31 मार्च। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर सभागार में आयोजित ‘विश्व एकता सत्संग’ में बोलते हुए प्रख्यात शिक्षाविद् तथा सीएमएस की संस्थापिका-निदेशिका और बहाई अनुयायी डाॅ. भारती गाँधी ने कहा कि अपने परिवार तथा ईष्ट-मित्रों के मोह जाल में फंसे होने के कारण हम सांसारिक संपदा जोड़ने में लगे रहते हैं तथा ईश्वर से दूर होते जाते हं। ईश्वर ने संसार में जितनी भी वस्तुएं सृजित की हैं, वह मनुष्य के भोग के लिए है परन्तु ईश्वर ने आत्मा का स्थान मनुष्य के हृदय में बनाया है ताकि इसे परमात्मा के ध्यान में लगाया जा सके और आत्मा का परमात्मा से मिलन हो सके। आत्मा का परमात्मा के निकट होना स्वर्ग तथा उनसे विलग होना ही नर्क है। हमें राजा जनक, जो कि विदेह भी कहलाते हैं, के समान अपने शरीर का ही हमेशा ध्यान न रखते हुए ईश्वर के बताये मार्ग पर चलना चाहिए, तभी हमारी आत्मा का विकास होगा और हम प्रभु के निकट होते जायेंगे तथा हमारा जीवन सफल होगा।
सत्संग में अपने विचार रखते हुए श्री तुलाराम जी ने कहा कि हमें हमेशा अच्छे कर्म करने का संकल्प लेना चाहिए। अमीर-गरीब तथा गोरे-काले का भेट मिटाकर मानवता की सेवा करना एवं संसार को एकता के सूत्र में पिरोना ही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार श्री बीर विक्रम बहादुर मिश्र ने कहा कि जो मनुष्य विद्वान होते हुए भी अज्ञानतावश अपने जीवन को भौतिकता से जोड़े रखते हैं, उनका जीवन व्यर्थ चला जाता है। मायावी संसार में भटकने से अपने को बचाने के लिए हमें ईश्वर में आस्था जगानी होगी। सबकुछ ईश्वर का ही है, ऐसा मानकर हमें उनके आदेश का पालन करना होगा तभी हमारी आत्मा प्रभुलोग में जाकर उन्हीं में विलीन होगी और हमारा जीवन सफल होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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