हरदोई जिले का बेसिक शिक्षा विभाग का हर काम नायब तरीके का है थोड़ी सी दिमागी कसरत और जुगाड से सब काम सम्पन्न। ऐसा ही एक अनोखा तरीका आज कल खूब चर्चा में है। बिलग्राम प्राथमिक विद्यालय परशपुर की शिक्षिका सन्नो त्रिपाठी की शिकायत बेसिक शिक्षाधिकारी से की गई कि वह यदा कदा ही स्कूल जाती और अपना वेतन निकाल लेती। बीएसए के आदेश पर जिला समन्वयक शैलेन्द्र मिश्रा ने जांच मे पाया कि वह दूसरे विद्यालय अतरछा बुजुर्ग में सम्बद्ध की गई। लेकिन ऐसा कोई आदेश परशपुर विद्यालय में रजिस्टर पर नहीं मिला। उन्होने अपनी जांच आख्या में लिखा कि केवल 60 दिन विद्यालय जुलाई मास 2011 में उपस्थित रहीं। उसके बाद वह बाल्य देखभाल अवकाश पर बिताया। नवम्बर 11 में वह 10 दिन उपस्थित लगाकर चिकित्सीय अवकाश पर चली गई। दिसम्बर से अप्रैल 12 तक वह अतरछा बुजुर्ग में सम्बद्धता बीईओ द्वारा करवाकर गायब हो गई। 14 अप्रैल 12 से प्राथमिक विद्यालय पडौना में उनकी सम्बद्धता दिखाई गई। मई 12 से फिर उन्होने चिकित्सीय अवकाश लिया और इस प्रकार वह इस समय तैनाती मूल विद्यालय परशपुर में उनकी मिलीं डीसी द्वारा जांच आख्या बीएसए को सौंपी गई। यहां यह उल्लेखनीय है मूल विद्यालय परशपुर में वह मास में एक ही दो दिन जाती रहीं। इस प्रकार निष्कर्ष यह निकाला गया कि इन दो वर्षों में केेवल 17 दिन विद्यालय उपस्थित दर्ज हुई। उन्होने उपस्थित पर कोई भी आदेश किसी का दर्ज नहीं करवाया। इन सारे क्रिया कलापों पर बीएसए द्वारा स्पष्टीकरण मांगा गया। ठीकठाक जबाव न आने पर सेवा समाप्ति के नोटिस के निर्देश बेसिक शिक्षाधिकारी ने दिए है। नित नए खुलासे से शिक्षा विभाग में ही देखने को मिलते है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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