इतिहास तभी दोहराया जाता है जब मनुष्य अपनी गल्तियों से सीख नहीं लेता है। यही इतिहास के अध्ययन का महत्व है कि पूर्व में जो गल्तियां हुई है उनसे सबक लिया जाय। यह विचार उत्तर प्रदेश विधान के अध्यक्ष की माता प्रसाद पाण्डेय ने आज भारतीय इतिहास अभिलेख समिति के 60 वें अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने प्राचीन ग्रंथों की सामग्री को पूरी तरह से विचार केे बाद अभिलेखागार का अंग बनाने आवश्यकता पर बल दिया।
श्री पाण्डेय ने कहा कि अभिलेख ज्ञान के वृक्ष और इतिहास की परणिति होते है। इस संदर्भ में अभिलेखागार की भूमिका का महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने इस दिशा में निरन्तर खोज करने की बात कही ताकि अभिलेखागार की सामग्री भावी पीढि़यों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सके।
इस अवसर पर संस्कृति एवं महिला कल्याण की राज्यमंत्री श्रीमती अरूण कुमार कोरी ने परामर्शी निकाय के रूप में भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में अभिलेख जगत के समक्ष उत्पन्न नयी चुनौतियों दस्तावेजों की बढ़ती संख्या, जनता तक अभिलेखों की पहुॅंच सुनिश्चित कराना आवश्यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सत्र अपने उद्देश्य की पूर्ति में सफल होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री पाण्डेय ने उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित ‘स्मारिका’ का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में सुश्री रूबीना बेग, निदेशक उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में दक्षिण अमेरिका के सूरीनाम गणराज्य के अभिलेखागार की निदेशक डा0 रीता तेजन फ़ोह एवं अभिलेख प्रबन्ध अधिकारी श्रीमती आशा अमेरसिंह, राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो0 मुशीरूल हसन, डा0 ओ0 पी0 अग्रवाल, महानिदेशक इन्टेक संरक्षण संस्थान, लखनऊ, डा0 पी0 के घोष, पूर्व विभागाध्यक्ष, एम0 आई0 एच0 लखनऊ विश्वविद्यालय, श्री राम अडवानी, देश के विभिन्न भागों से आये प्रबुद्ध जन तथा भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति के सदस्य अभिलेखागारों, विश्विद्यालयों एवं प्रतिष्ठित संस्थाओं के मनोनीत सदस्य भी उपस्थित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com