भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने राज्य बजट को निराशाजनक/प्रतिगामी और मजहबी बजट(मुस्लिम तुष्टिकरण) बताया है। उन्होने कहा कि बजट में भी मजहबी भेदभाव है। इसमें विकास का संकल्प नही, राज्य की जनता की आय बढ़ाने की योजना नही है। नहरों की सिल्ट सफाई नही हुई। सरकारी ट्यूबवेल बन्द है। कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए उचित बजट प्राविधान नही किये गये है। बजट औद्योगिक विकास का विरोधी है। कुल मिलाकर यह जनविरोधी बजट है।
उन्होंने भाजपा मुख्यालय पर आज प्रेसवार्ता मे कहा:-
ऽ 2012-2013 के 50 प्रतिशत से ज्यादा बजट को अब तक खर्च न कर पाने का स्पष्टीकरण नही है। पिछला बजट खर्च न कर पाने का कारण बताएं बिना अगला बजट पेश कर दिया।
ऽ बजट में आम जन के लिए कोई आशावाद नही। बजट निराशाजनक है। वास्तविक व्यय के लिए संसाधनों का अभाव है। घाटापूर्ति के लिए भी कोरे अनुमान है।
ऽ बजट प्राविधानो से रोजगार सृजन नही होगा। ग्रामीण बेरोजगारी बढ़ेगी।
ऽ विद्युत आपूर्ति ठीक करने के लिए बजट में जरूरी धन का प्राविधान नही है। विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए भी बजट प्राविधान नही है।
ऽ बजट में विकास की दृष्टि का आभाव है ।
ऽ पिछले बजट भाषण में मुख्यमंत्री जी ने व्यवस्था परिवर्तन का संकल्प लिया था लेकिन प्रदेश की व्यवस्था ध्वस्त हो गई। गरीबी बढ़ी, भूखमरी बढ़ी। गरीबों की क्रय शक्ति घटी। अराजकता और ध्वस्त कानून व्यवस्था की परिस्थिति के कारण पूँजी निवेश नही हुआ। राज्य की सत्ता विविध केन्द्रों में बटी हुई नजर आयी।
ऽ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को बजट में प्राथमिकता दी गई है। कब्रिस्तान की चार दिवारी व हमारी बेटी उसका कल जैसी योजनाओं का प्राथमिकता देते हुए बजट में वृद्धि की गई।
ऽ जिला योजना की स्वीकृतियों का धन 11 प्रतिशत ही पहुंचा। स्वाभाविक विकेन्द्रीकरण न करके केन्द्रीकरण को प्राथमिकता।
ऽ निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती - नगरीय निकाय में सपा के न जीत पाने के कारण जीते हुए भाजपाई(मेयर/चेयरमैन) जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती।
ऽ बेरोजगार छले गये। बजट में यह नही बताया कि कितने बेरोजगार पंजीकृत हुए, कितनों को भत्ता दिया गया - शेष रह गये लोगों को भत्ता दिये जाने के लिए उनकी संख्या के अनुपात में प्रस्तावित बजट में क्या व्यवस्था की गई। नौजावानों के साथ सरकार धोखा कर रही है।
ऽ लैपटाॅप/टैबलेट योजना अभी भी मूर्तरूप नही।
ऽ पिछली बार (2012-13) के बजट के आकार में 18 प्रतिशत की वृद्धि घोषित की गई थी। अब की बार (2013-14) में 10.5 प्रतिशत की वृद्धि घोषित की है। इसका अर्थ यह हुआ की बजट के आकार में 7.50प्रतिशत वृद्धि घटी है।
ऽ बजट को विकासपरक बताया जा रहा है। 2012-13 के बजट में 280 नई योजनाएं घोषित हुई थी जबकि इस बार 2013-14 के बजट में केवल 219 नई योजनाओं के शुरू किये जाने का प्राविधान किया गया है। पिछली योजनाओं में कितनी शुरू हुई, कितनी पूरी हुई, कितनी शेष है, कितनी योजनाओं पर कुछ भी काम नही हुआ इसका भी उल्लेख नही है।
ऽ 2012-13 में 52443 करोड़ के बजट का प्राविधान किया गया। 36116 करोड़ की स्वीकृति जारी की गई। 8735 करोड़ केन्द्र से प्राप्त हुआ। सरकार के पास कुल 44851 करोड़ रूपये खर्च हेतु उपलब्ध थे लेकिन खर्च हुए सिर्फ 31759 करोड़ रूपये। इस प्रकार 13092 करोड़ रूपये उपलब्ध होने के बावजूद सरकार खर्च नही कर पायी।
ऽ राज्य को केन्द्र से मिलना था 35982 करोड़ रूपये लेकिन मिला सिर्फ 17345 करोड़ रूपये अभी भी 18639 करोड़ रूपये शेष केन्द्र से मिलने को रह गये है। केन्द्रीय सहायता न मिलने का दोषी कौन है? सपा फिर भी केन्द्र को समर्थन क्यों कर रही है ?
ऽ दिनांक-01/04/2012 का पी.एल.ए. में शेष राशि:-7711 करोड़ रूपये खर्च किया 5311 करोड़ रूपये, 2400 करोड़ रूपये अभी भी शेष है। सरकार पी0एल0ए0 में उपलब्ध धनराशि को भी खर्च नही कर सकी है।
ऽ गन्ना किसानो का भुगतान 50 प्रतिशत से भी कम हुआ है। 18/12/2012 के बाद का भुगतान लम्बित है। गन्ना किसानों के बकाये का लम्बित भुगतान कैसे होगा इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नही है।
ऽ स्वचालित रिक्शा देने की घोषणा का कोई मानक तय नहीं।
ऽ संस्कृत पाठशालाएं बन्द होने के कगार पर है। उन्हें अनुदान सूची पर लेने के लिए धन का स्पष्ट प्राविधान नही है। लगभग 80 प्रतिशत अध्यापक के रिक्त पदों पर भर्ती की कोई योजना नही है।
ऽ बजट में आगरा आद्योगिक समिट का जिक्र किया गया है लेकिन आगरा समिट के बाद एक भी उद्योगपति ने उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाने की पहल नही की। की हो तो बजट में इसका भी जिक्र नही है।
ऽ किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने की बात कही गई है। सरकार को भाजपा शासित मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसेे राज्यों को अनुसरण करते हुए किसानों को 0 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराना चाहिए।
ऽ किसानों को मुफ्त सिचाई सुविधाओं के प्रवाधान की बात कही गई है। लेकिन नहरों में पानी टेल तक पहुंचाने और अधिकांश खराब सरकारी ट्यूबवेल ठीक कराने की कोई योजना नही है।
ऽ गंगा को निर्मल-अविर्रल प्रवाह के लिए कोई प्राविधान नही है।
ऽ सहकारी समिति-ब्लैक/भ्रष्टाचार को कोई रोकने का कोई संकल्प नही।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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