दिनांक 20 मार्च, 2013
उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आज़म खाँ ने कतिपय विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के भ्रष्ट आचरण की शिकायतों पर कड़ा रुख अपनाते हुये निर्णय लिया है कि नगर विकास व अल्पसंख्यक कल्याण विभागों एवं इनसे जुड़ी अन्य संस्थाओं के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को छोड़कर अन्य सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को अपनी स्वयं की तथा उन पर आश्रित पुत्र, पुत्रियों एवं पत्नी की चल-अचल सम्पत्ति व बैंक में जमा धनराशि तथा अन्य बेनामी सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा एक घोषणा-पत्र के साथ अनिवार्य रूप से 15 दिनों के अन्दर उन्हें (नगर विकास मंत्री को) प्रस्तुत करना होगा।
इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव, नगर विकास एवं सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण को एक पत्र के माध्यम से निर्देश देते हुये श्री खाँ ने लिखा है कि जो अधिकारी/कर्मचारी अपनी चल-अचल सम्पत्तियों की घोषणा नहीं करना चाहेंगे, उन पर कोई दबाव नहीं होगा, लेकिन उनके सम्बन्ध में जाँच हेतु आर्थिक अपराध शाखा को लिखा जायेगा। इस पत्र की प्रति उन्होंने मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव को भी भेजी है।
नगर विकास मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि समाज व सामाजिक व्यवस्था में बढ़ते हुये भ्रष्टाचार का कोई संज्ञान ले या न लें, किन्तु उनका यह दायित्व है कि वह अपने विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के आचरण का संज्ञान लें। उन्होंने लिखा है कि चुनाव के समय सभी प्रत्याशियों के लिए अपनी चल-अचल सम्पत्ति का पूरा विवरण देना अनिवार्य है और उन्होंने स्वयं भी अपनी चल-अचल सम्पत्ति घोषित की है। उन्होंने लिखा है भ्रष्ट आचरण के चलते विभागांे की छवि खराब हो रही है, इस लिये जरूरी है कि सभी विभागीय अधिकारियों द्वारा अपनी सभी चल-अचल सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा घोषित किया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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