२१ अप्रैल । सुलतानपुर जिलें मे डिग्री कालेज के एक अवकाश प्राप्त रीडर ने गुदडी के लालो का चयनकर उनकी मेधा को संवारने का एक प्र्रेरक कार्य शुरु किया है । जिसमें ग्रामीणांचलो से चयनित पांच मेधावियों को प्रतिवर्ष चुनकर उन्हे कक्षा छरू से इण्टरमीडिएट तक की आवासीय सम्पूर्ण शिक्षण की जिम्मेदारी ली है । इसके लिए बाकायदा एक हास्टल बना दिया है । जिसमें किसी बाहरी से कोई आर्थिक सहयोग व चंदा नही लिया है ।
सुलतानपुर स्थित राणा प्रताप डिग्री कालेज से रीडर एवं समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डा. एम.पी.सिंह ने पारिवारिक लोगो को मिलाकर सिंह एण्ड श्री निवासन उत्कर्ष ट्रस्ट बनाया और ग्रामीणांचलो से मेधावी गरीब छात्रो का चयन कर अपनी इस योजना की नीव पिछले वर्ष ही रखी किन्तु उन पांच छात्रो को एक साल की शिक्षा प्रदान करने के बाद इसकी जानकारी दी ।
डा० सिंह ने पत्रकारो को बताया कि वह ट्रस्ट में किसी से भी चंदा व सहयोग नही ले रहे है और न ही कभी लेगें । अपने परिवार के आय से होने वाले खर्चो मे कटौती कर गरीब बच्चो को अच्छी सुविधा शिक्षण व्यवस्था दिलाने का कार्य करेगें । उन्होने बताया कि जुलाई २०१२ मे जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं उनके विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से जिले के पांच न्याय पंचायत स्तर के टापर कक्षा पांच के पांच छात्रो रोहित प्रजापति, शिवांशमणि यादव, सत्यवीर, हिमांशु पाण्डेय, व शिवांशु उपाध्याय का चयन किया गया । जिसका प्रवेश सुलतानपुर के राजकीय इण्टर कालेज मे कराकर उन्हे सम्पूर्ण आवासीय व शिक्षण की व्यवस्था उत्कर्ष छात्रावास में निरूशुल्क प्रदान की जा रही है । अभी हाल ही में उनकी कक्षा छरू की परीक्षाएं सम्पन्न हुई है ।
डा. सिंह ने बताया कि उनकी इस योजना में प्रत्येक वर्ष पांच गरीब व मेधावी छात्र लिये जायेगें । जिनके उत्त्तम शिक्षण के लिए डिग्री कालेजो के सात व प्राथमिक विद्यालय के दो शिक्षक अपना समय देकर छात्रो को पढायेगें । जिले के प्रख्यात चिकित्सक डा. आर.ए.वर्मा, डा.एम.जे.शर्मा व डा० वी.एम.के. सिंन्हा ने इन छात्रो का समय समय पर निरूशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण व बीमारी की स्थिति मे सम्पूर्ण इलाज की जिम्मेदारी ली है ।
उन्होने बताया कि उनका उददेश्य ग्रामीणांचलो के निर्धन एवं मेधावी छात्रो को शहरी क्षेत्रो के समान रहन सहन की सुविधाएं प्रदान कर सुलतानपुर नगर के विभिन्न विद्यालयोें मे प्र्रवेश दिलाकर उत्त्तम शिक्षा प्रदान करना है । ग्रामीण क्षेत्रो मे भी मेधावी छात्रो की कमी नही है किन्तु दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण वे नगरीय छात्रो के समकक्ष खडे नही हो सकते । ऐसी स्थिति मे उनके समुचित शैक्षिणिक विकास के लिए एवं आज की प्रतियोगी दुनिया के समकक्ष खडे रहने के लिए अनुकूल सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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