बच्चो के भविष्य की चिन्ता कागजो पर ही सिमट जाती है

Posted on 23 January 2013 by admin

केन्द्र सरकार द्वारा चलायी गयी सर्वशिक्षा अभियान व बाल श्रम विभाग जैसी कार्यदायी संस्थायें कितनी सव्रिहृय है इसका अंदाजा आम आदमी बडे बडे होटलो व चाय की दुकानो तथा छोटे छोटे कस्बे व चैराहो पर ९ वर्ष से लेकर १३ वर्ष तक के बच्चो की कप प्लेट धोते एवं तमाशा दिखाते हुए देख कर लग सकता है ।
बताते चले की बाल श्रम विभाग कर्मचारियों द्वारा उक्त स्थायी दुकानो पर छापा मारकर अपनी खाना पूर्रि्त तो कर लेते है परन्तुु उसमे भी उनका अपना स्वार्थ छिपा नजर आता है यदि सूत्रो की माने तो मारे गये छापो में अधिकतर मालिक ही मिलते है जो मौके पर उनकी पर्स गर्म करने असमर्थ होते है ऐसे मालिको के खिलाफ लिखा पढी करके एवं बच्चो को बाल सुधार ग्रह भेज दिया जाता है परन्तु इन पकडे गये बच्चो के भविष्य की चिन्ता कागजो पर ही सिमट जाती है और तो और इन तमाशा दिखाते हुए बच्चो को बाल श्रम विभाग के कर्मचारी देख कर अनदेखी कर देते है ।
शायद इन तमाशा दिखाते हुए बच्चो को यह सोचकर कि यह जुर्माना क्या भर पायेगे या तरस खाकर इनको पकड कर बाल सुधार गृह भेजने में भी कोई रुचि नही लेते क्योंकि इन बच्चो की भी अपनी मजबूरियां होती है कुछ तो पेट की भूख की खातिर इतने खतरनाक तमाशे दिखाते है और कुछ तो खानदानी पीढी दर पीढी तमाशा दिखाने के रोजगार को बचपन से ही सीखकर उसी मे स्वयं को भी आगे बढाने का कार्य करते है इसमे इनके माता पिता भी सहयोगी होते है। इन बच्चों में ज्यादातर ७-८ वर्ष के बच्चो से लेकर बडे बुजुर्ग तक होते है परन्तु सबसे खतरो वाला खेल इन छोटे छोटे बच्चो से ही कराया जाता है ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in