मृगनयनी म0प्र0 हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम ग्रामोदय विभाग म0प्र0 शासन के सानिध्य में आयोजित प्रदर्शनी का शुभारंभ श्री राम गोविन्द चैधरी मंत्री बेसिक शिक्षा,बाल विकास एंव पुष्टाहार विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के कर कमलो से संपन्न हुआ। इस उदघाटन अवसर पर ललित कला अकादेमी के क्षेत्रीय सचिव उपस्थित थे। उक्त अबसर पर राम गोविन्द चैधरी मंत्री बेसिक शिक्षा,बाल विकास एंव पुष्टाहार ने कहा कि हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास के लिऐ सरकार के साथ समाज को भी सहयोग करना होगा तभी विकास हो सकेगा। बाघ प्रिंट के लिए राष्टीय पुरुस्कार से सम्मानित हाजी नूर मुहम्मद ने मध्य प्रदेश की विशिष्ट कला का परिचय कराते हुऐ बताया कि बाघ प्रिंट की प्रक्रिया बहुत पेचीदा और थका देने वाली होती है। पूरी तरह तैयार होने के पहले प्रत्येक कपड़ा 25-30 तीनों तक कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है। इसमें केवल प्राकृतिक सामग्री का ही उपयोग किया जाता है । खरा पद्धति से कपड़ा को सनचोरा (एक प्रकार का समुद्री नमक), अरन्डी के तेल और बकरी की मेंगनी (GOAT DUNG) में डुबोकर रखा जाता है और फिर सुखाने के बाद कपड़े को बहेड़ा (हरेड़ा) पावडर के विलयन के साथ डुबा कर रखा जाता है। छपाई का लाल रंग फिटकारी और इमली के बीज (चीया) से बनाया जाता है जबकि काले रंग को तैयार करने के लिए लोहे के महीन पावडर के साथ गुड को 15-20 दिनों के लिए मिलाकर रखा जाता है। कपडे पर छपाई के लिए कई प्रकार के लकडी के छापों (ब्लाक्स) जैसे कोर, साज, बोद, कलम, बुर्रा इत्यादि का प्रयोग किया जाता है फिर कपडे को 15 दिनों तक सूखने के लिए छोड दिया जाता है इसे बहते हुए नदी के पानी में धोकर अंत में धावली फूलों ओ अलीजरीन (ROOTS OF AAL TREE) के पानी में ताम्बे के बर्तन (कढाई ) में उबाला जाता है।
1930 के दशक की डिजाइनों में चंदेरी महेश्वरी की साडियों पर डिजाइन प्रदर्शित होंगे। मध्यप्रदेश के करीब 40 कलाकार स्वयं उपस्थित रहकर डाबू तथा वटिक पिं्रट एवं नैसर्गिक रंगों में रंगी ठपी सामग्री लावेंगे। हाथकरघा की चादरें तथा पंच घातु पीतल की मूर्तियां एवं हस्तशिल्प। मृगनयनी मध्य प्रदेश प्रदर्शनी ललितकला अकादमी अलीगंज लखनऊ में दिनांक 23 फरवरी से 5 मार्च 2013 तक चलेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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