लखनऊ- आज राजधानी में आयोजित भव्य समारोह में टैगोर साहित्य पुरस्कारों के विजेता लेखकों का कोरिया की प्रथम महिला माननीय सुश्री किम यून-ओ ने अभिनन्दन किया। इस अवसर पर भारत के कला, साहित्य और सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़ी कई हस्तियां भी मौजूद थीं।
साहित्य अकादमी और सैमसंग द्वारा स्थापित पहले टैगोर साहित्य पुरस्कार 2009 से भारतीय भाशाओं के लेखकों को सम्मानित किया गया - बंगाली, बोडो, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, पंजाबी और तेलुगू। पहले टैगोर साहित्य पुरस्कार 2009 के लिए निबंध, काव्य, जीवनवृत्त/आत्मवृत्त जैसी विभिन्न विधाओं के आधार पर लेखकों का चयन किया गया। आठ भारतीय भाषाओं की जिन कृतियों को चुना गया वे 2005-08 के दौरान की हैं। प्रथम टैगोर साहित्य पुरस्कार के विजेता हैं - श्री आलोक सरकार, बंगाली (अपापभूमि) ( श्री ब्रजेन्द्र कुमार ब्रह्मा, बोड़ो (रायथायहाला), डॉ भगवानदास पटेल, गुजराती (मारी लोकयात्रा) श्री राजी सेठ, हिन्दी (गम-ए-हयात ने मारा) सुश्री नसीम शफई, कश्मीरी (ना थसे ना अकास) डॉ चन्द्रशेखर कंबर, कन्नड़ (शिकारा सूर्या) श्री जसवन्त सिंह कंवल, पंजाबी (पूनया दा चानन) प्रोफेसर कोवेला सुप्रासानाचार्य, तेलुगू (अन्तरंगम)।
टैगोर साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर माननीय श्री यू इन चोन, संस्कृति, खेल-कूद और पर्यटन मन्त्री, कोरिया श्री जवाहर सरकार, सचिव, संस्कृति मन्त्री, भारत सरकार, श्री सुनील गंगोपाध्याय, अध्यक्ष, साहित्य अकादमी( श्रीशर्मिला टैगोर) फिल्म अभिनेत्री ,प्रोफेसर पबित्र सरकार, टैगोर स्कॉलर और पूर्व कुलपति, रबिन्द्र भारती यूनीवर्सटी( डॉ रेबा सोमा, निदेशक, रबिन्द्रनाथ टैगोर सेंटर, कोलकाता( श्री वाई डब्ल्यू ली, उपाध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सैमसंग इलैक्ट्रॉनिक्स और श्री श्री जुंगसू शिन, अध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सैमसंग दक्षिण पिश्चम एशिया मुख्यालय भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री जुंगसू शिन, अध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सैमसंग दक्षिण पिश्चम एशिया मुख्यालय ने कहा, ´´टैगोर साहित्य पुरस्कार भारतीय साहित्य में उत्कृश्टता को सम्मानित करने के साथ साथ बढ़ावा देने के इरादे से शुरू किए गए हैं और इस तरह ये भारतीय साहित्य निधि को और भी समृद्ध बनाएंगे। गुरुदेव रविन्द्रनाथ ठाकुर की स्मृति में शुरू किए गए ये पुरस्कार विभिन्न धर्मों, प्रान्तों और संस्कृतियों के लोगों को आपस में जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उल्लेखनीय है कि गुरुदेव को कोरिया में भी उतना ही सम्मान हासिल है जितना यहां भारत में है।“
इस मौके पर श्री अग्रहारा कृष्ण मूर्ति, सचिव, साहित्य अकादमी ने कहा, ´´भारतीय भाषा साहित्य की बेहतरीन कृतियों को सम्मानित करने के लिए कोरियाई सरकार तथा दिल्ली स्थित कोरियाई दूतावास की पहल पर शुरू किए गए टैगोर साहित्य पुरस्कार वास्तव में, जोरदार कदम है। ये पुरस्कार दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक तथा साहित्यिक सम्बंधों को मजबूती देंगे।“
टैगोर साहित्य पुरस्कार हर साल आठ अलग अलग भाशाओं में सर्वश्रेश्ठ साहित्यिक योगदान करने वाले रचनाकारों को सम्मानित करेंगे और तीसरे साल के अन्त तक सभी 24 भाशाओं को इनके दायरे में शामिल कर लिया जाएगा। इस तरह, हर साल जिन 8 भाषाओं को चुना जाएगा उन्हें आगे क्रमानुसार फिर पुरस्कृत किया जाएगा।
पुरस्कार वितरण समरोह के बाद एक भारतीय और कोरियाई बच्चों द्वारा टैगोर की कविताओं का पाठ किया गया। जाने माने टैगोर स्कॉलर प्रोफेसर पबित्रा सरकार ने गुरुदेव की कृतियों और उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं का ब्योरा प्रस्तुत किया। इसके बाद अमान और अयान अली खान ने सरोद पर रविन्द्र संगीत प्रस्तुत किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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