सुलतानपुर २४ मार्च । फाल्गुन का आगमन हो चुका है जिसकी साक्ष्य रंगो का त्योहार होली से हो रही है मगर बिडम्बना यह है कि पेट्रोल डीजल के निरंतर बढ रहे दाम के कारण रोजमर्रा की सभी चीजें मंहगी हो रही है जिससे आम आदमी का जीना मोहाल हो गया है इस मंहगाई ने त्योहार का रंग भी फीका कर दिया है।
मंहगाई और भ्र्रष्टाचार के कारण आम जनता का सरकार और उसकी नीतियो से तंग आ चुकी है जिसकी वजह से रंगो का त्योहार बदरंग हो चुकी है । आज पूरे देश मे केन्द्र और प्रदेश सरकार पर सवालिया निशान चुकी है ।
एक तरफ सरकार अपनी खोखले वादे और कार्य प्रणाली से लोगो का मानसिक और आर्थिक उत्पीडन कर रही है । केन्द्र सरकार कई दिनो से विवादो से घिरी हुई है । एक तरफ सरकारे अपने कार्य प्रणाली और अपने रुप से शोषण कर रहे है ।
एक तरफ जनता राजनीति मे प्रत्यक्ष और आप्रत्यक्ष रुप से अपनी सहभागिता देकर अपने विकास और देश को मजबूती देने का कार्य करती है । परन्तु ये नेता केवल अपने और अपने ही स्वार्थ के लिए प्रयोग करते है । जहां युवा पीढियो को इस क्षेत्र मे आंमत्रण देकर सुशासन को ढोगा राग रचाने का खेल खेला जा रहा है और यही दिग्गज नेता भी इन्हे भी दिशा भ्रमित करने से बाज नही आ रहे है। जिस प्रकार किसी रंग मंच पर अभिनेता तो सामने होकर नाटय में रंग भरता पर पर्दे के पीछे निर्देशन कोई और करता है।
ठीक उसी प्रकार यें सरकारें सामने न होकर देश में हो रहे अति ज्वलंतशील क्रियाओं के पीछे से निर्देशन का कार्य कर रहे है। देश तो आजाद हो गया है, परन्तु भ्रष्टाचार ने देश और नागरिकों को अभी भी अपने को गुलाम बनाये रखे हुये है। आजादी का अर्थ यह नहीं है कि केवल स्वाधिनता, आजादी का अर्थ है देश की उन्न्नति और विकास किन्तु आज ये भ्रष्ट सरकारें केवल मानव जाति का हनन कर रही है।
देश पर सबसे ज्यादा शासन करनी वाली सरकार भी अपने अस्तित्व और वर्चस्व को बचाने में नकामयाब साबित हो चुकी है। आज आमजनता को तो आज अपने को आजादी और उन्न्नति का स्वप्न देख रही है, किन्तु यह सब अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है। होली के पावन अवसर पर लोगों में गुझियां मिठास खत्य हो चुकी है।
सदभावना के रंगों का त्यौहार रंगविहिन हो चुकी है। भ्रष्टाचार और मंहगाई के कारण लोगों में उत्साह की कमी हो चुकी है। जिससे उनके त्यौहारों पर मानों ग्रहण सा लग गया है। इनकी प्रणाली पर अपनी सहभागिता दे रहे ये अधिकारीगण भी आमजनता में त्यौहारो के रस में विष घोल रहे है, लेकिन यें सरकारें केवल अपना मेकअप कर लोगों को भ्रमित करी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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