलकर मध्यम वर्गीय जनता को स्वर्णिम भविष्य दिखाकर लूट रहे है अंधेर मची है मगर अफसोस शिक्षक पिता मुलायम सिंह के लोकप्रिय पुत्र अखिलेश यादव इस मुददे पर खामोश क्यो है ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

May 2024
M T W T F S S
« Sep    
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
-->









 Type in