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लखनऊ में जैव विविधता केन्द्र विकसित करने हेतु कार्य प्रारम्भ

Posted on 28 February 2013 by admin

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक विरासत, जैव विविधता एवं प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण है। पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण का अपनी विरासत को बचाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान है। समाजवादी पार्टी की सरकार ने पर्यावरण संतुलन और प्राकृतिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है और वार्षिक बजट में इसके लिए पर्याप्त प्राविधान भी किए हैं, इससे प्रदेश के विकास की गति तेज होगी और पिछड़ेपन से मुक्ति मिलेगी।
समाजवादी पार्टी की सरकार ने लखनऊ में जैव विविधता केन्द्र विकसित करने हेतु कार्य प्रारम्भ हुआ है। वन्य जीवों के प्रति जागरूकता एवं प्रेम की भावना विकसित करने के लिए कानपुर तथा लखनऊ चिडि़याघर का आधुनिकीकरण, सारनाथ, वाराणसी स्थित मिनी जू जीर्णोद्धार करने का भी निर्णय लिया गया है। इटावा में लायन सफारी का निर्माण कराया जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने प्रदेश के हर जनपद में हरित पट्टी स्थापित करने का निर्णय लिया है जिसके लिए वर्ष 2013-14 में 11 करोड़ रूपए की बजट व्यवस्था की जानी है इसमें सघन रूप से वन तथा वृक्षारोपण कार्यक्रम को बढ़ाया जाएगा। इसके लिए पौधशाला प्रबंध परियोजना में 8 से 12 फुुट ऊॅचाई के पौधों को तैयार किए जाने हेतु 10 करोड़ रूपए के बजट की व्यवस्था होगी।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश में नीम, महुआ, साल, पीपल, बरगद,बड़, बीजासाल, आम (देसी/कलमी, तुकमी) दुर्लभ वृक्ष प्रजातियों को बचाने के लिए निजी स्वामित्व वाले वृक्षो को नकारने की अवधि 31 दिसम्बर,2020 तक बढ़ाई गई है।
प्रदेश में पर्यावरण नीति बनाने का काम भी चल रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लघु उद्योगों को दी जाने वाली अनुमति एक वर्ष के बजाय तीन वर्ष के लिए जारी करने का निर्णय पहली बार लिया गया है ताकि लघु उद्यमियों को अनावश्यक दौड़-भाग न करनी पड़े। इसी तरह नए और पुराने कारखानों  में प्रदूषण नियंत्रण हेतु शुद्धिकरण संयंत्र (ईटीपी) लगाए जाने की अनिवार्यता सुनिश्चित की गई है।
उद्योगों को पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इंडस्ट्री स्पेसिफिक डाक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। फ्लाई ऐष यूटलाइजेशन संबंधी डाक्यूमेंट आई0आई0टी0 कानपुर के माध्यम से तैयार कराया जा रहा है।
राज्य की प्रमुख नदियों जैसे गंगा, यमुना, राम गंगा, गोमती, सई, घाघरा, राप्ती, वरूणा, काली (पूर्वी) हिंडन, सरयू, बेतवा, गोविन्द सागर, रिहंद जलाशय, रामगढ़ लेक, समरपुर लेक, माहिल पांड, लक्ष्मी पाण्ड एवं शुक्रताल के 53 चिन्हित स्थलों पर प्रत्येक माह में एक बार नमूने एकत्र कर जल गुणता के अनुश्रवण का कार्य नेशनल वाटर क्वालिटी मानीटरिंग प्रोग्राम के अंतर्गत किया जा रहा है, ताकि नदियों के जल की गुणवत्ता में सभी स्थलों पर सुधार आए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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