लम्भुआ सुलतानपुर १५ अपै्रल । सरकार के बाल विकास पुष्टाहार मंत्रालय के संयोजन मे आंगनबाडी केन्द्रो के माध्यम से नैनिहालो व गर्भवती महिलाओ के पोषण हेतु मिलने वाला पुष्टाहार बाजारो मे पशु आहार के रुप मे बेचा जा रहा है ।
सरकार के नैनिहालो व गर्भवती महिलाओ की सेहत सुधारने के लिए लाखो करोडो रुपये व्यय कर पुष्टाहार तैयार करवा कर ऑगनबाडी केन्द्रो के माध्यम से वितरण कर रही है लेकिन लाख प्र्रयास के बावजूद भी पुष्टाहार ऑगनबाडी केन्द्रो मे इन सब के बीच न बंटकर बाजार मे पशुआहार के रुप मे आसानी से उपलब्ध है जिसे लोग अपने मवेशियो का खिलाकर दुग्ध उत्पादन बढ़ा रहे है ।
कागजों मे आंगनबाडी केन्द्रो से लेकर प्रा० वि० तक पुष्टाहार वितरण का कार्य पूरी ईमानदारी व पारदर्शिता से होता है जब कि इससे ही हट कर सब कुछ हो रहा है न तो बच्चो को रोस्टर के मुताबिक पुष्टाहार वितरित किया जा रहा है और न ही इन केन्द्रो पर उल्लिखित बच्चे उपस्थित होते है।
अगर केन्द्रो पर गुणवत्त्ता व पारदर्शिता के हिसाब से पुष्टाहार का वितरण किया जाता है तो क्या मवेशियो के लिए भी सरकार ने अलग से पुष्टाहार की व्यवस्था कर रखी है जो बाजारो मे पशुआहार के रुप मे सहजता से उपलब्ध है।
कस्बो व गॉवो मे गर्भवती महिलाओ व नैनिहालो हेतु अनुबन्धित बाल पुष्टाहार मवेशिवो के लिए १०० रुपये मे बेचा जा रहा है वही पर मवेशियो के लिए उपलब्ध पशु आहार व चूनी आदि को कीमत पुष्टाहार से कई गुना ज्यादा है जबकि कम दाम मे मिलने वाला पुष्टाहार पशु आहार से कई गुना ज्यादा फायदे मंद है इसीलिए मवेशी रखने वाले इन केन्द्रो के माध्यम से हर बार ज्यादा बोरी की मांग करते है जिसे केन्द्रो की संचालिकायें रुपये की चाहत मे नौनिहालो के मुख का निवाला छीन कर बेचने मे गुरेज नही करती है ।
वास्तव मे पुष्टाहार तो मवेशी खा रहे है और कागज मे बच्चो को खिलाया जा रहा है और कागज मे बच्चो को खिलाया जा रहा है क्षेत्र के कई गांवो के लोगो की शिकायत तो यहॉ तक है कि हमारे यहॉ तो कभी वितरण ही नही होता है। सम्बन्धित विभाग व आंगन बाडी केन्द्रो के मिली भगत से पुष्टाहार बाजारों मे पशु आहार के रुप में बिक रहा है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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