स्वास्थ्य मंत्री की लगातार कोशिशों और फटकार के बावजूद किंगजार्ज मेडिकल कालेज में दवा विक्रेताओं की साठ गाॅठ के कारण गरीब मरीज बाहर की दवाऐं खरीदने के लिये मजबूर हो रहे है। जहाॅ सरकार द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देश दिये गये है कि सरकारी डाक्टर सिर्फ जिनेटिक ड्रग नाम ही परचे पर लिखेगे लेकिन इन निर्देशों को धता बताते हुऐ कम्पनियों के ब्राण्ड नेम की दवा लिख रहे जिसके कारण 5 रूपये मूल्य की दवा गरीब मरीज को 120 रूपये मंे खरीदना पड़ रही है। पिछले दिनों सरकारी डाक्टरों के गोरखधन्धे पर छानबीन करने की कोशिश की गयी तो अनेक चैकाने वाले तथ्य प्रकाश मंे आये है। सरकारी कई डाक्टर के कमरो में एम.आर. का हमेशा डेरा डला रहता है। जिसके कारण फर्जी कम्पनियों जिनकी दरे शासन (सी.एम.एस.डी.) से अनुबन्धित नही इन दवाओं की दरे अनुबन्धित से 500 गुना अधिक दरों वाली दवायें, छोटी पर्चो पर लिखते है। कई डाक्टरांे में कुछ डाक्टर तो पैसा कमाने के लिये इतने मदमस्त है कि मरीज का पर्चा हाथ मंे आते है दो चार फर्जी कम्पनियों की दवायें लिख देते है बाद में मरीज से पूछते है कि बताओं क्या तकलीफ है तब तकलीफ की दवायें लिखी जाती है मेडिकल कालेज के बाहर जितनी भी दुकाने है सभी पर डाक्टरों की फर्जी कम्पनियों की दवाओं की भरमार है। यह हाल तब जब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन अपने स्तर से सभी विभागाध्यक्षों की कार्यशाला आयोजित करवाकर तथा विभागाध्यक्षों को अपने अधीन डाक्टरों को भी गरीब मरीजों के हित में इलाज करने दवायें लिखने की शिक्षा दे रहे है। वही दूसरी ओर तमाम डाक्टर है जो मरीजों को अपनी कमाई का जरिया समझ रहे है। मेडिकल कालेज में जूनियर डाक्टरों को तो इससे भी बुरा हाल है। गिफ्ट के चक्कर में कैसी भी दवायें लिफ्ट करा रहे है।
मेडिकल कालेजों व जिला चिकित्सालयों में दवा फ्री देने तथा निःशुल्क अथवा कम कीमत पर विभिन्न प्रकार की जांचे करने प्रवाधान है लेकिन डाक्टर सरकारी जाॅच पर प्रश्न चिन्ह लगाकर मरीजों को बाहर से जाॅच कराने के लिऐ प्रेरित करते है। जिन्दगी और मौत से लड़ते मरीजों के साथ लगातार हो रही लूट को रोकने के लिये सरकार कब कड़े कदम उठायेगी।
लखनऊ। खानदानियों के जुल्म एवं ज्यादतियों से पीडि़त तथा बांदा जनपद के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की संवेदनहीनता के मद्देनजर अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर एस0डी0एम0 बांदा द्वारा आमरण अनशन को तुड़वाते समय दिये गये आश्वासन को निभाने में असमर्थता जाहिर करने पर सा0 समाचार पत्र पैनी कलम पत्रकार तथा आर0टी0आई0 कार्यकर्ता सद्दू अली ने मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव के आवास के सामनें 15 मार्च 2013 को दिन में 12 बजे आत्मदाह करने की चेतावनी दी है।
गौरतलब है कि बांदा के पत्रकार सद्दू अली अपने मरहूम नानी द्वारा दिये गये पैत्रिक मकान में बचपन से ही रह रहे है और उनके पक्ष में वसीयत नामा भी होने के बावजूद साठ गाॅठ के दम पर उन्हंे घर से बेघर कर दिया गया है। बांदा के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से पत्रकार कों उसका पुस्तैनी घर दिलाने की मांग की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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