बचाव हेतु दवा का समय से करे छिड़काव-ओम नारायण सिंह
प्रदेश में आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों का उचित समय से प्रबंधन नितान्त आवश्यक है। इस समय आम के पौधों को खर्रा रोग एवं भुनगा कीट से क्षति पहंुचने की ज्यादा सम्भावना है। अतः बागवान आम के पौधों को कीटों व रोगों से अवश्य बचायें।
यह जानकारी निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री ओम नारायण सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि भुनगा कीट के रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास की एक मिली0 दवा प्रति लीटर या फास्फेमिडान 0.6 मिली0 दवा प्रतिलीटर पानी में घोल कर पौधों पर छिड़काव करें। खर्रा रोग से बचाव हेतु इस माह के प्रथम सप्ताह में घुलनशील गंधक 0.2 प्रतिशत तथा द्वितीय सप्ताह में (12-14 दिन बाद) डाइनोकैप अथवा ट्राइडेमार्क 0.1 प्रतिशत की एक मिली0 दवा प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
श्री सिंह ने बताया कि आम की नई फसल को एन्थ्रेकनोज रोग से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराइड 0.3 प्रतिशत की एक मिली0 दवा प्रतिलीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि सिंचित क्षेत्रों में नया बाग लगाने हेतु कृषक पौधों की रोपाई करें तथा पौधशाला में पौधों की निराई-गुड़ाई भी करें।
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