२१ अप्रैल । झूठ फरेब की बुनियाद पर खडा फायजा नर्सिग होम जब से वजूद मे आया फायजा सिर्फ अपना फायदा देख रहा है । क्या पराए और क्या अपने जरुरत पडने पर सारी हदे पार कर देना आदत में शुमार है । हम बात कर रहे है फायजा नर्सिग होम के संचालक डा० सादिक अली की आकर्षित करने वाली डिग्री बेहतर इलाज का भरोसा परन्तु लापरवाहियों के चलते भरोसा कायम नही रह पाता शायद इसीलिए विश्वास के साथ घात लगा है । देखा जाए तो फायजा नर्सिग होम की नीव ही प्रशासनिक लापरवाही और डा० सादिक अली के रसूख का नतीजा है जिस बिल्डिंग मे फायजा अस्पताल चल रहा है दर असल वो आवासीय मानचित्र पर विनियमित क्षेत्र से पास किया गया है । परन्तु उक्त बिल्डिग का स्वामी अधिक माल कमाने के चक्कर मे अपनी विल्डिंग को व्यवसायिक प्रतिष्ठान मे बदल दिया है । जिसे डा० सादिक अली जानते हुए भी किराए पर ले रखा है । संबधित विभाग इस प्रकार की गडबडी देखने वाला चश्मा उतार रखा है इसी लिए शायद नगर में अवैध विल्डिगें खडी होती जा रही है । यहां तक कि नजूल भूमि भी लोग बगैर किसी डर से कब्जा कर निर्माण करवा ले रहे है । फायजा अस्पताल से यातायात अव्यवस्थाएं बढी है । अस्पताल के सामने दर्जनो दो पहिया व चार चक्का वाहन बेतरतीब ढंग से मुख्य मार्ग पर खडे रहते है । जिससे जाम की समस्या बनी रहती है । डा० सादिक अली का विवादो मे जैसे रिश्तेदारी हो चली है । पूर्व मे भी अपने साले की पत्नी के मौत के मामले मे शक के घेरे मे आ चुके है । ताजा मामला नवीपुर निवासी अनवारुल हक की पुत्री तनवीर जहां और उसके पेट मे पल रहे बच्चे के आपरेशन के दौरान मौत से जुडा है तनवीर के परिजनो ने डा० सादिक अली पर कई प्रकार के गंभीर आरोप मढते हुए फायजा अस्पताल पर प्रर्दशन भी किया साथ ही डा० सादिक अली पर कार्यवाही न होने की दशा में तनवीर के परिजनो ने कलेक्ट्रेट परिसर में अनशन पर बैठने की बात कही वही डा० सादिक अली पर कार्यवाही करने की बात पर स्वास्थ्य विभाग व पुलिस विभाग आश्वासन का झुनझुना बजाने मे लगा है । जरा सोचो हमारे देश में लोग खासकर उनके जिन्हे कार्यवाही करने का अधिकार है वो कितने संवेदन हीन हो चुके है । किसी की औलाद लापरवाही के चलते असमय दुनिया से रुखसत हो जाए ऐसे में उन मां बाप के जख्म पर मरहम लगाने के बजाए कुरेदा जाए तो कितनी तकलीफ होगी । देखा जाए तो नर्सिग होम और उनके संचालको का दोष कम है सबसे अधिक दोषी स्वस्थ्य विभाग व जिला प्रशासन है । स्वास्थ्य विभाग के तरफ से मानक बनाया गया है कि नर्सिग होम खोलने की क्या क्या अनिवार्यताएं है परन्तु जनपद मे जितनी भी नर्सिग होम संचालित है एक भी मानक पर खरी नही है । दूसरी गडबडी जिला प्रशासन के तरफ से होती है संबधित विभाग कभी भी इस बात को संज्ञान मे नही लेता कि उक्त प्रतिष्ठान का मानचित्र आवासीय है या व्यवसायिक या फिर उक्त प्रतिष्ठान से आम जन मानस को असुविधाओं का सामना तो नही करना पड रहा है । परन्तु ऐसे प्रतिष्ठानो के संचालको का रसूख शासन की गलियों से होता हुआ प्रशासन की छाती को रौदता हुआ आगे निकल जाता है । और इसी रफ्तार की वजह से कभी कभी लोगो को अपनी जिन्दगी से हाथ धोना पड जाता है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com