जनपद मे सरकार विरोधी अधिकारियों का बोलबाला हो गया है, सरकारी नीतियों, प्रेस कान्फेंस, बैठको मे छोटे मझोले अखबारो को दरकिनार करने की परंपरा बन गई है जो कि प्रसार भारती एक्ट और उसके मंसूबे पर सीधा कुठाराघात है ।
गौरतलब हो कि जनपद मे जिले के उच्चाधिकारियों की शह पर लगभग सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयाध्यक्ष भारत सरकार द्वारा छोटे मझोले अखबारो को दी गई आर.एन.आई. संख्या, डी०ए०वी०पी०, प्रमाण पत्र और प्रदेश सरकार के सूचना निदेशालय द्वारा दी गई मान्यता को जनपद के अधिकारी मानने से इंकार कर रहे है यही कारण है कि जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक समेत लगभग जिले के अन्य विभागो के अधीक्षक समेत लगभग जिले के अन्य विभागो के अधिकारी सरकारी योजनाओं, चुनाव सम्बधी बैठको, प्रभारी मत्रियों की बैठको आदि की सूचना जिले के छोटे मझोले अखबारो के प्रतिनिधियों समाचार संकलन कर्ताओं को देने मे बहाना करते है ।
कभी कहते है कि फोन नही मिला, तो कभी नम्बर नही था आदि आदि बहाने कर समाचार उपलब्ध कराने मे पक्षपात बरतते है यहां तक कि अपने अपने विभागो के सरकारी योजनाओ प्रचार प्रसार मे भी भेदभाव बरतते है वही अपने कुुछ सेट और चाटुकारो के जरिये योजनाओ को छपवाकर जनता को सूचना के अधिकार समाप्त करने का कुचव्रहृ रच रहे है ।
यहां तक कि जन लोकप्रिय सरकार और मुख्यमंत्री की कल्याणकारी योजना को भी दबाये बैठे है पिछले १० माह से सरकार की योजनाओ और कार्यव्रहृमों की जानकारी चाहे वो कानून व्यवस्था हो या विकास की योजनाएं हो जिले के अधिकारी छोटे अखबारों सस्ते और जनसुलभ होते है गांव गिरांव तक गरीब से गरीब आदमी तक रुपये दो रुपये मे पढ सकता है उन अखबारो को जिले के अधिकारी उनको न तो जानते है न ही तवज्जो देते है जिससे जनपद का गांव ग्रामीण सपा सरकार की उपलब्धियों की जानकारी से पूर्णतया महरुम होता जा रहा है ।
यही कारण है सरकार द्वारा अपनी घोषणाओं और चलाई गई योजनाओ के बावजूद आम जनता मे अलोकप्रिय होती जा रही है उसके जिम्मेदार जिले के अधिकारी है और उनका बडे अखबारो और चाटुकारो के प्रति बढता प्रेम है जो सरकार और उसकी उपलब्धियो के जनता तक नही पहुंचने दे रही है जनपद के पत्रकारो ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जिले के छोटे मझोले अखबारो के साथ भेदभाव खत्म कराकर चैथे स्तम्भ की रक्षा की जाय ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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