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कानून-व्यवस्था व विवेचना को पूर्ण रूप से विभाजित किया जाना तर्कसंगत नहीं - श्री अहमद हसन

Posted on 16 April 2013 by admin

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आज द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की लोक व्यवस्था पर विचार-विमर्श हेतु आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मंत्री श्री अहमद हसन सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने की। इस मौके पर श्री हसन ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि पुलिस समाज में शान्ति कायम रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण अंग है। अच्छी पुलिस व्यवस्था में प्रत्येक नागरिक अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है। इसके अलावा कानून व्यवस्था की अच्छी स्थिति का सीधा असर प्रदेश के विकास पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में कार्यदक्ष, प्रभावी, उत्तरदायी और प्रगतिशील पुलिस व्यवस्था के लिए प्रयासरत है, जिससे विधि के अनुसार कार्य सम्पादित हो सके। श्री हसन ने कहा कि राज्य सरकार पुलिस के दैनिक कार्यों में पूरी स्वायत्ता प्रदान करने और अनुचित दबाव से मुक्त रखने के लिए कार्य कर रही है, जिससे कानून का राज स्थापित किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था और विवेचना के अलग-अलग प्रभारी बनाने के प्रशासनिक सुधार आयोग की संस्तुति से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था व विवेचना को पूर्ण रूप से विभाजित किया जाना तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि कानून-व्यवस्था व विवेचना का परस्पर गहरा संबंध है। छोटे अपराध में त्वरित कार्यवाही नहीं होने से कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है। इसी प्रकार अपराध क्षेत्र में कार्य करने के लिए अभिसूचना सामान्य रूप से कानून-व्यवस्था ड्यूटी के समय ही मिलती है। इसके अतिरिक्त इस समय उत्तर प्रदेश पुलिस में भारी रिक्तियां हैं, विभिन्न स्तर के अराजपत्रित पुलिस कर्मियों के 1,84,077 पद रिक्त हैं, जिससे दोनों अंगों को विभाजित करने में समस्या उत्पन्न होगी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अपनाये गये माॅडल की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने प्रत्येक जनपद में क्राइम ब्रान्च का गठन किया है, जो संगठित और सनसनीखेज अपराधों की विवेचना करती है। सामान्य श्रेणी के अपराधों की विवेचना थाना स्तर पर होती है और वहीें थाना के कर्मी कानून-व्यवस्था की ड्यूटी भी देते हैं, इससे यहां एक ओर गम्भीर अपराधों की गहन विवेचना हो पाती है, वहीं थानों के अधिकारी पर बहुत अधिक कार्य का बोझ नहीं पड़ता है। इसी प्रकार राज्य स्तर पर गम्भीर अपराधों की विवेचना हेतु सीबीसीआईडी, एसटीएफ और एटीएस का गठन किया गया है।  स्वास्थ्य मंत्री ने सुझाव दिया कि पुलिस के कार्य मेें सुधार लाने हेतु अधिक से अधिक टेक्नोलाॅजी का उपयोग किया जाये। पुलिस थानों और पुलिस वाहनों पर सीसीटीवी कैमरा, वाहनों पर आॅटोमैटिक वेहिकल ट्रैकिंग सिस्टम पुलिस कर्मियों को जीपीएस युक्त मोबाइल फोन आदि उपलब्ध कराया जाये जिससे पुलिस कार्य में पूरी पारदर्शिता रहे। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार विभिन्न रैंक के अराजपत्रित पुलिस कर्मियों के रिक्त पदों को भरने के लिए कटिबद्ध है। राज्य की पारदर्शी पुलिस भर्ती चयन प्रक्रिया की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की इस व्यवस्था का अन्य प्रदेश भी अनुकरण कर सकते हैं। अभियोजन को और अधिक प्रभावी बनाने के संबंध में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर स्तर के अभियोजन अधिकारियों का एक अलग सेवा संवर्ग बनाने के पक्ष में है। अभियोजन शाखा के महानिदेशक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी होने चाहिए, इससे पुलिस और अभियोजन के बीच अच्छा समन्वय स्थापित होगा।
उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक को विधिक सलाह देने के लिए जनपद स्तर पर एक वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी तैनात किया जा रहा है। प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा एक टास्क फोर्स का गठन कर ऐसे अधिनियमों के चिन्हीकरण करने जिनके क्रियान्वयन और उल्लंघन की विवेचना संबंधित विभाग द्वारा की जानी चाहिए, के संबंध में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इससे सहमत है। लेकिन कम जनशक्ति के कारण पुलिस के अधिकारियों को ऐसे विभागों में उक्त कार्य हेतु नियुक्त करना संभव नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि संबंधित विभागीय अधिकारियों को ही पुलिस द्वारा प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नगरपालिका पुलिस सेवा के गठन तथा नगरपालिका को शहरी क्षेत्र में यातायात नियंत्रण की संस्तुति से प्रदेश सरकार सहमत नहीं है। श्री हसन ने अपराधों का वर्गीकरण, न्यायिक सुधार, कारागार सुधार, विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण, प्रशिक्षण, पुलिस के गैर मूलभूत कार्यों के लिए बाहरी स्रोतों से सेवा प्राप्त करना आदि के संबंध में प्रशासनिक सुधार आयोग की संस्तुतियों पर सहमति जताते हुए कहा कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला, न्यायिक सुधार व कारागार सुधार के लिए केन्द्र सरकार से और अधिक बजट आवंटित किया जाना चाहिए ताकि इन व्यवस्थाओं में लाभदायक सुधार हो सके।सम्मेलन में केन्द्र सरकार के मंत्रीगण, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह श्री आर0एम0 श्रीवास्तव तथा पुलिस महानिदेशक श्री देवराज नागर भी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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