30 मार्च। संयुक्त राष्ट्र मानवीय अधिकार काउन्सिल ने 22 मार्च को भारी बहुमत से ईरान में हो रहे मानवीय अधिकारों के उल्लघन की जांच को जारी रखने के पक्ष में अपना मत प्रकट किया। इस मतदान के पक्ष में 26 मत पड़े जबकि 2 मत विपक्ष में एवं 17 अनुपस्थित रहे। यह मतदान जाँचकर्ता अहमद शहीद व संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून द्वारा प्रस्तुत नई रिर्पोट के उपरान्त किया गया। इन दोनों रिपोर्टों ने ईरान सरकार द्वारा लगातार किये जाने वाले मानवाधिकारों के उल्लघंन के प्रति गम्भीर चिन्ता जताई। इस रिपोर्ट में ईरान द्वारा बहाई समुदाय पर किये जा रहे अत्याचारों, गलत तरीके से पत्रकारों व वकीलों को हिरासत में रखने एवं महिलाओं व अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव पर विस्तृत चर्चा की गई है।
ईरान में मानवीय अधिकारों की स्थिति पर विशेष संवाददाता श्री शाहिद ने अपनी 66 पृष्ठ की रिर्पोट को काउन्सिल के समक्ष एक भाषण द्वारा प्रस्तुत किया। ईरान में हो रहे धार्मिक पक्षपात व उत्पीड़न के सन्दर्भ में श्री शाहिद कहते हैं कि मौजूदा समय में 990 बहाईयों को अपने धर्म का पालन करने की वजह से ईरान में बंदी बना कर रखा हुआ है, लगभग 13 प्रोटेस्टेन्ट ईसाइयों को ईरान के विभिन्न स्थानों में बंद कर के रखा हुआ है, व दर्विश, यरासन धर्म के अनुयायी व सुन्नी मुसलमान उनके अत्याचार की नीति का लगातार शिकार होते हैं, जिससे देश भर में अल्पसंख्यक धर्मों की स्थिति काफी चिन्ताजनक बनी हुई है।
जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बहाई अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिनिधि सुश्री डायने अलाई का कहना है कि - ‘‘ईरान को काउन्सिल के साथ सहयोग करते हुए श्री शाहिद को अपने देश में आने देना चाहिये, जिससे वे अपना कार्य कर सके। अभी तक श्री शाहिद को ईरान में न आमन्त्रित किया जाना इस बात का प्रमाण है कि ईरान सरकार अन्तर्राष्ट्रीय मानवीय अधिकारों की कितनी अवहेलना करती है।’’
काउन्सिल को श्री मून की रिर्पोट ने बहाइयों की गिरफ्तारी व बन्दी बनाए जाने के बढ़ते हुए केसों पर भी ध्यान आकर्षित किया व ‘बहाई विरोधी मीडिया अभियान’ की चर्चा की जिसकी वजह से बहाई सदस्यों व उनकी जायदाद पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। सुश्री अलाई के अनुसार ‘‘सालों से, ईरान की सरकार ने सत्य जाहिर करने वाले कागजातों जिनमें साफ जाहिर होता है कि नागरिकों को किस तरह दबाया जाता है एवं जो अन्तर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ है, से अपना मुँह मोड़ा है व अनगिनत बहाने बनाए हैं और दूसरों पर इल्जाम लगाया है - परन्तु अब इस मतदान से साफ पता चलता है कि विश्व में उसकी सुनवाई नहीं है।’’
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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