हर परिस्थिति को सहना ही कल्पवास का असली पुण्य -कल्पवासी।
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था के संगम का अनूठा प्रमाण प्रस्तुत कर रहे हैं। संगम नगरी में कल्पवास कर रहे कल्पवासी बीते दिन हुयी बारिष के बावजूद कुंभ मेले में रूके है। बाहर से स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालु स्नान करने के उपरान्त अपने गन्तव्य की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं, लेकिन संगम नगरी में निवास करने वाले कल्पवासी अपने दृढ़ संकल्प को लेकर अडिग है जो किसी भी परिस्थिति का सामना कर अपने पूर्ण कल्पवास के लिए तैयार है।
वर्तमान में पूरे कुंभ मेला परिसर के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 5 लाख कल्पवासी कल्पवास कर रहें है। जो हर हाल में अपना कल्पवास पूरा करने के बाद ही कुंभ मेले से प्रस्थान करेंगे। बारिष के बाद आज विभिन्न क्षेत्रों में ठहरे कल्पवासियों से बातचीत की गयी। सेक्टर नम्बर 10 में गंगा तट के पास कल्पवास करने वाले कल्पवासी कौषाम्बी जिले के पुरूषोत्तम दास केसरवानी बताते है कि वह अपनी पत्नी के साथ मकर संक्रान्ति से कल्पवास कर रहे है। अभी तक तो सब कुछ अच्छा था लेकिन कल से मौसम खराब होने की वजह से काफी दिक्कत हो रही है। हम लोग रात भर जागते रहे और तम्बू की बल्ली को पकड़ कर बैठे रहे ताकि तम्बू गिर न जाय। आगे बताते है कि इंद्र देव चाहे जितना हमें परेषान करें हम लोग कल्पवास छोड़कर नहीं जायेंगे। और जो होना होगा वो तो होकर ही रहेगा। वहीं कौड़ीहार बाजार के निवासी कपिल देव त्रिपाठी बीती रात की बारिष को कल्पवास की कठिन अग्नि परीक्षा मानते है। उनका मानना है कि गंगा मईया कल्पवासियों की परीक्षा ले रही है। उन्होंने कहा कि इस परीक्षा में जो पास होगा वहीं पुण्य का भागी होगा, इसलिए ज्यादातर कल्पवासी अपना कल्पवास पूरा कर के ही जायेंगे।
सेक्टर 4 में कल्पवास कर रहे चण्डीगढ़ के रहने वाले मंगत राम कहते है कि इलाहाबाद में लगने वाले कुंभ का महत्व ही कुछ और है। उन्होंने कहा कि पूर्ण कल्पवास करने वाले को ही मोक्ष की प्रप्ति होती है। हम कल्पवास पूरा करके ही जायेंगे। राजस्थान के रहने वाले मनोज सिंह ने कहा कि यह सच है कि प्राकृतिक आपदा के आगे किसी का बस नहीं चलता है लेकिन इसका मतलब यह नही है कि कल्पवास को बीच में ही छोड़ दिया जाय। कुंभ मेला प्रषासन की तरफ से भी कल्पवासियों के लिए मेला क्षेत्र में पानी, बिजली एवं साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था बारिष होने के बाद तेजी से सुनिष्चित की जा रही है। कोई कल्पवासी पलायन नहीं कर रहा है।
कल्पवासी गंगा मईया की गोद में मरते दम तक रहने के लिए तैयार है। संगम नगरी में तमाम ऐसे भी कल्पवासी है जिनके घर का रास्ता कुंभ मेला से महज 10 मिनट का है लेकिन कल्पवास का पुण्य लाभ कमाने के लिए पुण्यमासी तक कल्पवास करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इलाहाबाद जिले के ही कल्पवासी कमलेष तिवारी कहते है कि कुंभ मेला हर साल लगे तो भी मैं कल्पवास करता लेकिन ऐसी पावन घड़ी 12 साल बाद आयेगी। मैं कल्पवास पूर्ण करके ही जाऊंगा। इसी तरह इलाहाबाद के कल्पवासी पंकज उपाध्याय, हरिषंकर सिंह और भी ऐसे कल्पवासी है जो हर परिस्थिति का सामना करते हुए कल्पवास पूरा करना चाहते है।
कल्पवासियों की गंगा माँ के प्रति आस्था, कल्पवास पूरा करने का दृढ़ संकल्प और पुण्य लाभ कमाने की इच्छा शाक्ति अडिग है, जिसे कल्पवासी हर हाल में पूरा करना चाहते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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