प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अभूतपूर्व सफलता एन0एच0आई0एस0 के अन्तर्गत 48 लाख बी0पी0एल0 परिवारों के लिए स्मार्ट कार्ड बनाए गए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृृत्व में प्रदेश के स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में निरन्तर प्रगति हो रही है। उल्लेखनीय है कि विगत वर्षांे स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार एवं नाकामी के लिए विभिन्न समाचार माध्यमों के सुर्खियों में रहा है। वर्तमान सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के फलस्वरूप अब यह विभाग विभिन्न सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है। जिसकी पुष्टि केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को पुरस्कृत करके की जा रही है। प्रदेश सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अहमद हसन के सतत् प्रयासों से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं का कायाकल्प हुआ है।
108 एम्बुलेन्स सेवा की सफलता के बाद बी0पी0एल0 परिवारों के निःशुल्क इलाज हेतु संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की सफलता से अन्य क्षेत्रों को भी मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में सराहनीय कार्य करने हेतु गत 08 अप्रैल, 2013 को केन्द्रीय श्रम मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खड्गे द्वारा राज्य सरकार को पुरस्कृत किया गया है।
राज्य सरकार की तरफ से सचिव मुख्यमंत्री एवं योजना के मुख्य कार्यपालक अधिकारी
श्री आलोक कुमार द्वारा त्रिवेन्द्रम (केरल) में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में पुरस्कार ग्र्रहण किया गया। इस कार्यशाला में बाराबंकी जनपद की जिलाधिकारी श्रीमती मिनिस्थी एस को भी योजनान्तर्गत उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। जबकि सैफई (इटावा) स्थित यू0पी0आर0आई0एम0एस0 को भी गरीबों को अच्छे इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पुरस्कृत किया गया।
राज्य स्तरीय सर्वर की स्थापना, जनपदों में तकनीकी सहायकों की नियुक्ति, जनपद स्तर पर मोबाइल डी0के0एम0ए0 सर्वर (लैपटाॅप) की स्थापना जैसे निर्णयों से योजना के क्रियान्वयन में काफी सुधार आया है। राज्य एवं जनपद स्तर पर कुशल प्रशिक्षकों द्वारा जनपद स्तरीय अधिकारियों एवं फील्ड स्तर के कर्मचारियों यथा गांव की आशा बहू एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री की गुणवत्तापरक प्रशिक्षण से योजना के संचालन में तेजी आई है। जनपद स्तर पर योजना के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु स्वास्थ्य शिविर एवं कार्यशालाओं को आयोजन किया गया है। लाभार्थियों को निःशुल्क परामर्श हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना राज्य स्तरीय प्रकोष्ठ (साची) में काॅल सेन्टर की स्थापना की गई है, जिसमें टोल फ्री फोन की सुविधा है। जिसका
नं0-1800 1800 4444 है एवं प्रकोष्ठ में हेल्प लाइन फोन की भी सुविधा है जिसका नं0-9198004444 है।
जिला स्तर पर जिलाधिकारी के नेतृत्व में जिला बीमा समितियों का गठन किया गया ताकि अस्पतालों की सूचीबद्धता में पारदर्शिता लाई जा सके। इस समिति में जिलाधिकारी,
मुख्य चिकित्सा अधिकारी/डी0के0एम0ए0 तथा चयनित बीमा एजेन्सी के प्रतिनिधि को शामिल किया गया है। समिति द्वारा आपसी विचार-विमर्श के उपरान्त अस्पतालों को सूचीबद्ध करने की सिफारिश स्टेट एजेन्सी फाॅर कम्प्रीहेन्सिव हेल्थ इंश्योरेन्स (साची) को भेजी जाती है।
प्रक्रिया में आई तेजी और त्वरित निर्णयों के चलते अभी तक 1486 अस्पताल सूचीबद्ध किए जा चुके हैं, जिनमें से 823 निजी क्षेत्र के हैं, जबकि 663 सरकारी क्षेत्र के है तथा आगामी चरण में प्रयास है कि योजना के अन्तर्गत राजकीय चिकित्सालयों की भागीदारी और अधिक बढ़ाई जाए। इस हेतु प्रत्येक जिला अस्पताल में एक जन सम्पर्क अधिकारी (पी0आर0ओ0) की भी व्यवस्था की गई है। समस्याओं के समाधान के दृष्टिकोण से पहली बार वाद निस्तारण पद्धति अपनाई गई, जिसमें असंतुष्ट वादी अपनी अपील पहले जिला स्तर पर फिर राज्य स्तर पर कर सकते हैं।
योजना के अन्तर्गत स्मार्ट कार्ड धारक परिवार एक वर्ष के लिए फ्लोटर आधार पर
30 हजार रुपये के हेल्थ केयर कवर का हकदार है। इसके अन्तर्गत पूर्व निर्धारित
1090 बीमारियां/पैकेजेज, जिनमें रोगी को इंडोर ट्रीटमेन्ट देय होगा, सम्मिलित हैं। इसमें रोगी को भोजन तथा अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर 100 रुपये प्रतिदिन का यातायात खर्च देय है। परन्तु इसकी सीमा अधिकतम 1000 रुपये प्रतिवर्ष निर्धारित है। इस योजना में देय वार्षिक प्रीमियम का 75 प्रतिशत केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है, जबकि बचे हुए 25 प्रतिशत का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। लाभार्थी को मात्र 30 रुपये का योगदान देना होता है, जबकि सरकार लगभग 470 रुपये प्रति परिवार की दर से भुगतान करती है।
योजना के विगत चरण से निकाले गए निष्कर्षाें के आधार पर योजना में आधारभूत सुधार किया गया। इस वर्ष जमीनी स्तर पर योजना के संचालन में ठोस निर्णय लिए गए, जिसके उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं। गत चरण में अस्पतालों के सुस्त भुगतान प्रक्रिया के चलते सूचीबद्ध अस्पतालों का योजना से मोह भंग होने लगा था। इस स्थिति की समीक्षा करते हुए योजना की खामियों को तकनीक की सहायता से दूर किया गया और राज्य स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा करने के साथ-साथ इसके लिए एक सर्वर की भी स्थापना की गई। इन प्रयासों के चलते इस योजना मंें चमत्कारी परिणाम सामने आए और सूचीबद्ध अस्पतालांे के सभी दावों के
74 प्रतिशत का निस्तारण महज 30 दिन के अन्दर कर दिया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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