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मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

Posted on 24 January 2013 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में आज यहां सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-


मे0 एचपी इण्डिया सेल्स प्रा0 लि0 को 15 लाख लैपटाॅप की आपूर्ति हेतु लेटर आॅफ इन्डेन्ट जारी करने की अनुमति

मंत्रिपरिषद ने 10वीं पास छात्र-छात्राओं को निःशुल्क टैबलेट एवं 12वीं पास छात्र-छात्राओं को लैपटाॅप प्रदान किए जाने की योजनान्तर्गत लैपटाॅप की आपूर्ति हेतु मेसर्स एचपी इण्डिया सेल्स प्रा0 लि0 को 15 लाख लैपटाॅप की आपूर्ति हेतु लेटर आॅफ इन्डेन्ट (एल0ओ0आई0) जारी करने की अनुमति उ0प्र0 इलेट्राॅनिक्स कार्पाेरेशन लि0 (यू0पी0एल0सी0) को प्रदान कर दी है।

टेक्निकल स्पेसिफिकेशन कमेटी की संस्तुतियों के आधार पर लैपटाॅप की विशिष्टियां निर्धारित करते हुए निविदा आमंत्रित करने के लिए कहा गया था। टैबलेट/लैपटाॅप योजनान्तर्गत प्राप्त निविदाओं के तकनीकी एवं वित्तीय परीक्षण तथा मूल्यांकन आदि समस्त कार्यांे के निष्पादन हेतु आई0टी0 एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग द्वारा निविदा मूल्यांकन/तकनीकी समिति का गठन किया गया। इस संबंध में क्रमशः मे0 ऐसर इण्डिया प्रा0लि0, मे0 एच0सी0एल0 इन्फोसिस्टम लि0, मे0 एचपी इण्डिया सेल्स प्रा0लि0 तथा मे0 लिनोवो इण्डिया प्रा0लि0 की निविदायें प्राप्त हुई। चारों निविदायें तकनीकी रूप से योग्य र्पाइं गईं। इसके पश्चात् वित्तीय निविदाओं को समिति द्वारा खोला गया जिनमें लैपटाॅप की यूनिट दरें तथा आपूर्ति संख्या क्रमशः निम्न प्रकार थी।
(1) मे0 एच0पी0 इण्डिया सेल्स प्रा0लि0 रु0 19,058.00 (समस्त कर सहित) 15 लाख यूनिट।
(2) मे0 एच0सी0एल0 इन्फोसिस्टम लि0, रु0 21,983.85 (समस्त कर सहित) 04 लाख यूनिट।
(3) मे0 लिनोवो इण्डिया प्रा0लि0 रु0 23,919 (समस्त कर सहित) 05 लाख यूनिट।
(4) मे0 ऐसर इण्डिया प्रा0लि0 रु0 25,199 (समस्त कर सहित) 08 लाख यूनिट।

निविदा मूल्यांकन/तकनीकी समिति द्वारा मे0 एच0पी0 इण्डिया सेल्स प्रा0लि0 द्वारा उपलब्ध कराई गई यूनिट दर को रु0 19,058 (समस्त कर सहित) निर्धारित करते हुए 15 लाख लैपटाॅप की आपूति आदेश प्रदान करने की संस्तुति की गई, जिसे मंत्रिपरिषद ने अनुमोदित कर अग्रेतर कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
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सौर ऊर्जा नीति-2013 स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने सौर ऊर्जा नीति-2013 को स्वीकृत प्रदान कर दी है। यह नीति 31 मार्च, 2017 तक प्रभावी रहेगी तथा इसके तहत न्यूनतम 05 मेगावाट क्षमता की कुल 500 मेगावाट की सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादित परियोजनाओं की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नीति के क्रियान्वयन हेतु यूपीनेडा नोडल एजेन्सी नामित की गई है।
ग्रिड संयोजित सोलर पावर परियोजनाओं की स्थापना स्वयं की चिन्हित एवं क्रय भूमि पर की जा सकेगी। सरकारी भूमि पर सोलर पावर प्लाण्ट परियोजनाओं की स्थापना हेतु विकासकर्ता का चयन पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा। नीति की संचालन अवधि में स्थापित एवं कमीशन सौर ऊर्जा ग्रिड संयोजित परियोजनाओं से उत्पादित ऊर्जा का विक्रय उत्तर प्रदेश पावर कार्पाेरेशन लि0 (यू0पी0पी0सी0एल0) को 10 वर्ष के लिए निष्पादित पी0पी0ए0 के आधार पर अथवा थर्ड पार्टी को विक्रय करने के लिए स्वतंत्र होगी। उत्तर प्रदेश पावर कार्पाेरेशन लिमिटेड को उत्पादित ऊर्जा को विक्रय करने हेतु इच्छुक विकासकर्ताओं को कुल मेगावाट क्षमता के लिए आमंत्रित प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग में भाग लेना होगा। सफल बिडर का चयन आरोही क्रम में न्यूनतम कोटेड टैरिफ के आधार पर होगा। बिडिंग में प्राप्त टैरिफ यूपीईआरसी के अनुमोदन के अधीन होगा।
प्रदेश में ऐसे स्थापित एवं कमिशण्ड प्रथम 200 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्लान्ट के टैरिफ जिस पर पीपीए हस्ताक्षरित किए जाएंगे एवं यू0पी0पी0सी0एल0 द्वारा केस-1 बिडिंग में प्राप्त टैरिफ के अन्तर को, नोडल एजेन्सी द्वारा राज्य सरकार के बजट मद ‘सौर स्रोतों पर आधारित विद्युत उत्पादन की प्रोत्साहन योजना’ से प्राप्त फण्ड से वहन किया जाएगा। राजकीय विद्युत वितरण कम्पनी/राज्य पारेषण कम्पनी के पारेषण सिस्टम में ग्रिड संयोजन प्राप्त करने का दायित्व परियोजना विकासकर्ता का होगा या फीड इन सबस्टेशन अर्थात इण्टरकनेक्शन प्वाइंट तक पारेषण लाइन का व्यय परियोजना विकासकर्ता द्वारा वहन किया जाएगा, परन्तु बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थापित की जाने वाली परियोजनाओं के लिए पारेषण लाइन एवं सबस्टेशन के निर्माण पर व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक नीति-2012 के अन्तर्गत प्राविधानित समस्त सुविधाएं सौर ऊर्जा विद्युत इकाईयों पर लागू होंगी तथा सोलर फार्म जहां कई सौर ऊर्जा विद्युत उत्पादन संयंत्र एक स्थान पर स्थापित किए जाएंगे एवं कुल निवेश 500 करोड़ रु0 से अधिक का होगा उन पर राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहन केस-टू-केस के आधार पर दिया जाएगा। नीति में उत्पन्न विभिन्न प्रकरणों के पर्यवेक्षण, अनुश्रवण एवं समाधान मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा।
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कुक्कुट पालन को अवस्थापना एवं औद्योगिक
निवेश नीति का लाभ प्रदान करने का फैसला

मंत्रिपरिषद ने कुक्कुट पालन में उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 30,000 पक्षी क्षमता अथवा इससे अधिक के कामर्शियल लेयर्स/ब्रायलर्स फार्म तथा 10,000 पक्षी क्षमता अथवा इससे अधिक के पैरेन्ट ब्रायलर/लेयर्स फार्म विथ हैचरी की स्थापना को उत्तर प्रदेश अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अंतर्गत लाभ प्रदान करने का फैसला लिया है। इन योजनाओं के लाभार्थियों को किसी भी स्रोत से भूमि क्रय करने पर स्टैम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। कुक्कुट आहार उत्पादन हेतु आहार इनग्रेडिएन्टस को 04 प्रतिशत प्रवेश कर से मुक्त रखा जाएगा। कुक्कुट पालन में आवश्यक प्लान्ट, मशीनरी व स्पेयर पार्टस में 02 करोड़ रुपए या इससे अधिक के पूंजी निवेश होने पर कच्चे माल के क्रय पर 05 वर्ष के लिए मण्डी शुल्क व विकास सेस से छूट उपलब्ध कराई जाएगी। प्रदेश में स्थापित की जाने वाली ऐसी कुक्कुट पालन इकाईयों को निवेश प्रोत्साहन योजना का लाभ दिया जाएगा। कुक्कुट पालन इकाईयों को प्रारम्भिक 10 वर्षों तक, उनके द्वारा उपयोग की गई वास्तविक विद्युत पर विद्युत शुल्क देय नहीं होगा। प्रस्तावित योजना में प्रदेश के समस्त जनपदों में लाभार्थियों द्वारा बैंकों से लिए गए ऋण पर देय ब्याज की दर पर 10 प्रतिशत की दर से, अधिकतम 05 वर्ष हेतु प्रतिपूर्ति किया जाना प्राविधानित है। यह प्रतिपूर्ति प्लान्ट, लाइवस्टाक एवं मशीनरी हेतु बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण पर होगी।
योजना के तहत 05 वर्षों में 410 लेयर्स फार्म तथा ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की 60 इकाईयां स्थापित किया जाना प्रस्तावित है।
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चीनी उद्योग, को-जनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति, 2013 स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने चीनी उद्योग, को-जनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति, 2013 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। नीति के तहत प्रदेश के चिन्हित जनपदों - देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, अमेठी, रायबरेली, बदायूं, गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, एटा, इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, फर्रूखाबाद, फिरोजाबाद, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर में नई चीनी मिलों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा। को-जनरेशन इकाई एवं डिस्टलरी की स्थापना प्रदेश में कहीं भी की जा सकेगी।
नीति के अन्तर्गत निवेश करने वालों को छूट एवं रियायत दिए जाने की व्यवस्था की गई है। इसमें ऋण पर 05 प्रतिशत ब्याज उपादान, गन्ना क्रयकर पर छूट, सोसाइटी कमीशन की प्रतिपूर्ति, देशी मदिरा हेतु शीरा आरक्षित करने से छूट, शीरे पर प्रशासनिक शुल्क की छूट तथा स्टाम्प ड्यूटी एवं भूमि रजिस्ट्री शुल्क में छूट की सुविधा शामिल है। इसके अलावा शीरे का प्रथम क्रय/विक्रय की तिथि से 05 वर्ष तक भुगतान किए गए वैट व केन्द्रीय विक्रयकर के योग के समतुल्य अथवा वार्षिक विक्रय धनराशि की 10 प्रतिशत धनराशि, जो भी कम हो, ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। प्रतिपूर्ति/छूट/ऋण अधिकतम 05 वर्ष हेतु अनुमन्य होगा।
छूट एवं रियायतें कतिपय शर्तों के अधीन होंगी। कम्पनी/इकाई द्वारा नई चीनी मिल की स्थापना राज्य सरकार द्वारा चिन्हित जनपदों में की गई हो। निर्माण कार्य नीति घोषित होने के उपरान्त प्रारम्भ किया गया हो, नीति घोषित होने के 03 वर्षों के अन्दर व्यवसायिक उत्पादन प्रारम्भ कर दिया गया हो, को-जनरेशन/आसवनी नीति घोषित होने के 02 वर्षों के अन्दर व्यवसायिक उत्पादन प्रारम्भ कर दिया जाएगा, कम्पनी/इकाई द्वारा सम्पूर्ण गन्ना मूल्य का भुगतान ससमय किया गया हो। 05 वर्षों में दी गई छूट एवं रियायतें प्रति इकाई 75 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होगी। कम्पनी/इकाई द्वारा त्रुटिपूर्ण सूचना/अभिलेखों के आधार पर प्राप्त की गई छूट एवं रियायतों की धनराशि भू-राजस्व की भांति वसूल की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि चिन्हित जनपदों में चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करते हुए नई चीनी मिलों की स्थापना की आवश्यकता है। इससे किसानों की खुशहाली बढ़ेगी और प्रदेश का विकास भी होगा। इसके अलावा प्रदेश की बिजली आवश्यकता को देखते हुए 750 मेगावाट अतिरिक्त उत्पादन करने हेतु, स्थापित चीनी मिलों तथा नई लगने वाली चीनी मिलों में, को-जनरेशन प्लांट स्थापित कर अतिरिक्त विद्युत उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाना भी आवश्यक है।
प्रदेश में 61 आसवनी स्थापित हैं, जिनकी कुल क्षमता 135.06 करोड़ लीटर प्रति वर्ष है। वर्तमान में प्रदेश में गन्ना उत्पादन 59.34 टन प्रति हेक्टेयर है, जिसके 70 टन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ने की आशा है। फलस्वरूप चीनी परता, शीरे के उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इस प्रकार घरेलू उपयोग से उत्पादन अधिक होने के कारण गन्ने के रस से एथोनाॅल व अल्कोहल का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, जिससे न केवल चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि गन्ना मूल्य भुगतान सही समय पर होने से गन्ना किसानों को भी लाभ प्राप्त होगा तथा पेट्रोल में एथोनाॅल ब्लेंडिंग के कार्यक्रम को भी बढ़ावा मिलेगा।
वर्तमान समय में लगभग 18 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की पूंजी ग्रामीण क्षेत्रों में गन्ना मूल्य के रूप में प्रवाहित हो रही है। प्रदेश में नई चीनी मिलों की स्थापना से इस पूंजी प्रवाह में और वृद्धि होगी एवं किसानों की आर्थिक स्थिति में आशातीत सुधार होगा। शासन की नीति गन्ना किसानों एवं चीनी मिलों के मध्य सामंजस्य स्थापित कर दोनों के हितों का सम्यक ध्यान रखते हुए प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है।
अतः प्रदेश में चीनी उद्योग को बढ़ावा देने हेतु नई चीनी मिलों की स्थापना तथा को-जनरेशन प्लाण्ट एवं आसवनी स्थापित करने को प्रोत्साहित करने हेतु निजी पूंजी निवेश को आकर्षित करने की दृष्टि से चीनी उद्योग, को-जनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति, 2013 स्वीकृत की गई है।
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लघु उद्यमियों, विशिष्ट हस्तशिल्पियों तथा निर्यात प्रोत्साहन हेतु
प्रादेशिक पुरस्कार योजनाओं के नाम में परिवर्तन एवं विशिष्ट हस्तशिल्पियों की पुरस्कार राशि बढ़ाने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के लघु उद्यमियों, विशिष्ट हस्तशिल्पियों तथा निर्यात प्रोत्साहन हेतु प्रादेशिक पुरस्कार योजनाओं के नाम में परिवर्तन करने एवं विशिष्ट हस्तशिल्पियों को दिये जाने वाले पुरस्कार की धनराशि बढ़ाने का निर्णय लिया है।
बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर लघु उद्यमियों को प्रोत्साहन हेतु प्रादेशिक पुरस्कार, बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर विशिष्ट हस्तशिल्पियों को प्रादेशिक पुरस्कार तथा मान्यवर श्री कांशीराम निर्यात पुरस्कार भविष्य में क्रमशः डाॅ0 राम मनोहर लोहिया लघु उद्यमियों को प्रोत्साहन हेतु प्रादेशिक पुरस्कार योजना, डाॅ0 राम मनोहर लोहिया विशिष्ट हस्तशिल्पियों को प्रादेशिक पुरस्कार योजना तथा श्री जनेश्वर मिश्र निर्यात पुरस्कार योजना के नाम से प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा वर्तमान में विशिष्ट हस्तशिल्पियों को प्रादेशिक पुरस्कार योजना के अन्तर्गत 10 राज्य स्तरीय और 10 विशिष्ट पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं, जिनकी क्रमशः पूर्व निर्धारित पुरस्कार की राशि 20 हजार रुपए के स्थान पर 25 हजार रुपए तथा 10 हजार रुपए के स्थान पर 15 हजार रुपए दिए जाने का निर्णय लिया गया है। अन्य दो योजनाओं में पुरस्कार की संख्या एवं धनराशि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
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सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ को
यथा स्थल पर बनाए रखने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ को यथा स्थल पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। प्रशिक्षण संस्थान में प्रशासनिक भवन, विभिन्न छात्रावास तथा शैक्षिण भवन बने हैं, जो मात्र 15-20 वर्ष ही पुराने हैं। इनकों ध्वस्त कर नये स्थल पर भवन बनाने में अनावश्यक व्ययभार आएगा तथा प्रशिक्षणार्थियों तथा प्रशिक्षकों को अनेक कठिनाईयां उत्पन्न होंगी।
ज्ञातव्य है कि मंत्रिपरिषद ने 07 दिसम्बर, 2007 को जनपद लखनऊ स्थित कारागार संस्थाओं को शहर की घनी आबादी के बाहर स्थानान्तरित करने का निर्णय लिया था तद्नुसार कारागार प्रशिक्षण संस्थान को छोड़कर शेष संस्थाओं को शहर से बाहर स्थानान्तरित किया जा चुका है।
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जिला मजिस्ट्रेट को 72 घण्टे तक का पैरोल स्वीकृत करने का अधिकार
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश (बंदियों के दण्डादेश का निलम्बन) (प्रथम संशोधन) नियमावली-2012 को अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत सिद्धदोष बंदियांे को 72 घण्टे तक की अवधि के लिए पैरोल स्वीकृत करने का अधिकार बंदी से संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट को दे दिया गया है। अब बंदियों के माता-पिता, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, भाई-बहन की मृत्यु एवं पुत्र-पुत्री, भाई अथवा बहन के विवाह के मामलों में समय से जिला मजिस्ट्रेट ही पैरोल स्वीकृत कर सकेंगे।
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विद्युत वितरण कम्पनियों के लिए वित्तीय पुनर्गठन योजना पर सहमति
मंत्रिपरिषद द्वारा विद्युत मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राज्यों की विद्युत वितरण कम्पनियों के लिए स्वीकृत वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफ0आर0पी0) को सिद्धान्त रूप से स्वीकार करते हुए केेन्द्र सरकार को सहमति भेजने का फैसला लिया गया है। वित्त विभाग द्वारा इस योजना के संबंध में दिए गए सुझाव से भी भारत सरकार को अवगत कराने का निर्णय लिया गया है।
एफ0आर0पी0 के पुनरीक्षण के लिए प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है, जिसमें सचिव ऊर्जा तथा प्रबन्ध निदेशक, उ0प्र0 पावर काॅर्पोरेशन को सदस्य तथा पावर काॅर्पाेरेशन के निदेशक (वित्त) को सदस्य सचिव नामित किया गया है। इसके अतिरिक्त योजना की माॅनीटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित करने का भी फैसला लिया गया है। योजना को लागू करने के लिए एफ0आर0पी0 बनाते समय स्पष्ट कार्य योजना एवं सुधार के संबंध में वचनबद्धता का समावेश किया जाएगा।
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उ0प्र0 नगरपालिका (सदस्यों, पार्षदों, अध्यक्षों और महापौरों का
निर्वाचन) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2013 का प्रख्यापन स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगरपालिका (सदस्यों, पार्षदों, अध्यक्षों और महापौरों का निर्वाचन) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2013 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश नगरपालिका (सदस्यों, पार्षदों, अध्यक्षों और महापौरों का निर्वाचन) नियमावली, 2010 के नियम-63 में निर्वाचन सम्बन्धी प्रपत्रों को एक वर्ष तक सुरक्षित अभिरक्षा में रखे जाने का प्राविधान है। किन्तु मतदान में प्रयुक्त इलेक्ट्राॅनिक मतदान मशीनों को सुरक्षित अभिरक्षा में रखे जाने की अवधि के सम्बन्ध में कोई नियम नहीं है। मंत्रिपरिषद ने इसके दृष्टिगत नियमावली के नियम 63 में संशोधन करने का निर्णय लिया। फैसले के अनुसार सुरक्षित अभिरक्षा में रखी गईं इलेक्ट्राॅनिक मतदान मशीनें ऐसी कालावधि के लिए अखण्ड रूप से प्रतिधारित रखी जाएंगी, जैसा राज्य निर्वाचन आयोग निर्दिष्ट करे। इन मशीनों का किसी पश्चात्वर्ती निर्वाचन में, राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व अनुमोदन के बिना प्रयोग नहीं किया जाएगा।
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शासकीय निर्माण कार्य को सम्पादित किए जाने के संबंध में नीति निर्धारित
मंत्रिपरिषद ने कार्यदायी संस्थाआंे द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्याें की लागत सीमा का निर्धारण तथा शासकीय निर्माण कार्य को सम्पादित किए जाने के संबंध में नीति निर्धारित करने का फैसला लिया है।
राजकीय निर्माण एजेन्सियों का विस्तृत मूल्यांकन कर इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें लोक निर्माण विभाग, उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम एवं कंस्ट्रक्शन एण्ड डिजाइन सर्विसेज (उ0प्र0 जल निगम) को प्रथम श्रेणी, ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा, उ0प्र0 समाज कल्याण निगम तथा उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद को द्वितीय श्रेणी एवं उ0प्र0 प्रोजेक्ट कार्पोरेशन तथा उ0प्र0 विधायन एवं निर्माण सहकारी संघ (पैकफेड) को तृतीय श्रेणी में रखा गया है।
भवनों हेतु पहले से चली आ रही गैर-मानकीकृत/मानकीकृत व्यवस्था को बनाए रखते हुए प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी की राजकीय निर्माण एजेन्सियों के लिए भवनों के निर्माण कार्याें की लागत सीमा निर्धारित कर दी गई है। यह भी निर्णय लिया गया है कि लोक निर्माण विभाग के खण्डों के वार्षिक कार्यभार का मानक पुनर्निर्धारण किया जाए। मंत्रिपरिषद ने राजकीय निर्माण एजेन्सियों से संबंधित वर्तमान शासनादेशों को अवक्रमित करके एक समेकित शासनादेश जारी करने का फैसला लिया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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