कुंभ मेला के सेेक्टर 11 के क्षेत्र मे वन प्रभाग इलाहाबाद द्वारा एक बहुप्रयोगी, रोचक एवं आकर्षक प्रर्दषनी लगायी गयी है। जिसमें विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों एवं औषधीय पौधों का सजीव प्रस्तुतिकरण किया गया है। प्रदर्षनी के माध्यम से यह बताया जा रहा है कि महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियाँ आस-पास के क्षेत्रों में प्रचुरता में उपलब्ध है। परन्तु इनको पहचान न पाने के कारण, जन सामान्य इन औषधीय पौधों के समुचित लाभ से वंचित हैं। कौन सा पौधा किस रोग की दवा है, इसकी जानकारी भी दी गयी है। कुछ ऐसी दिव्य औषधियों जैसे ब्राह्मी, गुडमार, हडजोड, गिलोय, इसबगोल आदि को भी प्रदर्षन किया गया है, जिसको घर के अन्दर गमलों में लगाकर एवं नित्य प्रयोग कर अपने को स्वस्थ्य रखा जा सकता हैै।
प्रभागीय निदेषक समाजिक वानिकी इलाहाबाद ने बताया है कि हमारे पौराणिक और धार्मिक ग्रन्थों में वर्णित विभिन्न वृ़क्ष समूहों का दुर्लभ साहित्य की भी प्रदर्षनी लगायी गयी। जैसे पंचवटी, हरिषंकरी, नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वृक्ष, बुद्ध वाटिका आदि इन वृक्षों के स्थापना से जहाँ एक तरफ धार्मिक, आध्यात्मिक एवं स्वच्छ वातावरण निर्मित होता है, वहीं अपनें नक्षत्र/ग्रहों से सम्बन्धित पौधों के पूजन, वन्दन, सींचन आदि से प्रतिकूल ग्रह भी मित्रवत हो जातेे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदर्षनी में वन उत्पादों का भी प्रदर्षन किया गया है। बाँस एवं लाख से निर्मित विभिन्न आकर्षक, सजावटी एवं उपयोगी वस्तुओं का मनमोहक संकलन उपलब्ध है। ये वस्तुएँ यथोचित मूल्य पर बिक्री हेतु भी उपलब्ध है इसके अतिरिक्त वनों, वृक्षों तथा पर्यावरण पर आधारित वन विभाग द्वारा रचित विभिन्न साहित्य भी प्रदर्षित है। इनमें वनस्पतियों के अन्य लाभों के अतिरिक्त उनके दुर्लभ आध्यात्मिक पक्ष का विषेष उल्लेख किया गया है पोस्टर आदि के माध्यम से यह दर्षाया गया है कि नीलगाय वास्तव में गोवंष की प्रजाति नही है। इनके मारने का लाईसेन्स खण्ड विकास अधिकारी से प्राप्त किया जा सकता है।
विभिन्न प्रकार के पोस्टर-फोल्डर आदि भी प्रदर्षनी में रखे गये है। जिनका निःषुल्क वितरण किया जा रहा है। वनों के साथ जनसामान्य की सहभागिता, कृषि वानिकी से सम्बन्धित फिल्मों का प्रदर्षन भी किया जा रहा है। चलचित्र के माध्यम से वन्य जीवन आदि से सम्बन्धित फिल्में भी दिखाई जा रही है। जादू के माध्यम से वन्य जीवांे तथा पर्यावरण का सजीव एवं मनोरंजक चित्रण भी प्रदर्षनी में किया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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