उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने गांव को इकाई मानकर इसके विकास और खुशहाली के लिए कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की खुशहाली एवं तरक्की से ही प्रदेश समृद्ध बनेगा। नवयुवकों को प्रेरित कर कृषि की तरफ उन्मुख करने पर बल देते हुए उन्होंने ऐसी योजनाएं बनाने एवं लागू करने के निर्देश दिए हैं, जो कृषि को लाभकारी बना सकें। उन्होंने कहा कि किसानों को महसूस होना चाहिए कि राज्य सरकार उनकी बेहतरी के लिए काम कर रही है।
मुख्यमंत्री आज यहां मण्डी परिषद मुख्यालय में कृषि से सम्बन्धित समस्याओं को सुलझाने एवं कृषि समस्याओं/कठिनाईयों को दूर करने हेतु गठित कृषि विशेषज्ञों की परामर्शदात्री समिति की बैठक में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने समिति की अधिक से अधिक बैठकें आयोजित करने की अपेक्षा करते हुए कहा कि अनुभवी कृषि विशेषज्ञों के सुझाव प्राप्त कर मण्डी परिषद एवं सरकार के अन्य विभाग कृषि के विकास के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों को किसानों के मददगार के रूप में काम करना चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि पंजाब, हरियाणा सहित कई अन्य राज्य कृषि क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश को भी अन्य राज्यों की तरह अपनी मण्डियों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करने तथा क्षेत्रवार व फसलवार अलग-अलग योजना बनानी होगी। उन्होंने बुन्देलखण्ड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए विशेष योजना बनाने की अपेक्षा करते हुए कहा कि कृषि के क्षेत्र में वैल्यू एडीशन का प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके। भण्डारण की क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में विभाग को तेजी से काम करना होगा। उन्होंने गेहूं खरीद के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों से इस प्रकार का संवाद नियमित रूप से बनाए रखने का सुझाव देते हुए कहा कि पिछले दिनों देश एवं विदेश की कई कम्पनियों के प्रतिनिधियों ने उनसे मिलकर राज्य में कृषि के लिए काम करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने भरोसा जताया कि इसका लाभ राज्य के कृषि विकास को निश्चित रूप से मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों तथा गांवों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सभी जरूरी फैसले लेने में कतई नहीं हिचकेगी। उन्होंने भारी मात्रा में प्रयोग किए जा रहे रासायनिक उर्वरकों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इसका प्रतिकूल असर कृषि तथा स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। उन्होंने अधिक से अधिक आॅर्गेनिक एवं अन्य प्रकार के उर्वरक प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करने के निर्देश दिए।
श्री यादव ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कई राज्य अच्छी नीतियां बनाकर कृषि तथा किसानों को लाभ पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि यदि राज्य में भी अच्छी नीतियां बनाकर लागू की जाएं तो किसानों को काफी लाभ होगा। उन्होंने कृषि के सभी पहलुओं पर समग्र रूप से विचार कर रणनीति तैयार करने और इसे लागू कराने के निर्देश दिए।
इस मौके पर कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने बताया कि इस प्रकार की बैठकें प्रत्येक 03 माह में आयोजित कर कृषि विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया जाएगा। ताकि राज्य के किसानों के हित में आवश्यकतानुसार समय-समय पर कार्यक्रम बनाकर इन्हें लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की समस्याओं को समझते हुए इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की पिछली सरकार के कार्यकाल में किसानों की काफी उपेक्षा हुई। वर्तमान सरकार द्वारा विगत खरीफ और वर्तमान रबी के लिए अच्छी गुणवत्ता के बीज एवं पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस बैठक के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को कृषि नीति में सम्मिलित किया जाएगा।
इस मौके पर प्रमुख सचिव कृषि श्री देवाशीष पाण्डा, कृषि वैज्ञानिक डाॅ0 पंजाब सिंह, प्रोफेसर राजेन्द्र कुमार, श्री जे.एन.एल. श्रीवास्तव आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
बैठक में निदेशक कृषि विपणन एवं निर्यात श्री राजीव अग्रवाल, डाॅ0 सी.पी. यादव, डाॅ0 सीताराम सिंह सहित कई कृषि विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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