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पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा हत्या एवं बलात्कार जैसे अपराधों की विवेचना में गुणवत्ता बढ़ाने हेतु दिशा-निर्देश

Posted on 22 January 2013 by admin

श्री अम्बरीष चन्द्र शर्मा पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 ने कहा है कि अपराधों की विवेचना में गुणवत्ता बढ़ाने एवं इसमें वैज्ञानिक विधियों का समावेष किये जाने के सम्बन्ध में समय-समय पर मुख्यालय द्वारा पूर्व में निर्देश दिये गये हैं एवं विभिन्न  बैठकों  में भी इसकी आवष्यक जानकारी उपलब्ध करायी जाती रही है। उन्होंने कहा कि विवेचना की गुणवत्ता  में  सुधार  होने  से अपराधियों को मा0  न्यायालय से  दण्डित  किये  जाने का प्रतिषत बढ़ेगा तथा अपराधों पर नियंत्रण भी होगा।
पुलिस महानिदेशक द्वारा समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक प्रभारी जनपद, परिक्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षकों, समस्त जोनल पुलिस महानिरीक्षकांे, अपर पुलिस महानिदेशक, रेलवेज/सीबीसीआईडी व निदेशक, विधि विज्ञान प्रयोगशाला, उ0प्र0 को भेजे गये निर्देश में कहा गया है कि विवेचना की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रारम्भ में मुख्य 03 बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है । 1-अपराध के  घटनास्थल (SOC) को सुरक्षित करने, उसकी  फोटोग्राफी  कराने व फील्ड यूनिट से साक्ष्य एकत्रित कराने। 2-धारा 160 दं0प्र0सं0 के अन्तर्गत नोटिस देकर 161 दं0प्र0सं0 के अन्तर्गत बयान के अभिलेखीकरण के साथ-साथ 161(3) दं0प्र0सं0 में दिये गये प्राविधान के अनुसार उसकी आडियो-वीडियो रिकार्डिंग करना। 3-विवेचना में पर्यवेक्षक अधिकारियों की सक्रिय सहभागिता होती है ।
उन्होंने कहा कि उक्त तीनों बिन्दुओं का अनुपालन समस्त विवेचनाओं में होना चाहिए, परन्तु प्रारम्भ में हत्या और बलात्कार के जघन्य अपराधों की विवेचना में इनका क्रियान्वयन कराया जाये। इन तीन कार्य-प्रणालियांे का स्थायीकरण होने के उपरान्त इनका विस्तार अन्य जघन्य विवेचनाओं के लिए भी किया जायेगा।
पुलिस महानिदेशक के कहा कि इस उद्देश्य से हत्या और बलात्कार की विवेचनाओं में घटना  की  जानकारी  प्राप्त  होते  ही   घटनास्थल  पर  पहले  पहुॅचने  वाले  पुलिस  कर्मियों द्वारा घटना  स्थल  के  इर्द-गिर्द येलो टेप लगानां सुनिष्चित किया जाये एवं किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को घटना स्थल में प्रवेष करने से रोका जाये। घटना स्थल पर फील्ड यूनिट टीम द्वारा पहुॅचकर घटना स्थल से आवष्यक साक्ष्य विवेचक की मौेजूदगी में एकत्रित कर घटनास्थल की फोटोग्राफी करायी जाये। विवेचक द्वारा फोटोग्राफों की एक प्रति केस डायरी के साथ और दूसरी एस0आर0 फाइल के साथ रखी जाये। गवाहों का बयान अंकित करने हेतु द0प्र0सं0 की धारा 160(1) के अन्तर्गत नोटिस निर्गत करके गवाहों को तामील कराकर बयान अंकित  करने के लिए थाने पर बुलाया जाये परन्तु किसी भी दषा में महिलाओं एवं बच्चों को  बयान अंकित  कराने हेतु थाने पर न बुलाया जाये, बल्कि उनका  बयान उनके निवास स्थान पर अंकित किया जाये। बलात्कार की घटनाओं में पीडि़ता का तत्काल 164(।) दं0    प्राविधानों के अनुसार चिकित्सीय परीक्षण एवं आवश्यकतानुसार चिकित्सीय उपचार भी कराया जाये। पीडि़ता का बयान महिला अधिकारी के समक्ष अंकित किया जाये और संवेदनशीलतापूर्वक पीडि़ता से प्रश्न करते समय उसकी मर्यादा एव गरिमा का विशेष ध्यान रखा जाय। बलात्कार की घटनाओं में यदि एफ0आई0आर0 पीडिता द्वारा नहीं

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लिखायी गयी हो     तो पीडि़ता का बयान धारा 164 द0प्र0सं0 के अन्तर्गत यथासम्भव अभिलिखित     कराया जाय। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विवेचनाओं का पर्यवेक्षण किया जायेगा ।

उन्होंने कहा कि विवेचना के दौरान उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर पदरनतल injury report व  PM report  में विरोधाभास होने पर विवेचक/क्षेत्राधिकारी द्वारा राय लेने के लिए राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ में विशेषज्ञ के पास भेजना सुनिश्चित किया जाये। उक्त आदेश का शत-प्रतिषत अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित किया जाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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