प्रदेश सरकार के वर्ष 2012-13 के बजट का आकार 2लाख 10हजार करोड़ रूपये था। जिसमें मात्र 35 से 40 प्रतिशत ही पैसा विभिन्न योजनाओं के मद में निर्गत हुआ। यह एक चिंता का विषय है। यह प्रदेश सरकार की विकासविरोधी नीति दर्शाता है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने आज यहां जारी बयान में कहा कि राज्य सरकार के पास पर्याप्त धन मौजूद है। किन्तु राज्य सरकार की कोई ठोस नीति एवं योजनाओें के अभाव में चाहे वह चिकित्सा, कृषि, सिंचाई, सड़क, शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में विकास तो हुआ ही नहीं, पूर्व की योजनाएं भी लम्बित पड़ी हुई हैं, जैसा कि बजट में प्रावधान था कि 138 ब्लाकों में विद्यालय बनेंगे, 1लाख 40हजार निःशुल्क नलकूप लगेंगे, हैण्डपम्प एवं पाइप वाटर सप्लाई, लखनऊ में 5लाख लीटर क्षमता की दूध डेयरी एवं आईटी हब का विकास, स्टेडियम बनाये जाने तथा उच्च स्तरीय कैंसर अस्पताल खाले जाने के लिए भी बजट में प्रावधान था जो कि अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
प्रवक्ता ने कहा कि खेद का विषय है कि प्रदेश के गरीबों एवं बीपीएल परिवारों के लिए दो-दो साड़ी एवं वृद्धजनों को कम्बल वितरित किये जाने हेतु बजट में 200करोड़ रूपये का प्रावधान था जिसकी खरीद अभी तक नहीं हो सकी है और सर्दी का मौसम समाप्त होने को है। प्रदेश के कब्रिस्तानों की चैहद्दी जैसी योजनाएं, अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए 2हजार 74करोड़ रूपये तथा मुस्लिम बाहुल्य जिलों में शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना का प्रावधान था। 36जनपदों में माडल डिग्री कालेज खोले जाने की योजना एवं असेवित जनपदों में पालीटेक्निक खोले जाने की योजना को भी नहीं पूरा किया जा सका। गरीबों को सौर ऊर्जाचलित रिक्शे के लिए 100करोड़ रूपये, मनरेगा योजना में 4200लाख मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य भी बजट में रखा गया था। 3466नवीन प्राथमिक, 421नवीन उच्च प्राथमिक विद्यालय खोले जाने तथा 52हजार 834विद्यालयों की चहारदीवारी का निर्माण कराये जाने की योजना भी पूरी नहीं हो पायी।
श्री अग्रवाल ने कहा कि यह विडम्बना ही है कि मा0 मुख्यमंत्री जी के आग्रह पर केन्द्र सरकार ने उ0प्र0 के विकास में धन की कोई कमी आड़े न देने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज भी उपलब्ध कराया था। ग्रामीण सड़कों के लिए केन्द्र ने 13हजार करोड़ रूपये निर्गत किये किन्तु प्रदेश सरकार की अदूरदर्शिता के कारण इन सड़कों के रखरखाव के लिए बनाये जाने वाले विशेष फण्ड, जो कि मात्र 270करोड़ रूपये था उसकी भी व्यवस्था नहीं की गयी और समुचित रखरखाव के अभाव में सड़कें उखड़ती चली गयीं। राज्य सरकार की लोहिया ग्रामीण आवास योजना के लिए 395करोड़ रूपये तथा लोहिया नवीन राजकीय नलकूप निर्माण योजना के तहत 748नवीन नलकूपों के निर्माण के लिए बजट में व्यवस्था की गयी थी, जिसकी स्वीकृतियां अभी जनवरी माह में ही कुछ जिलों में पहुंची हैं यह कार्य कब शुरू होंगे, अभी पता नहीं है। बुन्देलखण्ड में विकास की योजनाएं भी अभी तक पूरी नहीं हो सकी हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि जब इन योजनाओं के लिए उपलब्ध धन ही खर्च नहीं हो पाया तो प्रदेश सरकार द्वारा अपेक्षित 10प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य कैसे पूरा होगा, इसकी संभावना दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रहा है। नये रोजगारों का सृजन न हो पाने के कारण बेरोजगारी बढ़ी और प्रदेश के विकास की गति पर विपरीत असर पड़ा। प्रदेश का पूरा विकास भ्रष्टाचार और गुटबाजी का शिकार हो चुका है। बार-बार समाजवादी पार्टी के मुखिया श्री मुलायम सिंह यादव जी द्वारा अपने मंत्रियों और अधिकारियों को काम करने के लिए सचेत करना यह दर्शाता है कि वह इस सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश में विकास कार्य एवं कानून व्यवस्था ठीक नहीं है। लंबे समय से जनता इंतजार कर रही है कि इस प्रकार के अक्षम मंत्रियों एवं अधिकारियों पर कार्यवाही कब होगी? तथा प्रदेश कब विकास की गति पकड़ेगा और कानून व्यवस्था कब सुधरेगी?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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