राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चैहान ने फर्रूखाबाद में आलू किसान द्वारा की गयी आत्महत्या पर दुःख व्यक्त करते हुये सरकार से मांग की है कि पाला व बारिष की वजह से जो आलू और गेहूं की फसले नष्ट हो गयी हैं उसके लिए तत्काल प्रभाव से उच्चस्तरीय समिति गठित कर किसानों की फसल की बर्बादी का आकलन कर तत्काल उनको राहत दी जाये।
श्री चैहान ने आगे कहा प्रदेष सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सरकार सत्ता में आते ही किसान आयोग का गठन करेगी किन्तु लगभग एक वर्ष पूरे होने को है सरकार ने इस ओर अभी तक न तो कदम बढ़ाया और न ही बजट सत्र में इस पर कुछ ठोस कार्यवाही की जबकि मंहगाई की मार से किसान तड़फड़ा रहा है। खाद, बिजली, कीटनाषक दवाओं की लागत मूल्य में लगभग 2 गुना बढ़ोत्तरी हो चुकी है जिससे फसल की लागत मूल्य लगभग ढाई गुना बढ़ चुकी है। सरकार तत्काल प्रभाव से आलू के समर्थन मूल्य के साथ ही साथ किसानों की हुयी फसल के नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा करें।
प्रदेश प्रवक्ता प्रो0 के0के0 त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेष का किसान कर्ज के बोझ से दिन प्रतिदिन दबता जा रहा है तथा उसकी फसल का लागत का मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। खेती उसके लिए अलाभकारी साबित हो चुकी है। भारत सरकार के नेषनल सैम्पुल सर्वे के अनुसार एक किसान परिवार की प्रतिमास आय 2115 रू हैं जबकि प्रदेष सरकार के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की आय छठे वेतनमान के बाद प्रतिमास 15000 रू है ऐसी हालत में देष का अन्नदाता हताषा और निराषा की जिन्दगी जी रहा है। उसकी माली हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। इस दौर में किसानों की आर्थिक स्थिति की तंगहाली में भारत में लगभग 2 लाख 40 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं जो कि 65 वर्ष के लोकतंत्र के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है इस समस्या पर प्रदेष सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर किसानों के हित में अहम फैसला लेने की जरूरत है इसी कड़ी में कर्नाटक सरकार आगे आकर किसान आय आयोग का गठन कर चुकी है जोकि इस प्रदेष के लिए भी अपरिहार्य एवं नितान्त आवष्यक है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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