ऽ गंगा एक्शन परिवार ने भारत सरकार को दिया गंगा एक्ट का प्रस्ताव
ऽ महामण्डलेष्वरों और सन्तों ने गंगा-यमुना की प्रदूषणमुिक्त के सभी उपाय करने को कहा
ऽ केन्द्रीय मंत्री ने गंगा एक्ट को सिर माथे लेकर दिया केन्द्र सरकार में गम्भीर विचार का आष्वासन
कुम्भ मेले में भारत सरकार के जल संसाधन मन्त्री हरीश रावत आज गंगा एक्शन परिवार, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेष के अरैल स्थित शिविर में पहुँचे। इस अवसर पर गंगा एक्शन परिवार शिविर में पधारे वरिष्ठ सन्तों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ‘मुनि जी महाराज’ की उपस्थिति में श्री रावत से केन्द्र सरकार के स्तर से गंगा-यमुना की प्रदूषण-मुक्ति के सभी उपाय करने को कहा। विभिन्न गंगा प्रेमियों एवं देश-विदेश की स्वयंसेवी संस्थाओं से बने गंगा एक्शनपरिवार द्वारा भारत सरकार को नेशनल गंगा रीवर राईट्स एक्ट का प्रस्ताव दिया गया और अनुरोध किया गया कि राष्ट्र की प्रमुख नदी गंगा को प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त करने तथा उसके सभी अधिकार वापस देने की स्पष्ट नीति बनाई जाए एवं उसके क्रियान्वयन की चाक-चैबन्द व्यवस्था की जाए।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री के परमार्थ शिविर पहुँचने पर दैवी सम्पद अध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय ऋषिकेष के ऋषि कुमारों द्वारा शंखध्वनि और वेद मंत्रोच्चारण के बीच उनका स्वागत किया गया। इस अवसर पर परमार्थ शिविर के सभाकक्ष में हुई संगोष्ठी में आचार्य देवकी नन्दन ठाकुर,़ स्वामी आनन्द गिरि, स्वामी परमाद्वैति, फलाहारी आश्रम के महंत रामनारायण दास, एवं महंत राम रतन दास, नारायण साईं सहित कई सन्तों, विद्वानों एवं बुद्धिजीवियों ने जल संसाधन मंत्री से विचारों का आदान-प्रदान किया। इनमें इलाहाबाद रोटरी क्लब के कई सदस्यों के अलावा इलाहाबाद महानगर के अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। आईजी जोन आलोक शर्मा, एसपी अरैल एस0 के0 वर्मा, मेलाधिकारी कुम्भ मणि प्रसाद मिश्र, ने भी संगोष्ठी में हिस्सा लिया। गंगा एक्शन परिवार ने भारत सरकारको गंगा रीवर राईट्स एक्ट का जो प्रस्ताव दिया है, उसमें केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिये जाने के बाद 48 करोड़ से ज्यादा देशावासियों की जीवन रेखा गंगा के लिए एक सुस्पष्ट व सुदृढ़ राष्ट्रीय नीति बनाने, पाॅलिथीन जैसी अति नुकसानदेह चीजों को गंगा में जाने से रोकने, गंदे नालों एवं प्रदूषित जल को गंगा में गिरने से पूरी तरह प्रतिबन्धित करने तथा औद्यौगिक इकाइयों एवं उनमें कार्यरत व्यक्तियों के हितों को ध्यान में रख वैकल्पिक उपाय खोजकर उन्हें सख्ती से लागू कराने आदि बातें कही गयी।
इस मौके पर श्री स्वामी स्वामी चिदानन्द सरस्वती ‘मुनि जी महाराज’ ने कहा कि गंगा संरक्षण के उपायों को पूरी तरह अमली जामा पहनाने के लिए सरकारों, संस्थाओं एवं व्यक्तियों में परस्पर दोषारोपण नहीं, बल्कि समग्र चिन्तन के साथ पारस्परिक सहमति व सहयोग की नीति अपनाने हेतु कहा। उन्होंने गंगा किनारे बसे लोगों, किसानों, उद्योगों, फैक्ट्रियों से गंगा के अधिकारों की रक्षा करने में पूरा सहयोग करने की अपील की।
उक्त अवसर पर जल संसाधन मन्त्री ने अपने उद्बोधन में गंगा एक्षन परिवार की गतिविधियों को सराहा और गंगा की सेवाओं के लिए स्वामी चिदानन्द सरस्वती को ‘गंगा मुनि’ की संज्ञा दी। उन्होंने गंगा एक्ट के ड्राॅफट को सिर माथे रखकर केन्द्र सरकार में विचार कर सन्तों के आदेष का पालन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस हेतु राज्य सरकारों से भी बात की जायेगी। उन्होंने सभी निकायों, राज्य सरकारों व केन्द्र सरकार को भी गंगा-यमुना आदि नदियों के प्रति संवेदनशील होने की राय दी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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