जनपद के पत्रकारो ने अपरान्ह नगर में मौन जुलूस निकाल कर पुलिस बर्बरता के खिलाफ आव्रहृोश व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री को कार्यवाही वाला ज्ञापन प्रभारी जिलाधिकारी को सौपा ।
गौरतलब हो कि बीते दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर मे फरियादियों पर हो रहे लाठी चार्ज की कवरेज करते समय छायाकार की पिटाई से आव्रहृोशित जिले भर के पत्रकारो ने पूर्व घोषित मौन जुलूस निकाल कर जनान्दोलन के जरिये एक ३ सूत्रीय मांग पत्र प्रदेश के समाजवादी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रभारी जिलाधिकारी के माध्यम से सौपा । इस बावत प्रभारी जिलाधिकारी अरविन्द पाण्डेय ने पत्रकारो को आश्वस्त करते हुए कहा कि इसे तत्काल माननीय मुख्यमंत्री जी को फैक्स करा दे रहा हूं । पत्रकार संघर्ष समिति के सदस्यो ने सरकार को इस कांड की कार्यवाही के लिए रविवार तक का समय दिया है ।
ज्ञापन के माध्यम से पत्रकारो ने मुख्यमंत्री से इस अलोकतांत्रिक, अशोभनीय घटना की न्यायिक जांच की मांग पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी नगर व कोतवाल समेत दोषी सिपाहियों को निलम्बित कर स्थानान्तरित किया जाये । भविष्य मे पत्रकारो के साथ ऐसी घटना न हो यह सुनिश्चित कराया जाये । सोचिये जरा जिले का कप्तान और सभी आला अधिकारी परिसर स्थित कार्यालय मे मौजूद हो और पुलिस कर्मी व नगर कोतवाल जितेन्द्र गिरि, दरोगा कमलेश तिवारी, कोतवाली नगर के सिपाहियों द्वारा फरियादियों को बेरहमी से पीटना और गला दबाकार जान से मारने की कोशिस करना यही नही पुरस्कार प्राप्त छायाकार राजबहादुर को घेरकर पीटना और समाचार कवर करने पर जेल भेजने के लिये जीप पर लादना वो भी सीओं और कोतवाल के कहने पर आखिर क्या दर्शाता है । यही कि जिले मे अब आपात काल या सेंसर शिप लागू हो गई है ।
पुलिस के कुकर्मो की फोटो व समाचार नही छपेगा वो भी ये आपात काल पुलिस अधीक्षक किरण एस द्वारा लगाया जाना क्या बताता है कि प्रदेश सरकार का प्रदेश मे अस्तित्व ही नही है । न ही लोकतंत्र बचा है न ही नागरिको और मीडिया के अधिकार बचे है सब ईमरजेंसी नियमो के तहत जब्त कर लिए गये है । या अब इस सरकार मे जनता को व मीडिया को अपनी बात करने की आजादी जरिये पुलिस कप्तान किरन एस तत्काल जब्त लिया गया है । इस बात का सारा साक्ष्य जरिये फोटो ग्राफ पचासो समाचार पत्रो मे प्रमुखता से छापा है अब इस मामले मे जांच की और आयोग बनाने की शायद आवश्यकता नही है ।
ये एक जिले के फरियादियों और मीडिया पर हमला नही है यह लोक तंत्र में जनता द्वारा जनता के लिए चुनी गई सरकार के लोक तांत्रिक अधिकारो पर एक आई०पी०एस० अधिकारी और कर्मचारियों का अघोषित हमला है और यह कृत्य यह बताता है कि इस पुलिस अधिकारी ने लोकतंत्र और संविधान को सरेआम अपने कारिंदो संग मय असहले के नकार दिया है और इस जनपद के जरिये मुख्य मंत्री और संविधान प्रमुख महामहित हो भी यह बताने की कोशिश की है कि हम जनपद सुलतानपुर के हजारो पुलिस कर्रि्मयों और असलहाधारी दरोगाओं के मुखिया है हम भारत के संविधान और उसमे जनता के अधिकारो और सरकार के मुखिया के निर्देशो को ताख पर रखते है हम या हमारे महकमे के खिलाफ जो बोलेगा, लिखेगा, छापेगा, दिखायेगा उसे इसी तरह दौडा दौडा कर पीटा जायेगा और दिन दहाडे गला दबा कर मार दिया जायेगा ।
ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले दिनो मे अब बारी किसी सत्त्ताधारी विधायक, सांसद और मंत्री की है जो जनता की पैरौकारी मे खुलेआम पुलिस अधिक्षक से मिलने आ जाते है सोचिये बीते दिन तिकोनिया पार्क मे भी जिले के कूरेभार थाने के मझौवा के कुछ ग्रामीणो पर भी रात के अंधेरे मे पुलिस सी०ओ०ने हमला कर गायब कर दिया । जिसमें तमाम महिलायें भी थी अपनी मांग के समर्थन मे धरना दे रही थी । सोचिये मुख्यमंत्री जी कहां है अपका लोकतंत्र समाज वाद कहां है आपका जन लोकप्रिय न्याय यह आपको खुल्लम खुल्ला चुनौती है इसे जनहित मे स्वीकार करिये जिले की चैदह लाख जनता आपके निर्णय की प्रतीक्षा कर रही है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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