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यूनियन बजट 2013-14

Posted on 02 March 2013 by admin

माननीय वित्त मंत्री ने अपने 2013 -14 का बजट पेष करते हुये कहा कि भारी चालू एवं राजस्व घाटे, निम्न विकास दर और ऊँची मंहगाई को नियंत्रित करने हेतु एक समावेषी विकास आवष्यक है। उन्होनें कहा कि चालू घाटे को कम करने के लिए विदेषी निवेष एवं ऋृण तथा आयात पर नियत्रंण आवष्यक है। खर्चो में कमी करना एक कड़वी दवा है लेकिन इसके अलावा और कोई उपाय भी नहीं।
समावेषी विकास की धारणा के मध्य प्रस्तुत किया हुआ बजट, प्रथम दृष्टया उत्साहजनक प्रतीत नहीं होता। मंहगाई की मार से परेषान आम नागरिकों के लिए आयकर में कोई छूट नहीं सिवाय प्रारम्भिक छूट सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2 लाख 20 हजार करने के अतिरिक्त। एक करोड़ से ज्यादा आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं पर 10 प्रतिषत सरचार्ज एवं दस करोड़ से ज्यादा आय वाली कम्पनियों पर 5 प्रतिषत से बढ़ाकर 10 प्रतिषत सरचार्ज लगा देना एक हताषापूर्ण वातावरण में उठाया गया कदम प्रतीत होता है।
हम आषा करते थे कि इस बजट में जी.एस.टी. तथा डी.टी.सी. को लागू करने की दिषा में, विषेड्ढ आर्थिक परिक्षेत्र में स्थापित इकाइयों तथा लघु अति लघु एवं मध्यम क्षेत्र के उद्योगो को बढ़ावा देने हेतु सार्थक प्राविधान किये जायेंगे। इसमें प्रथम दृष्टया ऐसा कुछ प्रतीत नहीं होता।
100 करोड़ का क्रेडिट गारंटी फंड, 100 करोड़ के निवेष पर 15 फीसद निवेष भत्ता, पहले घर के लिए 25 लाख तक ऋृण पर ब्याज छूट सीमा में वृद्धि, आदि बजट के अच्छे प्राविधान हंै। 16 लाख करोड़ से अधिक केे इस बजट में लगभग 2 तिहाई राजस्व खर्चे के लिए है। समावेषी विकास के नाम पर यह बजट राजनीतिक हित साधन हेतु एक लोक लुभावन बजट ही होगा। इससे न मंहगाई कम होगी और न उद्योग विकास एवं निर्यात को गति मिल पायेेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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