दिनांक 19 मार्च, 2013
उत्तर प्रदेश नगर विकास व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खाँ ने नगर निगम द्वारा लखनऊ में अपट्रान कार्यालय को लीज पर दी गयी जमीन से संबंधित सभी पत्रावलियों के गायब हो जाने की सूचना पर गम्भीर रुख अपनाते हुये प्रमुख सचिव नगर विकास को इस प्रकरण की जाँच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। इस जाँच के लिये प्रमुख सचिव, नगर विकास की अध्यक्षता में उन्होंने एक समिति गठित की है, जिसके सदस्य विशेष सचिव, नगर विकास श्रीप्रकाश सिंह, निदेशक स्थानीय निकाय व निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण होंगे। श्री खाँ ने इस जाँच समिति को यह भी सुझाव देने के निर्देश दिये हैं कि इस सम्पत्ति को कैसे बचाया जा सकता है और इस प्रकरण में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ सी.आर.पी.सी. की धाराओं के तहत क्या कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
प्रमुख सचिव, नगर विकास को इस सम्बन्ध में लिखे अपने पत्र में नगर विकास मंत्री ने लिखा है कि लखनऊ स्थित अपट्रान कार्यालय नगर निगम, लखनऊ की जमीन पर है और उसे लीज पर दिया गया था। मुझे सूचना मिली है कि उसकी सभी पत्रावलियाँ गायब हो गई हैं। इस सूचना ने विभाग की छवि के साथ-साथ मेरी व्यक्तिगत छवि को भी धूमिल किया है। समाचार-पत्रों और टी.वी. चैनल्स को इस प्रकरण की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी परन्तु विभाग के अधिकारीगण गहरी नींद सोते रहे और सरकार को नुकसान होता रहा। बहुमूल्य जमीन अधिकारियों द्वारा बेंच दी गयी। यदि गाजियाबाद के तत्कालीन नगर आयुक्त, जो 28 फरवरी, 2013 को सेवानिवृत्त हो गये, के द्वारा किये गये भ्रष्ट आचरण का संज्ञान ले लिया गया होता और उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो गयी होती तो शायद भ्रष्ट अधिकारी यह हिम्मत नहीं कर पाते। उन्होंने खेद व्यक्त किया है कि इस सिलसिले में मुझे कोई लिखित एवं विधिवत् सूचना नहीं दी गयी है। कोई पत्र या पत्रावली इस संबंध में मेरे समक्ष नहीं आयी है, और जो आयी भी है उसमें बहुत से दाग और बदनामी के सबब मौजूद हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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