22.02.2013
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी सरकार ने गठन के समय ही यह आश्वासन दिया था कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा और जनता को सस्ता एवं सुलभ न्याय उपलब्ध कराया जाएगा। इस दृष्टि से जहां उन्होने बार और बेंच के माननीय सदस्यों की कल्याण योजनाओं पर बल दिया है वहीं आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यायतंत्र को जनोन्मुख बनाने का भी प्रयास किया है। इससे न्याय प्रक्रिया आसान होगी और लोगों को समय रहते न्याय मिल सकेगा।
लम्बित वादों के चलते वादी प्रतिवादी दोनों को तमाम कठिनाईयां उठानी पड़ती हैं। विलम्ब से मिले न्याय से न्याय का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता है। इसलिए समाजवादी पार्टी सरकार ने लंबित वादों के निस्तारण हेतु कुल 300 विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति उच्च न्यायालय के परामर्श से करने का निर्णय लिया हैं। इसके अलावा प्रदेश में कुल 34 सांयकालीन न्यायालयों को संचालन भी कराया जा रहा है।
भ्रष्टाचार से संबंधित वादों के शीघ्र निस्तारण हेतु 22 विशेष न्यायालय सृजित किए जाने का निर्णय लिया गया है। ग्रामीण जनता को सस्ता न्याय दिलाने के लिए जिन तहसीलों में बाह्य न्यायालय नहीं है, ऐसे 113 तहसीलों पर बाह्य न्यायालय/ग्राम न्यायालय सृजित किए जाने का निर्णय लिया गया है। इस हेतु 20 करोड़ रूपए बजट में रखे गए हैं।
प्रत्येक जनपद में परिवारिक न्यायालय गठित भी किए जाने है। जिन 63 जनपदो में परिवारिक न्यायालय गठित नहीं है उनमें परिवारिक न्यायालय गठित किए जाएगें। तेरहवें वित्त आयोग की संस्तुतियों के अनुक्रम में न्यायाधीशों के प्रशासकीय कार्यो में सहयेाग प्रदान करने के लिए उच्च न्यायालय तथा जनपद न्यायालयों में कुल 75 कोर्ट मैनेजर का पद सृजित किया गया है, जिसके क्रम में 43 कोर्ट मैनेजरों की नियुक्ति की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री जी ने वर्ष 2012-13 के बजट में अधिवक्ता कल्याण निधि के लिए 40 करोड़ रूपए और जनपदीय न्यायालयों के आवासीय एवं अनावासीय भवनों के निर्माण हेतु 362Û52 करोड़ रूपए की व्यवस्था की थी। वर्ष 2013-14 के बजट में उच्च न्यायालय, लखनऊ बेंच के निर्माणाधीन नवीन भवन हेतु 476 करोड़ रूपए और आवासीय-अनावासीय भवनो के निर्माण हेतु रू0 339 करोड़ तथा पुराने भवनों की मरम्मत हेतु 31 करोड़ की बजट व्यवस्था की गई है। उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में निर्माणाधीन अधिवक्ता चैम्बर्स के निर्माण कार्य को पूरा करने हेतु वित्तीय वर्ष 2012-13 में 70Û27 लाख रूपए की राशि अवमुक्त की गई है। न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान गोमतीनगर, लखनऊ में न्यायिक अधिकारी कल्याण निधि हेतु रू0 10Û00 करोड़ और अधिवक्ता कल्याण निधि में रू0 40Û00 करोड़ की धनराशि प्रदान की गई है। इस तरह कार्य तेजी से चल रहा है।
प्रदेश के न्यायिक तथा उच्च न्यायालय के अधिकारियों/कर्मचारियों के चिकित्सा उपचार हेतु 50 लाख रूपए के रिवाल्विंग फंड की व्यवस्था हो रही है। इससे संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में उनका आसानी से इलाज हो सकेगा। ये सभी निर्णय दर्शाते है कि न्यायतंत्र के प्रति समाजवादी पार्टी सरकार कितनी संवेदनशील है जबकि बसपा राज में न्यायतंत्र घोर उपेक्षा का शिकार रहा और अधिवक्ताओं को तो पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी थी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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