पुष्टाहार योजना अपनी पटरी से उतर चुकी है

Posted on 19 January 2013 by admin

जिले मे बाल पुष्टाहार योजना अपनी पटरी से उतर चुकी है। नौनिहाल बच्चो गर्भवती धात्री पुष्टाहार पशु आहार बनकर खुलेआम बाजारो, गांवो के गली-कूचो मे बेचा जा रहा है। अधिकांश केन्द्रों पर ताले लटक रहे है।
कार्यकत्री सुपरवाइजर समेत कार्यक्रम अधिकार नौनिहाल बच्चों के हको पर डाका डालने की जुगत में लगे हुए है। नौनिहाल बच्चो को संक्रामक रोगो से बचाने हेतु सर्व शिक्षा अभियान मे जोडने हेतु सरकार द्वारा बाल विकास परियोजना के तहत करोडों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है, किन्तु जिला कार्यव्रहृम के अधिकारी लचर कार्यप्रणाली के चलते योजनाओ का सही व्रिहृयान्वयन नही हो पा रहा है।
गांवों के केन्द्र तक ले जाने हेतु बच्चों को केन्द्र सरकार द्वारा कार्यकत्रियों, सहायिकाओं की तैनाती की गई है तथा केन्द्रों को चेक करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजरो को सौंपी गई है।
साथ ही सभी केन्द्र सी०डी०पी०ओ० के निगरानी में संचालित होती है किन्तु यह अधिकारी धन उगाही मे अधिक रुचि दिखा रहे है। नौनिहाल बच्चों गर्भवती धात्री महिलाओं को मिलने वाली वीडिंग फूड खुलेआम बाजारो मे बेंचकर धन का बंदरबाट किया जा रहा है। सभी केन्द्रो के लिए प्रतिमाह कागजों मे बीडिंग फूड खारिज किया जाता है।
परन्तु यहां वितरित न होकर पशुओं का आहार बना लिया जाता है। जिसे दूधिये २०० से ३०० रुपये प्रतिबोरी की तक खरीदकर पशुओं को खिला रहे है। मिड-डे-मील की तर्ज पर विगत सरकारों ने आंगनबाडी केन्द्रों पर आने वाले बच्चों को गरमा-गरम भोजन देने की योजना बनायी थी किन्तु वह योजना पूर्णतया ध्वस्त है। बाल विकास परियोजना द्वारा संचालित योजनाएं मात्र कागजों में दिखाई पडती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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