उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास प्राधिकरणों द्वारा बिना किसी पंजीकृत अभिलेख के भूखण्डों पर बनने वाले भवनों के निर्माण हेतु नक्शे पास करने के मामलों की जांच कराने का निर्देश दिया है।
यह जानकारी आज यहां सचिवालय में स्टाम्प, पंजीयन एवं न्यायालय शुल्क तथा नागरिक सुरक्षा मंत्री राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह ने विभागीय अधिकारियों की बैठक में दिये। उन्होंने कहा कि शासन के संज्ञान में आया है कि प्रदेश मंे विकास प्राधिकरणों द्वारा बिना पंजीकृत अभिलेख के भवनों के नक्शे भी पास किये जा रहे हैं, जो नियमानुकूल नहीं हैं। इसमें स्टाम्प अपवंचन करके राजस्व की हानि पहंुचाई जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विगत चार वर्षों में आवास प्राधिकरणों द्वारा जिन भवनों के नक्शे पास किये गये हैं उनकी सघन जांच सहायक एवं उप महानिरीक्षक निबन्धन से कराई जाय।
श्री अरिदमन सिंह ने कहा कि जांच अधिकारी यह प्रमाण पत्र भी देंगे कि उनके द्वारा जांच पूर्ण कर ली गयी है तथा अब इसमें कोई स्टाम्प शुल्क की चेारी का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद अनियमितता पाये जाने पर संबंधित जांच अधिकारी दण्डित होंगे और उनके विरूद्ध विधिक कार्यवाही की जायेंगी। उन्होंने बताया कि विकास प्राधिकरण के कार्यालय में स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किये जाने वाले तलपट मानचित्रों एवं ग्रुप हाउसिंग के मानचित्रों के साथ प्रस्तुत होने वाले विलेखों तथा तत्क्रम में निर्गत होने वाले विकास अनुबन्ध, बन्धक विलेखों, कन्सोर्शियम विलेखों एवं बैंक गारण्टी विलेखों पर स्टाम्प अधिनियम 1899 के सुसंगत प्राविधानों के अन्तर्गत स्टाम्प शुल्क देय होता है। उन्होंने बताया कि अधिनियम की धारा-35 में यह व्यवस्था है कि यदि किसी अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किसी विलेख पर नियमानुसार स्टाम्प अदा नहीं है तो उस विलेख को साक्ष्य में ग्रहण नहीं करेगा तथा उसके आधार पर कोई कार्यवाही नहीं करेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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