Categorized | लखनऊ.

‘‘विद्यालयों में जनशक्ति निर्धारण पूरी तरह गलत’’

Posted on 03 April 2013 by admin

02 अप्रैल। उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षक संघ ने, सचिव, माध्यमिक शिक्षा, उ0प्र0 शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुक्रम में प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में किए जा रहे, जनशक्ति निर्धारण सम्बन्धी आदेश को सिरे से खारिज कर इसे औचित्यविहीन करार देते हुए, उसे तत्काल रोके जाने की मांग की है।
ज्ञातव्य है कि सचिव, माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन के एक आदेशानुसार प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 1986 की छात्र संख्या को आधार मानकर, जनशक्ति के निर्धारण की प्रक्रिया प्रारम्भ की गयी है, जिसके परिणाम स्वरूप, प्रदेश में लगभग 17,000 शिक्षकों को अधिसंख्य मानते हुए उनके वेतन निर्गमन पर रोक लगाने का कार्य चल रहा है। इस प्रक्रिया को औचित्यविहीन बताते हुए आज उत्तर प्रदेश माध्यममिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं प्रवक्ता डा0 महेन्द्र नाथ राय ने, स्थानीय काली चरण इण्टर कालेज में पत्रकारों से प्रेस वार्ता की। डा0 राय ने शासन के आदेश को असंगत, तथ्यों से परे तथा औचित्यहीन बताया। उन्होंने कहा कि प्रथमतः तो मा0 शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता एवं विद्यालयों में मानकानुरूप सृजित पदों के विरूद्ध 1986 की छात्र संख्या को आधार मानकर किए जा रहे जनशक्ति का निर्धारण ही असंगत है, द्वितीयतः यदि यह आवश्यक भी हो तो, वस्तुस्थिति, एजूकेशन एक्ट के प्राविधानों तथा समय-समय पर एक्ट में किए गए परिवर्तनों, परिवर्धनों को दृष्टिगत रखते हुए उनकी व्यापक समीक्षा करने के उपरान्त ही किसी प्रकार का निर्णय लेना अधिक उपयुक्त होगा। डा0 राय ने बताया कि इण्टरमीडिएट कक्षाओं में प्रति सेक्शन, प्रति विषय 02 प्रवक्ता तथा कक्षा 06 से 10 तक प्रति सेक्शन डेढ़ अध्यापकों की नियुक्ति का प्राविधान एक्ट में किया गया है। अतः प्रवक्ता वेतनक्रम में तो किसी भी प्रकार से जनशक्ति को कम ही नहीं किया जा सकता किन्तु जनशक्ति निर्धारण कर्ताओं द्वारा एक्ट के प्राविधानों की जानकारी न होने के कारण- प्रवक्ता वेतनक्रम में भी पद कम कर दिये गये जो कि नितान्त अव्यावहारिक, और अवैधानिक है।
इसी प्रकार कक्षा 06 से 10 तक प्रति सेक्शन डेढ़ अध्यापकों का प्राविधान एक्ट में किया गया है, इसी के साथ ही साथ, संगीत, कला, गृह विज्ञान, काष्ट कला, पुस्तक कला, वाणिजय, खेल, नैतिक शिक्षा, त्रिभाषा फार्मूला के अन्तर्गत हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी तथा यदि उर्दू की मान्यता है तो उर्दू के अध्यापक अतिरिक्त होने चाहिए, इनकी छात्र संख्या के मानक के अन्तर्गत गणना नहीं की जानी चाहिए। जनशक्ति के निर्धारण में, इन प्राविधानों का ध्यान नहीं रखा गया है तथा उक्त विशेष श्रेणी के शिक्षकों को भी सामान्य श्रेणी का मानते हुए जनशक्ति का निर्धारण कर दिया गया है- यह तथ्य जनशक्ति निर्धारणकर्ताओं की अल्पज्ञता को दर्शाता है।
डा0 राय ने कहा कि सृजित पदों की संख्या को बढ़ाया तो जा सकता है किन्तु कम किसी भी हालत में नहीं किया जा सकता क्योंकि छात्र संख्या हो सकता है कभी घट जाये, किन्तु उसकी वृद्धि से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। छात्र संख्या बढ़ने पर तत्काल पद सृजन नहीं मिलता ऐसी स्थिति में छात्र का नुकसान होता है- अतः सृजित पदों की कटौती संभव नहीं। अतः शासन का यह आदेश पूरी तरह से विसंगति पूर्ण एवं अधिकारियों के अल्पज्ञान व सनक मिजाजी का द्यौतक है।
डा0 राय ने बताया कि उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षक संघ, शिक्षा के राष्ट्रीयकरण कर, पड़ोसी विद्यालय प्रणाली लागू किये जाने, अद्यतन कार्यरत तदर्थ शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों के विनियमितीकरण किये जाने, सी0टी0 गे्रड से एल0टी0 ग्रेड में संविलयित शिक्षकों को सी0टी0 ग्रेड की सेवा का लाभ देते हुए वेतन निर्धारण किये जाने, वित्त विहीन शिक्षकों की सेवा का प्रमाणीकरण कर बैंक से मानदेय दिये जाने, मा0 विद्यालयों में स्नातक योग्यताधारी मृतक आश्रितों की शिक्षक पद पर नियुक्ति कर सेवाकालीन प्रशिक्षण दिये जाने, नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू किये जाने, एल0टी0 शिक्षकों को समयवेतन हेतु परास्नातक योग्यता की बाध्यता को समाप्त किये जाने, मा0 शिक्षा परिषद की परीक्षाओं में पारिश्रमिक दरों में वृद्धि किये जाने, विषय विशेषज्ञ शिक्षकों को पूर्ण सेवा का लाभ दिये जाने तथा व्यावसायिक शिक्षकों को स्थायी शिक्षक का दर्जा दिये जाने, अर्हताधारी शिक्षणेत्तर कर्मियों की शिक्षक पद पर पदोन्नति किये जाने, 01 जनवरी 86 से 89 तक सी0टी0 गे्रड में नियुक्त शिक्षकों को एल0टी0 वेतनमान में आमेलित किये जाने, व्यावसायिक एवं कम्प्यूटर प्रशिक्षकों को शिक्षक का दर्जा दिये जाने, मा0 शिक्षा परिषद के पुर्नगठन किये जाने तथा राज्य कर्मचारियों की भांति शिक्षकों को भी चिकित्सा सुविधा दिये जाने सहित अन्यान्य मांगों की लड़ाई सशक्तता के साथ लड़ रहा है। शासन स्तर पर हुयी वार्ताओं में अभी तक आश्वासनों के अतिरिक्त कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण प्रदेश में वर्तमान सरकार के प्रति व्यापक असंतोष है तथा संगठन ने मा0 शि0 परिषद की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने की घोषणा कर रखी है। इस दशा में शासन का यह निर्णय, शिक्षकों का ध्यान भटकाने, उन्हें मानसिक रूप से प्रताडि़त करने तथा संगठन के संघर्ष की धार कुन्द करने का एक कुत्सित प्रयास है।
डा0 राय ने कहा कि सरकार अपनी चालबाजियों से बाज आए, क्योंकि यह सरकार पूर्ववर्ती माया सरकार के शिक्षक विरोधी कारनामों का ही परिणाम है और यदि इस सरकार द्वारा भी शिक्षक विरोधी, जन विरोधी कार्य किये गये तो, इतिहास का चक्र एक बार पुनः बदलेगा और शिक्षकों को अन्य विकल्पों पर भी विचार करना पड़ेगा, ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी का ‘‘लक्ष्य 2014 का स्वप्न’’ दिवा स्वप्न ही साबित होगा।
डा0 राय के साथ प्रेस वार्ता में मौजूद संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संयोजक तेज नारायन पाण्डेय ‘तेजेश’, शिक्षक नेता सुशील त्रिपाठी (मंडलीय मंत्री), जिलाध्यक्ष- निर्मल कुमार श्रीवास्तव, रामचन्द्र गौतम ने कहा है कि समय रहते सरकार चेते, अन्यथा शिक्षकों के संघर्ष की आंच में सरकार का रेत का महल कुछ ही क्षणों में धराध्वस्त हो जाएगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in