Categorized | कृषि, लखनऊ.

आम का उत्पादन बढ़ाने के लिए पौधों को कीट व रोगों से बचायें

Posted on 30 January 2013 by admin

जैविक/बायोडायनमिक खादों का प्रयोग होगा लाभदायक  -ओम नारायण सिंह
प्रदेश में गुणवत्तायुक्त आम का व्यावसायिक उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी है कि किसान इनके पौधों को कीटों व रोगों से बचायें तथा ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करें। आम के स्वस्थ उत्पादन हेतु बागवानी में जैविक/बायोडायनमिक खादों का प्रयोग लाभदायक होगा इससे बीमारियों की रोकथाम तथा फलों के विकास व गुणवत्ता में वृद्धि लायी जा सकती है।
यह सलाह निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री ओम नारायण सिंह ने आम बागवानों को दी है। उन्होंने बताया कि आम के बागों को मिज, गुजिया, भुनगा व तना छेदक कीटों तथा खर्रा व गुम्मा रोगों से नियंत्रण के लिए किसान विशेष सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि आम के भुनगा कीट से बचाव हेतु मोनोक्रोटोफास की एक मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। तना छेदक कीड़े का प्रकोप होने पर उनके छेदों में पेट्रोल या क्लोरोफार्म या डाइक्लोरोवास में रूई भिगों कर उनमें भरें तथा छेदों को गीली मिट्टी से बन्द कर दें। उन्होंने बताया कि आम के छोटे पेड़ों को पाले से बचाने के लिए धुआॅं करें तथा समयानुसार इनकी सिंचाई करें, इसके साथ ही बाग की जुताई एवं सफाई करना अति आवश्यक है।
श्री सिंह ने बताया कि आम के पुराने अनुत्पादक बागों का जीर्णोद्धार करने से इसकी गुणवत्तायुक्त उत्पादकता में बढ़ोत्तरी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे पेड़ों की शाखाओं को भूमि से चार मीटर की ऊॅचाई पर छतरीनुमा आकार में काट दें तथा इसके कटे भाग पर फफूंॅदनाशक दवा (काॅपर आॅक्सीक्लोराइड) का घोल लगा दें। उन्होंने कहा कि आम के बाग में पहले 10 वर्षों तक अन्तः फसलें भी ली जा सकती हैं। जिसमें लोबिया, आलू, मिर्च, टमाटर, मूंग, चना व उर्द की फसलें प्रमुख हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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