जनपद में क्लर्क ग्रेड और लेखपालो की स्थानान्तरण नीति ही डेड कर दी गई है जिसके चलते एक ही सीट पर वर्षो से डटे बाबू, पेशकार, स्टेनो, लेखपाल आम जनता के शोषण और अधिकारियों के पोषक बने है ।
हैरत है कि प्रदेश के सभी राज्य कर्रि्मयों का स्थानान्तरण गैर जनपद होता रहता है यहां तक कि शिक्षकों, चिकित्सको और इंजीनियरो का स्थानान्तरण भी होता जरुर है मगर जिले के राजस्व महकमे मे और स्वयं जिला कलेक्टर की कचेहरी मे बीसो वर्षो से बाबू और अन्य कर्मचारियों का स्थानान्तरण पूर्णतया डेड है जिसके चलते आम जनता का शोषण बढता जा रहा है ।
हालत यह है कि चाहे पी०सी०एस० अफसर हो चाहे आई०ए०एस०जिले में आते ही इन भ्रष्टाचारियों के काकस में घिर जाते है और जायज नाजायज कामो की डीलिंग इन्ही भ्रष्ट बाबुओं के जरिये होती है चाहे नजूल की जमीन हो राजस्व के गंभीर मुकदमे हो । जमीन जायदाद का बंटवारा हो, किरायेदार-मालिक का विवाद हो, खेती से कर्रि्मशियल का स्थानान्तरण हो, हदवरारी हो, शस्त्र का लाईसेंस हो, नवीनीकरण हो, पटटे का प्रहृी होल्ड हो, दाखिल खारिज हो, विरासत हो, कोटेदार का निलंबन बहाली हो लगभग सभी कार्यो की मुहमांगी और मंहगाई के सूचकांक को देखते हुए सुविधा शुल्क फिक्स है।
एक प्रतिशत से सात प्रतिशत तक की वसूली लगभग सभी अदालतो मे वसूली जाती है जिसे यही बाबू, स्टेनो, पेशकार, हाकिम तक पहुचाते है यही नही कलेक्ट्रेट के कुछ अधिवक्ता भी इन अधिकारियों के दरबारी है जिन्हे कभी भी अधिकारियों के चैम्बर और बंगले मे देखा जा सकता है यही कारण है कि सत्ता चाहे जिसकी हो मुख्यमंत्री या कोई हो जिले मे जिलाधिकारी चाहे सीनियर हो चाहे जूनियर ईमानदार हो या बेईमान सभी को अपने सांचे मे ढालकर महाभ्रष्ट बाबू, लेखपाल और पेशकार आज तक अन्र्तजनपदीय स्थानान्तरण पर भी नही गये पूरी सेवा अवधि उन्होने यही जन शोषक बन कर गुजार दी ।
और तो और संम्पत्त्ति का ब्यौरा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दे सकते है मगर इन बाबुओं से आज तक कोई जिलाधिकारी मांगने की हिम्मत नही जुटा पाया कहने को ये अल्प वेतन भोगी है मगर पूरे शहर मे जायज नाजायज भवनो, जमीनो, वाहनो के मलिक है और राजपत्रित अधिकारी की मालीत हैसियत को भी चुनौती देते है ये बाबू । इन बाबुओ की ही मेहरबानी है कि पूरे सिविल लाईन एरिया की नजूल जमीन को बिना प्रहृी होल्ड ही हवेलियों मे तब्दील कर दिया ।
बिना पटटे के ही एन.ओ.सी. के जरिये अवैध निर्माण करवा दिया न जाने कितने अपराधियो को अपनी बाबूगीरी के जरिये असलहो के लाईसेंस दिला दिये न जाने कितने अपराधियों को हैसियत जारी कर ठेकेदार बनवा दिया । वही लेखपालो का कहना ही क्या जैसे प्र्रदेश मे महामहिम राज्यपाल का रुतबा है वैसे ही जिले मे लेखपालो की तूती बोलती है ये कहने मात्र को लेखपाल है ये जिले के सबसे बडे भू माफिया है जिले की शायद ही एक इंच जमीन ऐसी हो जिसमें इनकी प्रापर्टी डीलिंग न हो अगर इनका हिस्सा न लगा तो जमीन क्रय विक्रय नही हो सकती ।
यही कारण है कि सिटी समेत ईद गिर्द के लेखपालों की अवैध सम्पत्ति एक जमीनदार से कम नही रह गई है हालत यह है कि अगर डी०एम०भी चाहे तो इनकी मर्जी बगैर उन्हे यहां से हटाया नही जा सकता पूर्व के उदाहरण गवाह है एक लेखपाल की तो भूमि विवाद मे हत्या तक हो चुकी है ।
नगर की आम जनता ने मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री से जिले के इन वर्षो से जमें भ्रष्ट्राचारियों को गैर जनपद हटाने की मांग की है जिससे प्रशासन स्वच्छ एवं पारदर्शी बन सके और जनता का शोषण रुक सके ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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