01 मार्च।
वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा अपनी पूर्ववर्ती मायावती सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए नई आबकारी नीति में दुकानों के लाइसेंसों के नवीनीकरण किये जाने एवं नई निविदाएं न खोलने का लिया गया निर्णय प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी द्वारा अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए एक विशेष उद्योग समूह को लाभ पहुंचाने के लिए ही अंदरूनी सांठगांठ का नतीजा है इससे स्पष्ट हो गया है कि दूसरांे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली प्रदेश की सपा सरकार स्वयं भ्रष्टाचार मंे आकंठ डूबी है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री, सांसद ने आज यहां जारी बयान में कहा कि आज समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के मुताबिक कल मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में वर्ष 2013-14 के लिए नई आबकारी नीति के सम्बन्ध में जो निर्णय लिया गया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है, भ्रष्टाचार को रोकने का समाजवादी पार्टी का झूठा चेहरा बेनकाब हो गया है। शापिंग माल में खुले आम शराब की बिक्री से सफेदपोश असामाजिक तत्वों को बढ़ावा मिलेगा और कानून व्यवस्था बद से बदतर होगी।
कंाग्रेस पार्टी ने सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से प्रदेश की जनता के सामने इस तथ्य को सार्वजनिक करने की मांग की है कि आखिर वह कौन से कारण थे जिनके चलते वर्तमान सरकार को भी पूर्ववर्ती मायावती सरकार के पदचिन्हों पर चलते हुए आबकारी नीति में केाई परिवर्तन न करने का निर्णय लेना पड़ा है। पूर्व की बसपा सरकार ने भी प्रदेश हित को ताक पर रखते हुए अपने चहेते शराब कारोबार से जुड़े हुए एक विशेष औद्योगिक समूह को न सिर्फ लाइंसेंस आवंटित किया था बल्कि नई निविदाओं को न खोलकर लाइसेंसों का नवीनीकरण किया था, जिस पर समाजवादी पार्टी ने कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा था कि जब हम सरकार में आयेंगे तो इस नीति को बदलकर एक ही औद्योगिक समूह के बजाय इस कारोबार से जुड़े हर उस व्यक्ति को जो भी इस व्यवसाय को चलाना चाहेगा,उसको मौका दिया जायेगा। इतना ही नहीं बड़े जोर-शोर से मायावती सरकार द्वारा धन उगाही के तहत उक्त विशेष औद्योगिक समूह से मिलीभगत का आरोप लगाया था।
डाॅ0 खत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार को राजस्व जुटाने के लिए शराब की दुकानों को गली-गली गांव -गांव या माल इत्यादि बाजारों तक ले जाने से पहले यह भी सोचना चाहिए कि जो लोग इसके पीने के आदी हो जाते हैं उनसे कहीं न कहीं प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त होती है। पिछले दिनों जिस तरह प्रदेश में कानून व्यवस्था तार-तार हुई है, उसमें कई स्थानों पर शराब पीने के बाद आपसी मनमुटाव ने भी बड़े फसादों का रूप अख्तियार किया है। इसलिए किसी भी सरकार के लिए राजस्व बढ़ाना तो जरूरी है लेकिन आबकारी नीति के तहत इन सभी मुद्दों पर विचार करके ही रास्ता निकालना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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