समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि जनता के बीच अपनी साख खोने के बाद अब बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री भाईचारा बनाओं के नाम पर जातीय उन्माद को हवा देने में लग गई हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता और उसका दुरूपयोग करना भर रह गया है। राजनीति उनके लिए जनसेवा का माध्यम नहीं है वरन उसका वे अनापशनाप संपत्ति बटोरने और प्रशासन व्यवस्था को तोड़ने-मरोड़ने में ही करती रही है।
देश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी एक ऐसी पार्टी है जिसकी न तो अपनी कोई नीति है और नहीं घोषणा पत्र है। पार्टी का घोषणापत्र जनता से किए गए वायदों का शपथपत्र होता है। सरकार बनने पर उसी के आधार पर जवाबदेही बनती है। लेकिन बसपा किसी के प्रति जवाबदेह पार्टी नहीं है। वहां सिर्फ एक नेता, उसकी बात ही संविधान और घोषणापत्र है। अधिनायकशाही ही वहां की व्यवस्था है।
भाईचारा की बात करनेवाली पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल में समाज के किसी भी वर्ग को अपमानित करने से नहीं छोड़ा। जिस किसी ने असहमति का हल्का स्वर भी उठाया उस पर लाठी डंडे बरसाए गए। स्वयं दलित समाज भी उनके उत्पीड़न का शिकार होने से नहीं बच सका। एक भी दलित उनके घर की चैखट तक नहीं पहुॅच पाया। जिसने अपनी बिरादरी तक को अपनी लूट से छूट नहीं दी, उससे यह उम्मीद करना कि वह ब्राह्मणों को सम्मान देगी या किसी अन्य बिरादरी से भाईचारा निभाएगी, दिन में स्वप्न देखना है।
ब्राह्मणों के लिए घडि़याली आंसू बहानेवाली बसपा अध्यक्षा ने संस्कृत विद्यालयों में श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में 1700 अध्यापको की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। श्री मुलायम सिंह यादव ने परशुराम जयंती पर अवकाश घोषित कर ब्राह्मणों को सम्मान दिया था। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी को 75 लाख रूपए अनुदान में दिए और मुख्य भवन के पुनर्निर्माण हेतु भी अतिरिक्त सहायता दी थी।
जिन पांच बरस प्रदेश में बसपा की सरकार रही उसमें प्रदेश की जनता बदहाल रही। किसान आत्महत्या करने को मजबूर रहे। विकास उपेक्षित रहा और लूट का ही एजेन्डा चलता रहा। बहुजन समाज पार्टी के विधायक और मंत्री हत्या, अपहरण, लूट और बलात्कार में संलिप्त रहे। थाने तक में महिलाओं की इज्जत सुरक्षित नहीं रही। अपने आचरण और चरित्र में बहुजन समाज पार्टी गुण्डो की जमात है। खुद बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री ने माना था कि उनकी पार्टी में 500 अपराधी है। उनकी सूची प्रकाशित करने की बात करके भी वे मुकर गई। एक कुख्यात अपराधी को उन्होने गरीबों का मसीहा बताकर अपनी सोच उजागर कर दी थी।
बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री को अनर्गल बयान देने की आदत पड़ गई है। सत्ता खोने की बौखलाहट में उनकी भाषा असंसदीय और अभद्र होती है। जनता ने उसका संज्ञान लेना भी बंद कर दिया है। उन्हें अपना भाईचारा वाला नाटक भी बंद कर देना चाहिए। ब्राह्मण मायाराज में बुरी तरह प्रताडि़त हुए। उन्हें बसपा में दोयम दर्जे में रखा गया है। बसपा अध्यक्षा जान लें कि “काठ की हाण्डी बार-बार नहीं चढती“ है। पूर्व मुख्यमंत्री की असलियत को अब सब पहचान चुके हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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