खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में ‘प्रोटोकाल विकास’ हेतु ग्राण्ट-इन-एड योजना शुरू
प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रोटोकाल विकास हेतु अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के लिए राज्य में स्थित राजकीय संस्था/विश्वविद्यालय एवं सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई को परियोजना लागत का 100 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष की दर से अधिकतम तीन वर्ष के लिए अनुदान देय होगा।
यह जानकारी प्रमुुख सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण डा0 रजनीश दुबे ने दी। उन्होंने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में तीन वर्ष का अनुभव रखने वाले संस्थानों को इस योजना का लाभ मिलेगा। अनुदान की धनराशि लाभार्थी को तीन किस्तों में दी जायेगी। उन्होंने बताया कि उक्त सुविधायें शासनादेश के निर्गत होने की तिथि से 31 मार्च 2017 तक अनुमन्य होगी तथा इस योजना का संचालन विभाग के अधीन खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय द्वारा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि ‘प्रोटोकाल’ का तात्पर्य खाद्य प्रसंस्करण की विभिन्न विधाओं का मानकीकरण कर मैनुफैक्चरिंग प्रोसेस अथवा पोस्ट मैनुफैक्चरिंग प्राॅसेस में ट्रान्सपोर्ट, स्टोरेज, पैकेजिंग के लिए उच्च एवं अनुकूल तकनीक विकसित करने से होगा।
डा0 दुबे ने बताया कि प्रदेश में फल एवं सब्जी, पुष्प, मसाले, शहद, औषधीय एवं संगन्ध फसलें, मशरूम प्रसंस्करण, खाद्यान्न मिलिंग प्रसंस्करण, कृषि उत्पाद, डेयरी उत्पाद, पोल्ट्री और अण्डा, मांस तथा मांस उत्पाद का प्रसंस्करण, मछली प्रसंस्करण, डबलरोटी, तिलहन, खाद्य-भोजन, नाश्ता आहार, मिष्ठान (कोको एवं चाकलेट), माल्टेड एक्सट्रैक्ट, प्रोटीन आइसोलेट, अधिक प्रोटीन वाले खाद्य, वीनिंग फूड और एक्सट्रैक्डेट खाद्य उत्पाद, बीयर, गैर शीरा आधारित अल्कोहल पेय, वातित जल/शीतल पेय, विशेषीकृत पैकेजिंग के क्षेत्र में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां पात्र होगीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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