उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ 2013 में खाद्यान्न के लिए 193.88 लाख मी0 टन तथा तिलहन के लिए 2.23 लाख मी0टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। खाद्यान्न में 25.73 प्रतिशत उत्पादकता एवं तिलहन में 4.90 प्रतिशत उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए एक वृहद रणनीति भी तैयार की गई है, जिसे समस्त जिलाधिकारियों को प्रेषित करते हुए समय से सभी तैयारियां पूरी करने के कड़े निर्देश दिए गए हैं।
यह जानकारी देते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने आज यहां बताया कि खरीफ रणनीति के अन्तर्गत आर्थिक रूप से दुर्बल कृषकों को सहायता प्रदान की जाएगी तथा डाॅ0 राममनोहर लोहिया योजना में चयनित गांवों के किसानों को
क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वैसे सभी पात्र किसानों को खरीफ नीति के अन्तर्गत किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराकर उन्हें कृषि के आवश्यक उपादानों के क्रय हेतु सक्षम बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने खरीफ रणनीति के प्रमुख बिन्दुओं को बताते हुए कहा कि खाद्यान्न की उन्नतशील नई प्रजातियों को बढ़ावा दिया जाएगा, हरे चारे के उत्पादन पर विशेष बल दिया जाएगा, शाक-भाजी के उत्पादन को बढ़ाते हुए धान, मक्का, बाजरा के लिए संकर प्रजाति के बीजों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त राज्य की कृषि नीति के अन्तर्गत सप्तक्रांति-प्रसार, सिंचाई, जल प्रबन्धन, मृदा स्वास्थ्य, उर्वरता, बीज प्रबन्ध, विपणन, मशीनीकरण, शोध तथा कृषि विविधीकरण पर विशेष बल दिया जाएगा। धान तथा दलहनी फसल बाहुल्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा मैक्रोमोड में दी गई सुविधाओं का अधिक से अधिक प्रचार कर उनके व्यापक उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
श्री आलोक रंजन ने बताया कि नवीनतम कृषि तकनीक का प्रयोग करते हुए विलम्ब से धान रोपाई के क्षेत्रों में 15 दिन अग्रिम रोपाई की रणनीति तैयार कर उसे क्रियान्वित किया जाएगा, धान के हाईब्रिड बीज का प्रयोग किया जाएगा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की बासमती प्रजाति को प्रोत्साहित किया जाएगा, बाढ़ प्रभावित/जलमग्न क्षेत्रों में धान की स्वर्णा सब-1 प्रजाति को बढ़ावा दिया जाएगा।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताया कि भूमि संरक्षण योजनाओं के अन्तर्गत राज्य में 343000 हेक्टेअर भूमि को खेती योग्य बनाया जाएगा, वर्तमान फसल सघनता को 154 प्रतिशत से बढ़ाकर 163 प्रतिशत किए जाने का लक्ष्य रखा है, उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न स्रोतांे से 200000 कुन्तल संकर बीज किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है और पंजाब, हरियाणा के बराबर उत्पादन लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए खरीफ 2013 में 17 लाख मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ताकि मिट्टी में जिन तत्वों की कमी हो उनकी प्रतिपूर्ति करके उर्वरता बढ़ाई जा सके। उन्होंने कहा कि ‘अपनी मिट्टी पहचानों’ अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत मृदा नमूना दिवस मनाकर लगभग 17 लाख नमूनों को इकट्ठा करने निर्देश दिए गए हैं।
श्री आलोक रंजन ने बताया कि संकर बीजों के प्रयोग पर विशेष बल देते हुए खरीफ 2013 में 2 लाख कुन्तल प्रमाणित/नोटिफाइड/टीएल/आर एण्ड डी संकर धान बीजों का वितरण कर 13.33 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में उनकी बुआई कराई जाएगी। इसके अलावा किसानों के बीज में किसानों द्वारा ही गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने की दृष्टि से ‘बीज ग्राम योजना’ के अन्तर्गत अधिक से अधिक प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए उर्वरकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराई जाएगी। इसके लिए खरीफ 2013 में 126.007 लाख मी0टन यूरिया, 5.50 लाख मी0टन डीएपी, 4 लाख मी0टन एनपीके काॅम्प्लेक्स, 1 लाख मी0टन एमओपी के वितरण का लक्ष्य अनुमोदित किया गया है। इतनी बड़ी मात्रा में समय से उर्वरक उपलब्ध हो इसके लिए शासन ने फाॅस्फेटिक उर्वरकों की प्रीपोजीशनिंग का निर्णय लिया गया है। वितरण व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिए जाने का निर्णय लिया गया है ताकि जमाखोरी और कालाबाजारी न हो सके। खरीफ 2013 में हरी खाद हेतु 250000 हेक्टेअर क्षेत्र में ढ़ैचा की खेती सुनिश्चित कराई जाएगी और शासन द्वारा इस लक्ष्य के 1.51 प्रतिशत क्षेत्र में किसानों को निःशुल्क ढै़चा बीज भी उपलब्ध कराया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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