दिनांक-04.03.2013
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि शासन-प्रशासन संविधान से चलता हैं। संविधान में हर स्थिति की स्पष्ट व्याख्याएं हैं। लेकिन बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा सुश्री मायावती की संविधान में कभी निष्ठा नहीं रही है। अपनी अधिनायकशाही को वे संविधान से सर्वोपरि मानती है। जब तक वे पांच साल शासन सत्ता में रहीं उन्होने लोकतंत्र को हर स्तर पर आघात पहुॅचाया है। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, जो बसपा को पच नहीं रही है। इस सरकार के खिलाफ उनकी अनर्गल बयानबाजी जारी है। अभी भाटपाररानी में जनता ने उनको जो आईना दिखाया हैं, उससे भी उन्होने सबक नहीं लिया है।
बसपा अध्यक्षा का कुण्डा प्रतापगढ़ प्रकरण पर बयान जाहिर करता है कि वे सिर्फ बदले की भावना से काम कर रही हैं। हथिगवां क्षेत्र में आपसी रंजिश में हत्या और फायरिंग की सूचना पर गए सीओ की निर्मम हत्या बड़ी ही दुःखद घटना है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने घटना पर तुरन्त कार्यवाही करते हुए प्रतापगढ़ के एसपी का तबादला कर दिया। उन्होने घटना की निष्पक्ष जांच और पीडि़तों के साथ न्याय का आश्वासन दिया है। दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही का संकेत भी उन्होने दिया है। शहीद सीओ की पत्नी की तहरीर के आधार पर केस दर्ज हुआ और मंत्रिपद से राजा भइया का इस्तीफा हो गया है। कानून व्यवस्था पर तत्काल नियंत्रण के लिए शीर्ष अधिकारियों ने भी प्रभावी कदम उठाए। स्थिति अब पूरी तरह सामान्य है।
समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया था कि कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अपराधियों की जगह जेल में होगी। पुलिसतंत्र को विगत पांच सालों में पूर्णतया पंगु और असहाय बना दिया गया था। सत्ता के दुरूपयेाग में अधिकारी मोहरा बन रहे थे। ऐसे भ्रष्टतंत्र को विरासत में पाकर एक साल के पहले ही श्री अखिलेश यादव ने इसमें सुधार लाने में सफलता हासिल की। पुलिस का मनोबल बढ़ाया।
प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर होने लगा है तो जातिवादी, सांप्रदायिक और यथास्थितिवादी तत्वो को सांप सूंघने लगा है। उन्हें जिस जनादेश ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया है उसी की दुबारा पुष्टि देवरिया के भाटपाररानी उपचुनाव में हुई है। इससे इन ताकतों को लगने लगा है कि अब वे दषकों तक भी सत्ता में आने से वंचित रहेगीं। इसलिए समाजवादी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार में विपक्षी लग गए हैं।
यह अजीब बात है कि जिनके शासनकाल में कानून व्यवस्था मजाक बन गई थी, भ्रष्टाचार का परनाला पंचम तल से शुरू होकर नीचे तक बह रहा था, हत्या, बलात्कार की शिकार बच्चियां तक हो रही थी और थाने में भी इज्जत लुट रही थी वे प्रदेश में जंगलराज की बातें कर रहे हैं। क्या उन्हें यह नहीं मालूम कि उनके सत्ता में रहते ही आधा दर्जन बसपा मंत्री विधायक जेलो में बंद हो चुके थे और कई मंत्रियों को भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के फलस्वरूप इस्तीफे देने पड़ गए थे। जब विकास पर पत्थरों की मार पड़ी रही थी तब उन्हें प्रदेश में कानून का राज समाप्त हो जाने का अंदेशा नहीं हुआ था। आज जबकि प्रदेश में नया काम का माहौल बना है, बसपा की अपदस्थ नेता को राष्ट्रपति शासन की अनुचित मांग करते संकोच नहीं हो रहा है। उन्हें कम से कम अपने इर्दगिर्द के वकीलों से पूछ तो लेना चाहिए कि राष्ट्रपति शासन किन स्थितियों में लगता है ? आंखें बंद कर कोई नेता जब प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है तो उसकी अनभिज्ञता पर तरस आता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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