जनपद में सपा की गतिविधियां शून्य होती जा रही है न प्रशासन मे धार दिखती है न कानून व्यवस्था मे सुधार उस पर भी पांचो जनप्रतिनिधियों की रहस्यमय खामोशी का अर्थ जनता क्या समझे ?
हैरत है कि उ०प्र०में सपा की सरकार बने १ वर्ष से ज्यादा हो गया है मगर जिले के प्रत्येक क्षेत्रो के हालात वही बसपा सरकार वाले दिखते है । जब पूर्ववर्ती सरकार में अधिकारियों की लाल फीताशाही हावी थी जनता की सुनवाई नही होती थी अगर होती भी थी तो बसपा कैडर वालो की वरना आम जनता अपने जरुरी काम पैसे के बल पर कराती थी वही हालात आज भी है कहने को तब भी जिले मे जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक थे और आज भी है तब भी हफ्ते मे एकाध दिन कोई अधिकारी अपने आफिस मे बैठता था वरना दोयम दर्जे के अधिकारी ही जनता को दिखते थे या अधिकारियों के कुछ सेट बाबू या विचैलिये ही जनता का काम बंगलो से करात थे ।
वही हालत आज भी है जिला कलेक्टर महिला होने के नाते कैम्प कार्यालय पर जनता से नही मिलती और कलेक्ट्रेट मे सप्ताह मे मात्र दो दिन ही मिलती है वो भी मात्र दो घण्टे के लिये वही दूसरी ओर जिले के जनप्रतिनिधि भी जनता की पहुंच से दूर है उनका भी जिला प्रशासन पर या तो नियंत्रण नही है या तो दोस्ताना वोटरो से ज्यादा अधिकारियों से है । यही कारण है कि जनता की सुनवाई नही है इस बात को अधिकारी भी जानते है कि जिले की न तो जनता न ही मीडिया और न विधायक उनको कोई नुकसान पहुंचा पायेगें ।
यही कारण है कि जिले के अधिकारी व पुलिस प्रशासन मनमाने अंदाज मे काम कर रहा है जैसे राष्ट्रपति शासन हो फरियादियों को थानेदार चालान कर रहे है और अपराधियों से दोस्ताना निभा रहे है । मीडिया की खबरो को जिलाधिकारी व अधिकारी संज्ञान नही ले रहे है जनता की वही दुर्दशा सपा सरकार के रहते हो रही है जैसे बसपा काल में हुई थी तब भी जनता ने पांच वर्ष सत्त्ता के मद मे चूर बसपाईयों और अधिकारियों का जुल्म सहा था और २०१२ मे करारा जबाब देकर बसपा को सबक सिखाया था ।
जिले के हालात कामोवेश वही बनते जा रहे है और सपाई है कि अपनी ही सरकार मे अधिकारियों की पहुंच के आगे बैकफुट पर नजर आ रहे है ये आगामी लोकसभा में इस पीडित जनता के सामने किस मुंह से जायेगें ? सपाईयो की खामोशी शायद अभी से आगामी चुनाव में वाक ओवर देने की दिखाई पड रही है । यही कारण है कि सरकार सुलतानपुर जनपद की घोर उपेक्षा कर रही है
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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