समाजवादी पार्टी सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल महज मंत्रियों के आपसी झगड़े, जैसे कैबिनेट मंत्री पर राज्य मंत्री द्वारा घोटाले का गंभीर आरोप लगाये जाने, एक मंत्री द्वारा अपने ही जिले के वरिष्ठ अधिकारी का अपहरण कर मारपीट करने, जघन्य अपराध में संलिप्त व्यक्ति को राज्यमंत्री दर्जा दिये जाने, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता द्वारा मीडियाकर्मी से बदसलूकी से लेकर ताबड़तोड़ हत्या, बलात्कार, लूट की घटनाओं में हुई बेतहाशा वृद्धि, जिलों-जिलों में हुए साम्प्रदायिक दंगों के चलते कुल मिलाकर पूरा वर्ष अराजकता की भेंट रहा और सरकार सभी मोर्चे पर विफल रही।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इन्हीं सब कारणों से प्रदेश सरकार का ध्यान विकास की तरफ गया ही नहीं और वह सिर्फ मंत्रियों के झगड़े में ही उलझकर रह गयी, जिसकी वजह से राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2012 के बजट में निर्धारित किये गये विकास कार्यों का धन आधे से भी कम खर्च कर पाने के कारण विकास कार्य बाधित हुए और प्रदेश विकास में पिछड़ता गया।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों एवं नाकामियों के कारण प्रदेश पूरी तरह से विकास से दूर रहा, जिसके चलते बेरोजगारी बढ़ी। प्रदेश सरकार की नीतियां किसान विरोधी, महिला विरोधी, व्यापारी विरोधी रहीं जिसके चलते अराजकता की स्थिति इतनी भयावह हो गयी कि आम आदमी का जीना दुश्वार हो गया। नोएडा में मिलों में हुई आगजनी और लूट को रोकने में जिस प्रकार सरकार फेल रही, जिससे व्यापारियों में सरकार ने अपनी विश्वसनीयता खोई, नतीजा यह हुआ कि व्यापारी प्रदेश में निवेश करने के लिए तैयार नहीं हैं। प्रदेश में हुए सिलसिलेवार साम्प्रदायिक दंगे, अधिकारियों की हत्या एवं उत्पीड़न एवं इन घटनाओं में सत्तारूढ़ दल के नेताओं की संलिप्तता एवं पुलिस पर हुए हमले से आम आदमी इस कदर भयभीत है कि मुरादाबाद में नाबालिक लड़की ने गुण्डों के आतंक एवं पुलिस की अर्कमण्डयता के चलते आत्महत्या का प्रयास करने को मजबूर हो गयी।
श्री अग्रवाल ने कहा कि इतना ही नहीं विकास के मूल स्रोत बिजली उत्पादन के लिए कोई भी योजना बनना तो दूर पूर्व की जो विद्युत इकाइयां उत्पादन कर रही हैं उनका भुगतान न होने के कारण वह भी बिजली देने में असमर्थता जता रही हैं, जिसके चलते प्रदेश मंे विजली समस्या चरम पर पहुंच गयी है और खेद का विषय है कि सरकार अभी से ही बिजली की मांग पूरी करने के लिए अपने हाथ खड़े करने को मजबूर हो गयी है।
प्रवक्ता ने कहा कि सपा सरकार की किसान विरेाधी नीतियों के चलते ही सरकार ने किसानों को बकाया गन्ना मूल्य भुगतान दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली जिस कारण अभी तक गन्ना किसानों का बकाया मूल्य लगभग 3800 करोड़ रूपये भुगतान नहीं हुआ है और किसान आंसू बहा रह है। सरकार द्वारा किसानों के कर्जमाफी की बात कहना हास्यास्पद है क्योंकि केवल कोआपरेटिव बैंक से 50हजार रूपये ऋण लिये कुछ चंद किसान ही इस योजना में शामिल हो सके। इसी प्रकार कन्या विद्याधन, बेरोजगारी भत्ता के बारे में सरकार द्वारा वाहवाही लूटना भी भ्रामक है क्योंकि इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा कुछ चंद ही कन्याओं एवं बेरोजगारों को चिन्हित करके इसके दायरे में लाया गया है, अधिसंख्य इस योजना के लाभ से वंचित हैं जिसके कारण उनमें आक्रोश व्याप्त है।
प्रदेश में हुए 27 से अधिक साम्प्रदायिक दंगे राज्य की कानून व्यवस्था की कलई स्वतः खोल रहे हैं। अल्पसंख्यक हितैषी होने का खोखला दावा करने वाली सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाएं ठप पड़ी हैं और वह कागज तक ही सीमित रह गयी हैं। कब्रिस्तानों की चहारदीवारी, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में स्कूलों के निर्माण आदि योजनाएं अभी तक धरातल पर नहीं आ पायी हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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