पत्र लिखकर कहा, प्रधानमंत्री की शिरकत से न सिर्फ़ हाजियों की दुशवारियाॅं हल होंगी बल्कि हौसला अफ़जाई भी होगी
उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति के अध्यक्ष एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खां ने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से राज्य सरकार द्वारा आगामी अप्रैल माह में प्रस्तावित आल इंडिया हज कांफ्रेंस में शिरकत करने का पुनः अनुरोध किया है। गत 28 फरवरी को प्रधानमंत्री को लिखे गए अपने पत्र में श्री आजम खां ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि इससे पूर्व गत 29 नवम्बर व 30 जनवरी को भी पत्र लिख कर उन्होंने ने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री से गुजारिश की थी लेकिन अफसोस कि इन पत्रों का कोई भी जवाब नहीं प्राप्त हुआ। इससे न सिर्फ मायूसी हुई है बल्कि सम्मलेन की तिथियाँ तय करने में भी दिक्कतें आ रही हैं।
प्रधानमन्त्री को संबोधित अपने पत्र में श्री आजम खां ने लिखा है कि हज के दौरान सऊदी अरब में भारतीय हाजियों को जिन बेशुमार दुशवारियों व जि़ल्लतों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है उनको गत वर्ष हज के दौरान उन्होंने एक आम हाजी के रूप में स्वयं अपनी आँखों से देखा और महसूस किया है। इन हालात के मद्देनज़र ही उत्तर प्रदेश सरकार ने आल इण्डिया हज कांफ्रेंस आयोजित करने का निर्णय लिया है ताकि इस अवसर पर इन समस्याओं का कोई सम्मानजनक व स्थाई हल निकाला जा सके और भविष्य में हाजियों को सऊदी अरब में दुशवारियों का सामना न करना पड़े। श्री खाॅ ने पत्र में लिखा है कि यदि इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री की शमूलियत व सरबराही मिल जाती है तो इससे न केवल इन समस्याओं को हल करने में सुगमता होगी, बल्कि उनकी मौजूदगी से सभी की हौसला अफ़जाई भी होगी। श्री खाॅं ने लिखा है, ‘‘ऐसा कतई मुमकिन नहीं है कि सरकार अपने अवाम के लिए कोई काम करना चाहे और वह उसे कर न सके, सरकार को सिर्फ़ अपनी जिम्मेदारी का एहसास करने की जरूरत है।
राज्य हज समिति के अध्यक्ष श्री खाॅं ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री का ध्यान इस वर्ष पासपोर्ट बनवाने में हज यात्रियों को पेश आने वाली दिक़्कतों की ओर भी आकर्षित करते हुए लिखा है कि मौजूदा वक़्त में सबसे बड़ी परेशानी हज यात्रियों के सामने यह खड़ी हो गयी है कि हज के लिए उनके पासपोर्ट नहीं बन पा रहे हैं, वजह पासपोर्ट आफिस द्वारा अनेकों तरह की औपचारिकताएॅ पूर्ण कराये जाने और एक अलग पासपोर्ट सेवा केन्द्र (पी0एस0के0) है जहाॅं महीनों लग जाते हैं। और उसके बाद पुलिस/एल0आई0यू0 की रिपोर्ट में भी काफी समय लगता है। इसलिए हज यात्रियों को पासपोर्ट उपलब्ध कराये जाने के लिए सकारात्मक सोच/कदम तुरन्त उठाने की ज़रूरत है। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से गुज़ारिश की है कि जब प्रति वर्ष लाखों की तादाद में हज यात्री हज करने सऊदी अरब जाते हैं, तो बेहतर होगा कि हाजियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए हाजियों का पासपोर्ट बनाने का कार्य अलग कर दिया जाये। इसके अलावा अलग से फाॅरमैट पर ‘अप्लीकेशन फाॅर हज पासपोर्ट’ का फार्म हो जो सिर्फ एक वर्ष के लिए मान्य हो और इसके साथ हाजियों से हलफनामा ले लिया जाये। जो हज यात्री हज के लिए फार्म भरें, वह अपनी ‘अप्लीकेशन फाॅर हज पासपोर्ट’ के साथ हलफनामा एवं हज कमेटी द्वारा जारी की गयी रसीद नत्थी कर दें, और उसी आधार पर उनका पासपोर्ट जारी कर दिया जाये। उन्होंने लिखा है कि ज़ाहिर है कि काफी उम्रदराज और बूढ़े लोग हज करने जाते हैं और उन्हे सऊदी अरब के अलावा दूसरे देशों में नहीं जाना होता है, अतः इस विशेष पासपोर्ट बनाने के लिए उतना ही शुल्क लिया जाये जितना पासपोर्ट डाॅक्यूमेन्ट पर खर्च आता हो। इससे सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के आज़मीने हज सरकार द्वारा इस तरह की सहूलियत फराहम कराये जाने पर न सिर्फ फैज़याब होगें बल्कि सरकार के शुक्रगुजार भी होगें।
श्री आज़म खाँ ने उम्मीद ज़ाहिर की है कि प्रधानमंत्री बहुत ही जल्द उत्तर प्रदेश में आगामी अप्रैल में आयोजित की जाने वाले आल इण्डिया हज कानफ्रेंस में शिरकत के लिए वक़्त निकालकर तारीख निर्धारित कर सूचित करने की मेहरबानी करेगें जिससे कि प्रदेश द्वारा कानफ्रेंस की तारीख तय की जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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