संगठन का 4 मार्च को झूलेलाल पार्क में विशाल धरना प्रदर्शन
उ.प्र. शासन द्वारा प्राथमिक व जूनियर स्तर के संचालित निजी विद्यालयों की मान्यता हेतु निर्धारित मानक व शर्ते अत्यन्त कठोर तथा अव्यवहारिक है। इन मानकांे को इतना सरल बनाया जाना चाहिए कि प्रदेश में संचालित अधिकांश विद्यालय इन्हे पूरा कर मान्यता प्राप्त कर सके। उक्त भावनाओं को शासन तक पहुंचाने हेतु संगठन ने प्रदेश के अधिकांश जनपद मुख्यलयों पर जिलाधिकारी कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन भेज चुका है किन्तु विद्यालय संचालन की कठिनाइयां अब तक दूर न हो पाने की दशा में संगठन ने 4 मार्च को झूलेलाल पार्क लखनऊ में विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया है। इसमें प्रदेश के लगभग सभी जनपदों के हर ब्लाकों से प्रबंधकगण भाग लेंगे। उक्त बातंे उ.प्र. वित्तविहीन विद्यालय प्रबन्धक संघ (पंजीकृत) के प्रदेश अध्यक्ष जय प्रकाश मिश्र व स्ववित्त पोषित विद्यालय प्रबन्धक एसोसिएशन उ.प्र. के अध्यक्ष आनन्द द्विवेदी ने उ.प्र. प्रेस क्लब लखनऊ में आयोजित संयुक्त प्रेसवार्ता के दौरान कही।
उ.प्र. वित्तविहीन विद्यालय प्रबन्धक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जय प्रकाश मिश्र ने कहा कि सरकार उक्त कठोर मानकों, शर्तो व मान्यता की प्रक्रियाओ को सरल नही बनाती है तो प्रदेश के लाखों प्रबन्धक अपने शिक्षकों व सहयोगियों के साथ बेरोजगार हो जायेंगे। साथ ही, जूनियर स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था पंूजीपतियों के हाथों चली जाने से अत्यन्त महंगी हो जायेगी। इसके परिणाम स्वरूप निम्न व मध्यम आयवर्ग वाले अभिभावकों के बच्चे हम जैसे विद्यालयों द्वारा दी जा रही न्यूनतम शुल्क पर बेहतर शिक्षा से वंचित हो जायेंगंे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा परिषदीय व हमारे निजी विद्यालयों हेतु अलग-अलग मानक अपनाना हमारे साथ घोर अन्याय है। मानक की कठोरता की चर्चा करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि प्रदेश के अधिकांश जनपदों से औसतन 400 विद्यालयों ने मान्यता हेतु आवेदन किया था किन्तु उनमें से मात्र 1 या 2 विद्यालयों को ही मान्यता मिलना मानक की कठोरता व अव्यवहारिकता को स्पष्ट करता है।
स्ववित्त पोषित विद्यालय प्रबन्धक एसोसिएशन के अध्यक्ष आनन्द द्विवेदी ने कहा कि हम निजी विद्यालय प्रबन्धकगण अपने सीमित संसाधनों मंे कठोर परिश्रम के बल पर बिना किसी सरकारी आर्थिक सहायता के क्षेत्र के नौनिहालों को शिक्षित व संस्कारित करते हुये उन्हें समाज व राष्ट्र के लिए एक आदर्श नागरिक बनाने जैसा पुनीत कार्य करते है। किन्तु उक्त पुनीत कार्य के पुरस्कार स्वरूप हमारे ऊपर आपराधिक मुकदमें दर्ज कराना अत्यन्त खेद का विषय है। लखनऊ की चर्चा करते हुये श्री द्विवेदी ने कहा कि लखनऊ में 229 विद्यालयों पर मुकदमा दर्ज कराना अत्यन्त दुर्भाग्य पूर्ण है। इन्हें तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उन्हांेने यह भी बताया कि जिन बेसिक विद्यालयों को पूर्व में मान्यता है चाहे वो प्राइमरी मान्यता प्राप्त या जूनियर मान्यता प्राप्त है उन्हें पुनः मान्यता आवेदन करने हेतु जो शिक्षा विभाग से नोटिस जारी हो रही है वह जनहित में नही है। क्यों कि उ.प्र. में निजी बेसिक विद्यालयों के हजारों की संख्या है जिसमें लाखों अध्यापक/अध्यापिकायें व कई लाख बच्चे प्रभावित होगें।
मानको की शिथिलता सम्बन्धी अखबारों में छपे समाचार टिप्पणी करते हुये प्रबन्धक नेता द्वय ने कहा कि शासनादेश आने तक हम कोई प्रतिक्रिया नही व्यक्त कर सकते, किन्तु यदि सरकार मानको को शिथिल बनाते हुये मान्यता लेना आसान करती है तो यह स्वागत योग्य होगा। किन्तु हमारा संघर्ष हमारी सभी मांगो को पूरा होने तक जारी रहेगा। अतः हम यह मांग करते हैं जो पूर्व विद्यालयों की मान्यता हो चुकी है उनको यथावत रखा जाये। नये आवेदन के बाध्य न किया जाय।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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