Avadhesh Kumar Verma
Chairman U.P Rajya vidyut Upbhokta Parishad
Member – World Energy Council (WEC) London (UPERC awarded Best Consumer
Member – International Council On Large Electric System (Cigre) France Organization InThe State Power Sector)
Member – State Advisory Committee (UPERC) (Governed by: UPECWS)
Member – Quality Control Standing Committee (UPERC) A-1391/7, Indira Nager, Lucknow(U.P.)
Member –Energy Conservation Committee (UPPCL) Mobile -9839011795-9415516317
Member –Electricity Supply Code Review Panel (UPERC) e-mail : uprvup @ yahoo.co.in
Chairman –National Electricity Consumer Coordination Committee
उ0 प्र0 सरकार के इषारे पर पावर कारपोरेषन द्वारा बिजली कम्पनियों के अन्तर्गत कुछ क्षेत्रों का निजी करण / फ्रेन्चाइजीकरण करनें की कार्यवाही चल रही है। जिसका उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिशद हर स्तर पर विरोध करेगा। उ0 प्र0 में फेन्चाइजी का पहला प्रयोग मेसर्स टोरेन्ट पावर पूरी तरह फेल है। उपभोक्ता परिशद की लडाई का नतीजा है कि आज तक मेसर्स टोरेन्ट पावर का रोल आउट प्लान जो आयोग द्वारा अनुमोदित होना था नही हो पाया है। यह कहना किसी भी स्तर से गलत नही होगा कि मेसर्स टोरेन्ट पावर बिना रोल आउट प्लान अनुमोदित हुये कार्य कर रहा है जो पूरी तरह असंवैधानिक है। ऐसे में मेसर्स टोरेन्ट पावर के अनुबन्ध को अविलम्ब समाप्त किया जाना चाहिये।
उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिशद अध्यक्ष अवधेष कुमार वर्मा नें कहा कि निजीकरण / फेन्चाइजीकरण के मामले में जब उ0 प्र0 विद्युत नियामक आयोग द्वारा 02 अपै्रल को अध्यक्ष पावर कारपोरेषन से यह जबाब तलब किया गया है कि कारपोरेषन बताये कि बिजली कम्पनियों द्वारा निजीकरण / फेन्चाइजीकरण की क्या भावी कार्य योजना है, निजीकरण व फेन्चाइजी चयन का आधार क्या है साथ ही यह भी बताना था कि इस योजना से भविश्य में विद्युत उपभोक्ताओं को क्या लाभ होने वाला है।
पावर कारपोरेयान अध्यक्ष द्वारा जबाब न देकर निजीकरण करनें की प्रक्रिया आरम्भ कर दी गयी जो विद्युत अधिनियम, 2003 व नियामक आयोग के आदेषों की खुली अवमानना है। पावर कारपोरेषन षायद यह भूल गया है कि निजीकरण / फ्रेन्चाइजीकरण तब तक संवैधानिक घोशित नही हो सकता, जब तक नियामक आयोग द्वारा उस पर अपनी मुहर न लगायी जाये। ऐसे में सरकार व पावर कारपोरेषन को जनहित में अपनें निर्णय पर पुर्नविचार करना चाहिये। वर्तमान में मेसर्स टोरेन्ट पावर द्वारा जिस तरह आगरा में उपभोक्ताओं का व्यापक उत्पीडन किया रहा है व भ्रश्टाचार स्थापित किया जा रहा है उसे उपभोक्ता भूले नही है ऐसे में उपभोक्ता परिशद किसी भी सूरत में निजीकरण प्रक्रिया को जनहित में स्वीकार नही करेगा। अभी भी समय है सरकार यदि निजीकरण की बहुत पक्षधर है तो वह एक स्वतन्त्र कमेटी से निजीकरण के पहले प्रयोग मेसर्स टोरेन्ट पावर की जाॅंच करा ले, स्वतः सरकार को पता चल जायेगा कि आम जन-मानस का अक्रोष कितना व्यापक है, और उसका मुख्य कारण मेसर्स टोरेन्ट पावर द्वारा लगातार किया जा रहा उपभोक्ता उत्पीडन है। यह सब कृत्य तब हो रहा है जब प्रदेष के मुख्यमन्त्रीजी स्वयं ऊर्जा का कार्यभार देख रहे है, ऐसे में उपभोक्ता परिशद उनसे माॅंग करता है कि वह स्वयं आम जनमानस की आवाज को सुने और बिजली क्षेत्र में निजीकरण प्रक्रिया पर प्रदेष में रोक लगवाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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