आईरीड ने लोगों से नवरात्रि पूजा के बाद गोमती नदी में पालीथीन की थैलियों में भर कर पूजा सामग्री को न फेंकने की सलाह देते हुए सभी से पूजा सामग्री का इकोफ्रेंडली विर्सजन करने की अपील की है।
यह अपील आज यहाँ क्लेस्क्वायर में आयोजित संवादादाता सम्मेलन के माध्यम से करते हुए आईरीड के संस्थापक/अध्यक्ष चन्द्र कुमार छाबड़ा एवं निदेशक डाॅ. अर्चना ने कहा कि नवरात्रि हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व होता है और लगभग हर घर में पूरे नौ दिन पूजा अर्चना होती है, पूरे श्रद्धाभाव से इस दौरान फल-फूल बेल पत्र आदि माँ शेलावाली को अर्पित किए जाते हैं। यह पूजा सामग्री अन्ततः दशमी के दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ गोमती में फेंकते हैं और अज्ञानतावश गोमती के प्रदूषण का बड़ा कारण बनते हैं।
उन्होंने बताया कि अकेले दशमी के दिन गोमती नदी के विभिन्न घाटों एवं पुलों से लगभग 1 लाख टन पालीथीन की थैलियों युक्त पूजा सामग्री गोमती में फेंकी जाती है। जो उसे जहरीले स्तर तक प्रदूषित करने का कार्य करती है।
डाॅ. अर्चना ने बताया कि राजधानी की जनता अन्य स्थानों की जनता से अपेक्षाकृत ज्यादा जागरूक हो चुकी है और अपने घरों के आस-पास पार्क आदि में गढ्डे खोदकर पूजा सामग्री का ‘‘भूमि विर्सजन’’ करने लगी हैं और यह क्रम गोमती नदी के श्याम खाटू मंदिर के घाट सहित अन्य घाटों पर गढ्डों में पूजा सामग्री को डालने में चलने लगा है। लेकिन अभी इस दिशा में भागीदारी अपेक्षाकृत कम है।
श्री छाबड़ा ने कहा कि हाल की एक शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि गोमती नदी का जीवन मात्र 30 वर्ष बचा है। गोमती हमारी लाइफ-लाईन है और इसे बचाने में हमें हर सम्भव कार्य करना चाहिए और हमे पालीथीन और पूजा सामग्री को गोमती में न फेंकने के प्रति अपना संकल्प दृढ़ रखना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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