सिटी मोन्टेसरी स्कूल के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्री-प्राइमरी एवं प्राइमरी प्रधानाचार्य सम्मेलन (आई.सी.पी.पी.पी.-2013) आज सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में प्रारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि श्री सुनील कुमार, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, बेसिक एजुकेशन, उ.प्र. ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का विधिवत शुभारम्भ किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि श्री नवनीत सिकेरा, डी.आई.जी., लखनऊ रेंज समेत कई प्रख्यात हस्तियों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को दो गुना कर दिया। इस अवसर पर अमेरिका, नीदरलैंड, इटली, यू.के., माॅरीशस, अर्जेन्टीना, मलेशिया, भूटान, श्रीलंका, नाइजीरिया एवं देश के विभिन्न राज्यों से पधारे प्रधानाचार्य/प्रधानाचार्याओं व शिक्षाविद्ों ने अपना परिचय प्रस्तुत किया तथापि विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों का ऐसा समां बांधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। इससे पहले आई.सी.पी.पी.पी.-2013 की संयोजिका एवं सी.एम.एस. क्वालिटी अश्योरेन्स व इनोवेशन डिपार्टमेन्ट की हेड सुश्री सुस्मिता बासु ने देश-विदेश से पधारे सभी शिक्षाविदों के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया। ज्ञातव्य हो कि सी.एम.एस. के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन डिपार्टमेन्ट के तत्वावधान में प्री-प्राइमरी व प्राइमरी स्तर की शिक्षा पद्धति में क्रान्तिकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन 9 से 11 फरवरी तक सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें विश्व के 11 देशों एवं देश के 23 राज्यों से 500 से अधिक प्रधानाचार्य व शिक्षाविद् प्रतिभाग कर रहे हैं।
उद्घाटन समारोह में देश-विदेश से पधारे शिक्षाविद्ों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि सुनील कुमार, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, बेसिक एजुकेशन, उ.प्र. ने इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए सी.एम.एस. की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि सी.एम.एस. एक अलग किस्म का अनूठा विद्यालय है जहाँ शान्ति शिक्षा पढ़ाई का एक अभिन्न अंग है, अन्य विद्यालयों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। सम्मेलन के उद्देश्यों की प्रशंसा करते हुए श्री कुमार ने कहा कि वास्तव में शिक्षा की परिभाषा केवल भूगोल, गणित, इतिहास व अन्य विषयों तक सीमित नहीं है अपितु अत्यन्त व्यापक हो गई है। उन्होंने शिक्षकों को सुझाव देते हुए कहा कि शिक्षा को दैनिक जीवन से जोड़ने का प्रयास करें। विशिष्ट अतिथि नवनीत सिकेरा, डी.आई.जी., लखनऊ रेंज ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षक-शिक्षिकाओं को एक कुशल जौहरी की तरह बच्चों की रुचियों को पहचानना चाहिए एवं इन्हें लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहना चाहिए, क्योंकि यही भावी पीढ़ी विश्व समाज को नई दिशा देंगे।
समारोह के उपरान्त देश-विदेश से पधारे शिक्षाविद् आज यहाँ आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से रूबरू हुए एवं इस अनूठे व ऐतिहासिक सम्मेलन पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। पत्रकारों से बात करते हुए भूटान से पधारी ड्रक स्कूल, थिम्पू की प्रधानाचार्या सुश्री पबित्रा शर्मा ने कहा कि माॅन्टेसरी शिक्षा केवल क्लासरूम तक ही सीमित नहीं है अपितु यह वह जीवनोपयोगी शिक्षा है जो बालक सम्पूर्ण जीवन को निर्देशित करती है और उसे सही और गलत की पहचान करना सिखाती है। मलेशिया से पधारे गौतमा रिसोर्सेज के डायरेक्टर,
डा. एम. संगरम ने कहा कि हम सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के बहुत आभारी हैं जिसने इस सम्मेलन के माध्यम से हम सभी को बच्चों के सम्पूर्ण विकास हेतु चिन्तन, मनन व मन्थन का अवसर उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि यह नव-प्रवर्तन का युग है, प्रत्येक बालक कुछ नया कर दिखाना चाहता है ऐसे में प्री-प्राइमरी शिक्षा व शिक्षक-शिक्षिकाओं की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। नेपाल से पधारे मारिया मान्टेसरी इण्टरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य श्री मधु प्रसाद आर्यल ने कहा कि शिक्षा का मूल आधार बालक को जीवन मूल्यों क शिक्षा देना व उसे विश्व समाज का आदर्श नागरिक बनाना है, जिसके लिए हमें ऐसे ही सम्मेलनों में बैठकर छोटे बच्चों के पाठ्यक्रम पर बातचीत करनी होगी और एक विश्व एकता का समान कार्यक्रम विकसित करना होगा। नेपाल से ही पधारे न्यू होरिजन स्कूल के प्रधानाचार्य श्री लोकनाथ उपाध्याय ने कहा कि यदि हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश शुरू से ही बच्चों को दें, तो निश्चित रूप से बड़े होकर यह विश्वव्यापी सोच वाले विश्व नागरिक बनेंगे और सारी धरती की भलाई के लिए कार्य करेंगे। इसी प्रकार देश-विदेश से पधारे कई प्रख्यात शिक्षाविदों का कहना था कि कक्षा का स्वरूप बच्चों की रचनात्मक सोच को विकसित करने में सहायक होना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com