जनपद सुलतानपुर की लोको कालोनी की दशा बहुत ही दयनीय है, टूटी बाउण्ड्रीबाल, क्षतिग्रस्त सड़क, कूडे का अम्बार व जर्जर आवासीय भवन रेलवे लोको कालोनी की पहचान बन गई है। यहॉ मरम्मत के नाम पर वर्षो से कागजी खानापूरी की जा रही है ।
रेल महकमे के तकनीकी व वाणिज्यिक रुप से सक्षम अनुभाग के कर्मचारियो के लिए अलग से वर्षो पूर्व लोको कालोनी बनाई गई थी । तमाम सुविधाओं के साथ यह भी ख्याल रखा गया था कि शहर के बाहर इलाहाबाद रोड पर बनी इस कालोनी के नौनिहालो को कोई परेशानी न हो इसीलिए कालोनी मे एक प्राथमिक पाठशाला व पार्क का निर्मार्ण किया गया था ।
कालोनी मे ही सामुदायिक केन्द्र खोला गया था । तब यहॉ आने जाने वाले मार्गो व आवासीय भवनो के सामने दोनो पटरियों के किनारे आकर्षक बागवानी हुआ करती थी । लेकिन अब यहॉ झाड़-झंखाड उग आये है प्राथमिक पाठशाला बंद हुए कई साल हो गये पार्क मे लगे बच्चो के खेलने वाले उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए है ।
पार्क मे जगह जगह गडढे है जर्जर तारो से होने वाली विद्युत आपूर्रि्त के चलते अधिकतर समस्या बनी रहती है ।नियमित रुप से सफाईकर्मी नही आते कभी आए तो गली नुक्कड मे कूडो का ढेर छोड जाते है ।
वैसे तो इसकी मरम्मत के लिए रेलवे की जिम्मेदारी है । लेकिन ठेकेदारो से कराये गये कार्यो के चलते सब कुछ कागजो पर हो रहा है । सडके क्षतिग्रस्त हो गई है ।डामर की जगह टूटा-फूटा खड़न्जा दिख रहा है कालोनी के आवासो की रंगाई हुए कई साल बीत गये।
रेल कर्मी बताते है कि मरम्मत के नाम पर बाहरी दीवारो मे पुताई भर होती है ।यहॉ कई सालो से बाउण्डीबाल क्षतिग्रस्त है । कालोनी के सामने टैक्सी स्टैण्ड होने के कारण बेरोकटोक लोग यहॉ जाते है ।
सुरक्षा का खतरा बना रहता है । वैसे तो यहॉ रेलवे यूनियन के कई पदाधकारी भी रहते है । लेकिन समस्याओ पर सब चुप्पी साधे है ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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